Monday, March 17, 2025
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तो क्या अब डोटासरा अशोक गहलोत के सामने अपना कद बढाने में लगे हैं?

Samvad


रामस्वरूप रावतसरे |

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बर्खास्त किए गए मंत्री विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने बुधवार को लाल डायरी के 3 पन्ने सार्वजनिक किये। राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया से बातचीत करते हुए डायरी के पन्नों पर क्या लिखा है, उसके बारे में बताते हुए कहा कि राजस्थान पर्यटक विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर ने इन डायरी के पन्नों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव भवानी समोसा सहित अन्य लोगों के लेन-देन का हिसाब किताब लिखा हुआ है।

कांग्रेस विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि सरकार को मैं ब्लैकमेल नहीं कर रहा. सरकार मुझे ब्लैकमेल कर रही है। उन्होंने कहा कि मेरे पास जो लाल डायरी है, उसमें धर्मेंद्र राठौड़ की हैंडराइटिंग है. उसके 3 पन्ने ही मैंने उजागर किए हैं। उन्होंने कहा कि आरसीए के सचिव भवानी समोता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के करीब भी है। डायरी के पन्नों पर कोडवर्ड में भाषा लिखी हुई है जिसमें आरसीए के लेन-देन का हिसाब किताब है।उन्होंने कहा कि मैं इस डायरी के पन्नों को धीरे-धीरे खुलासा करता रहूंगा. अभी 3 पन्ने जारी की है और आने वाले समय में बाकी पन्ने भी जारी करने की भी बात की है जिससे कि यह पता चल सके कि क्या कुछ कारनामे किए जाते रहे हैं। राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस है कहां, यहां तो गहलोत कांग्रेस है। सीएम की एक जेब में प्रभारी रंधावा हैं तो एक जेब में डोटासरा हैं, हाईकमान भी कमजोर है। अगर मुझे सरकार ने जेल में डाला तो सरकार के समाचार समाप्त हो जाएंगे, लोग कहेंगे वन्स अपोन ए टाइम, देयर वॉज ए अशोक गहलोत (एक समय था जब अशोक गहलोत थे)।

गुढा ने रंधावा का नाम लेकर कहा कि बहन-बेटियों की सुरक्षा की बात करके क्या गलत किया? किस बात की माफी मांगू मैं? राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मेरे खिलाफ रोजाना नए मुकदमे हो रहे हैं। एक मुकदमा आज हो रहा है, एक मुकदमा 2 दिन बाद हो रहा है। जिस तरह से मेरे खिलाफ यह केस कर रहे हैं, मैं भी रणनीति के तहत स्टेप बाय स्टेप डायरी के पन्ने जारी करूंगा।सरकार को ब्लैकमेल करने के सवाल पर गुढ़ा ने कहा- अगर 15 साल से मैं इनको ब्लैकमेल कर रहा हूं तो मैंने उनसे क्या-क्या ले लिया, यह बताते क्यों नहीं? खैर जो भी है जनता के सामने आयेगा ही कौन कितना सही है।

जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट को बर्खास्त कर गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया, तब डोटासरा पूरी तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निर्भर थे लेकिन इन तीन वर्षों में कांग्रेस के हालात बहुत बदल गए हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से हटाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहमत नहीं थे, लेकिन डोटासरा ने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ मिलकर दिल्ली से ऐसा दबाव बनाया कि गहलोत को गुढ़ा की बर्खास्तगी करवानी ही पड़ी। गुढ़ा को 21 जुलाई को विधानसभा में मणिपुर के मुद्दे पर प्रतिकूल बयान देने के आरोप में हटाया गया, जबकि गुढ़ा तो पहले भी सरकार और सीएम गहलोत के विरुद्ध बहुत कुछ बोल चुके हैं। गुढ़ा ने कुछ दिन पहले कहा था कि यदि अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री रहते हैं तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 11 सीटें भी नहीं मिलेंगी। कांग्रेस के विधायक एक फाच्र्यूनर गाड़ी में बैठ जाएंगे। यह बयान सीधा सीएम गहलोत पर हमला था।

