- गन्ना प्रजाति को.-0238 बचाना है तो को.-15023 को बढ़ाएं
- को.-0238 को विकसित करने वाले डा. बक्शीराम की अपील
मुख्य संवाददाता |
शामली: भारत ही नहीं बल्कि विश्व में गन्ना फसल उत्पादन में क्रांति लाने वाली को.238 गन्ना प्रजाति के जनक डा. बक्शीराम ने गन्ना उत्पादक किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि अगर उनको को.-238 प्रजाति को बचाए रखना है तो फिर बिना किसी संकोच के को.-15023 व को.-0118 प्रजाति को बो सकते हैं। इससे गन्ना उत्पादकता भी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारत सरकार द्वारा गत 25 जनवरी को पदमश्री पुरस्कार के लिए नामित एवं गन्ना प्रजाति को.-0238 के जनक डा. बक्शीराम शामली पहुंचें। उसके बाद अपर दोबाब शुगर मिल, शामली के यूनिट हैड प्रदीप कुमार सालार, गन्ना महाप्रबंधक सुनील कुमार खोकर, एजीएम केन डवलपमेंट केपीएस सरोह, एजीएम केन दीपक राणा तथा नरेश कुमार के साथ चीनी मिल परिक्षेत्र के गांव गोहरनी, महरमपुर, करोड़ी व टपराना में खेतों पर गन्ना फसल का जायजा लिया। साथ ही, गन्ना प्रजाति को.0238 को लेकर किसानों से बातचीत की।
इसके बाद डा. बक्शीराम ने अपर दोआब शुगर मिल शामली में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि शुगर इंडस्ट्री से जुड़े स्टेक होल्डर्स के आर्थिक विकास में गन्ना प्रजाति को.-0238 का विशेष योगदान रहा है। गन्ना किसानों को भी इस प्रजाति का भरपूर प्यार मिला, लेकिन पिछले वर्षों से इस प्रजाति में लाल सड़न रोग व चोटी बेधक कीट का प्रकोप बढ़ा है। इसलिए प्रजाति को लम्बे समय तक स्वस्थ बनाए रखने के लिए किसान स्वस्थ बीज के चयन के साथ-साथ गन्ने का ऊपरी आधा हिस्सा ही बुआई में प्रयोग करें।
बीज शोधन के लिए फफूंदीनाशक रसायन थायोफिनेट मिथाइल की 100 ग्राम मात्रा को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर दो आंख के टुकड़ों को रात भर उपचारित करने के बाद ही बुवाई करें। भूमि शोधन के लिए ट्राइकोडर्मा 4 किग्रा प्रति एकड़ की दर से अवश्य प्रयोग करें। कूड़ से कूड़ की दूरी 4 फीट से कम ना रखे।