Tuesday, May 20, 2025
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मत करो यूरिया का बेजा इस्तेमाल

  • सावधान: यूरिया की अधिकता से पशुओं के चारे में जहरीला नाइट्रेट व नाइट्राइट ले रहा पशुओं की जान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: पशुओं के हरे चारे में यूरिया की बेजा इस्तेमाल होने के कारण जहरीला नाइट्रेट व नाइट्राइट पशुओं की जान ले रहा है। यूपी के मोहनलाल गंज कमलापुर विचलिका गोआश्रय स्थल में काफी संख्या में इसी कारण गोवंश बीमार हुए जिनमें से 13 की इलाज के दौरान मौत हो गई। बरेली स्थित आइवीआरएस ने विसरा जांच रिपोर्ट में उक्त13 गोवंश की मौत की वजह इन्हीं जहरीले तत्वों को बताया है।

जिसपर पशुधन मंत्री ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। पशुपालन विभाग के आलाधिकारियों ने किसानों से अपील की है कि पशुओं के हरे चारे जैसे ज्वार, बाजरा इत्यादि में यूरिया की अधिक मात्रा का प्रयोग न करें।

अधिकांश किसान अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढाने के लिए काफी मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। जिनमें यूरिया अपनी अलग भूमिका निभाता चला आ रहा है। अधिकांश किसान अपनी फसल का उत्पादन अधिक करने के लिए खेतों में अत्यधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं। जिसके चलते पशुओं की हरी चरी जैसे ज्वार, बाजरा, लोभिया इत्यादि में नाइट्रेट व नाइट्राइट जैसे घातक जहरीले पदार्थ उत्पन्न हो रहे है।

इस बात की पुष्टि तब हुई जब यूपी के मोहनलालगंज कमलापुर विचलिका में हाल ही में 34 गोवंश अचानक बीमार हो गए। लक्षणों के आधार पर पशुचिकित्सकों की टीम ने सभी पशुओं का इलाज करना शुरु किया। लेकिन इलाज के दौरान 13 गोवंश मौत क े आगोश में चले गए। जब इस बात की गूंज पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के कानों तक पहुंची तो उन्होंने उक्त गोआश्रय स्थल का बारीकी से निरीक्षण किया।

 

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साथ ही पशुओं को खिलाए जा रहे चारे के नमूने जांच के लिए भिजवाए। जांच रिपोर्ट में सभी 13 गोवंश की मौत का कारण जहरीले नाइटेÑेट व नाइट्राइट बताया गया है। ऐसा तब होता है जब चारे में यूरिया की अधिक मात्रा का प्रयोग किया गया हो। पिछले एक सप्ताह में मेरठ एवं आसपास के क्षेत्रों में कई पशुओं की मौत फूड पॉइजनिंग के कारण हो चुकी है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन्हीं जहरीले पदार्थों की वजह से उक्त पशुओं की मौत हुई होगी।

पशुचिकित्सक पशुओं का इलाज लक्षणों के आधार पर करते हैं। पशुपालन विभाग के आला अफसर बताते हैं कि जब किन्हीं कारणों से पशु के शरीर में जहर दाखिल हो जाता है तो उसके लक्षणों को पहचान कर उनका तत्काल पशुचिकित्सक से इलाज कराना चाहिए। पशुचिकित्सकों ने सभी किसानों और पशुपालकों से जागरूक होने की अपील करते हुए हरे चारे में यूरिया का बेजा इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी है।

पशुओं में फूड पॉइजनिंग के लक्षणों के आधार पर उनका इलाज कि या जाता है। यदि पशु अचानक बीमार हो जाता है तो पशुपालक तत्काल वैध पशुचिकित्सक से सलाह लेकर पशु का इलाज कराएं। पशुपालकों को चाहिए कि वे पशुओं के चारे में अधिक यूरिया व उर्वरकों का इस्तेमाल न करें। जहां तक हो सके कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से भी बचें।
-डा. एसपी पांडेय, उपमुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, मेरठ

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