राजेन्द्र गुढ़ा को बर्खास्त करने के लिए यह बयान पर्याप्त था, लेकिन तब भी गहलोत ने गुढ़ा को नहीं हटाया। 21 जुलाई वाला बयान तो राजनीतिक बयान था। जब फाच्र्यूनर कार वाले ब्यान पर ही गुढ़ा को नहीं हटाया तो अब इस राजनीतिक बयान पर आखिर क्यों हटाया गया ? जानकार सुत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत को पता था कि राजेंद्र गुढ़ा को छेड़ते ही आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ पर इनकम टैक्स और ईडी के छापे वाला मामला उछलेगा। उसके बाद राजनीतिक तौर पर गुढा को अपने पक्ष में रखना मुश्किल होगा। मंत्रीमंण्डल से बखास्त किये जाने के बाद गुढा ने भी वही किया। जिससे गहलोत की मुश्किले बढी है। अब भाजपा लाल डायरी को मुद्दा बना रही है।

राजेन्द्र गुढ़ा ही बसपा के विधायकों को कांग्रेस में लाए थे और पिछले पांच वर्षों में गहलोत के कहने से ही राज्यसभा चुनाव में दो बार कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट दिया। खुद मुख्यमंत्री ने भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया कि राजेंद्र गुढ़ा की वजह से ही वे आज मुख्यमंत्री हैं। हालांकि हाईकमान के दबाव में सीएम गहलोत ने गुढ़ा को बर्खास्त तो कर दिया, लेकिन अभी तक गुढ़ा के खिलाफ सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। गहलोत लाल डायरी के मुद्दे पर भाजपा को ही कोस रहे हैं। सूत्रों के अनुसार गुढ़ा की बर्खास्तगी के पीछे शेखावाटी क्षेत्र की जाट, राजपूत राजनीति भी रही है। डोटासरा ने गुढ़ा की बर्खास्तगी करवाकर शेखावाटी में एक तीर से कई निशाने लगाए हैं। डोटासरा और गुढ़ा दोनों ही शेखावाटी के हैं। राजनीतिक तौर पर कहा जा रहा है कि डोटासरा को प्रदेश प्रभारी रंधावा के जाट सिख होने का भी लाभ मिला है। बदली हुई परिस्थितियों में डोटासरा सीएम गहलोत को ओवरटेक करने का सोची समझी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। यह बात राखी गौतम की प्रदेश महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति से भी साबित होती है। मंत्रिमंडल में गहलोत के बाद दूसरे नंबर पर माने जाने वाले संसदीय और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने राखी गौतम को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया था। राखी गौतम और धारीवाल दोनों ही कोटा के हैं और राखी गौतम को धारीवाल महिला प्रदेशाध्यक्ष बनाने के पक्ष में नहीं थे।

जानकार सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री गहलोत ने भी डोटासरा को धारीवाल की राय को तवज्जो देने का इशारा किया था, लेकिन डोटासरा ने सीएम के इशारे को अनदेखा कर दिया। राखी गौतम को महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से शांति धारीवाल बेहद खफा बताए जा रहे है। सब को पता है इससे पहले भी डोटासरा और धारीवाल आमने सामने होते रहे हैं। संगठन को लेकर भी दोनों में छतीस का आंकड़ा रहा है। वैसे भी धारीवाल नहीं चाहेंगे कि कोटा में उनके समानान्तर कोई ओर राजनीति का केन्द्र बने। डोटासरा का आरोप है कि कोटा में धारीवाल की भाजपा नेताओं से सांठगांठ है, इसलिए भाजपा विचारधारा वाले सरकारी कार्मिकों के तबादले हो जाते हैं और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की सुनवाई ही नहीं होती। अब जब विधानसभा चुनाव में चार माह शेष रह गए हैं, तब देखना होगा कि डोटासरा का तना सीना अशोक गहलोत को कितना असहज करता है। यह तब है जब सचिन पायलट वाला विवाद दिलों में गहरी दूरियां बनाए हुए है और राजेन्द्र गुढा की लाल डायरी राजनीतिक गलियारों में चहलकदमी कर रही है।


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