Thursday, June 19, 2025
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Dussehra 2024: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दशहरा, यहां जानिए पूजा विधि और रावण दहन का मुहूर्त

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिन्दू धर्म में दशहरे का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध करते हुए विजय हासिल की थी, जिस कारण से इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशहरे पर देशभर में कई जगहों पर रावण का दहन किया जाता है। इसके अलावा विजयादशमी पर शस्त्रों की पूजा भी होती है। तो आइए जानते हैं दशहरा पर्व की तिथि, पूजा विधि, रावण दहन का मुहूर्त

दशहरा तिथि 2024

शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने के बाद दशमी तिथि को दशहरे पर पर्व मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 13 अक्तूबर को सुबह 09 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में दशहरा पर्व 12 अक्तूबर को है।

दशहरा रावण दहन शुभ मुहूर्त

दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। वैदिक परंपरा के अनुसार विजयादशमी पर रावण दहन सूर्यास्त के बाद करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में 12 अक्तूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त का समय शाम 5 बजकर 52 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 26 तक रहेगा।

दशहरा पूजा विधि

दशहरे की पूजा दोपहर के समय करना उत्तम रहता है। रावण का दहन प्रदोष काल में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। दशहरा पर बही-खाते की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। इससे अलावा दशहरे पर शमी के वृक्ष का भी पूजन करना शुभ और विशेष लाभकारी माना गया है। इस दिन गाय के गोबर से षट्कोणीय आकृति बनाकर 9 गोले व 2 कटोरियां बनाई जाती हैं। इन कटोरियों में से एक में चांदी का सिक्का और दूसरी में रोली, चावल, जौ व फल रख दें। इसके बाद रोली,चावल, पुष्प और जौ के ज्वारे से भगवान राम का स्मरण करते हुए पूजा करें। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन चंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती का पाठ व हवन करने का विशेष महत्व है।

क्यों मनाया जाता है दशहरा

दशहरा का त्योहार असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन 10 दिन से चलने वाले युद्ध में मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया था और भगवान राम ने रावण का अंत करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस वजह से इस दिन शस्त्र पूजा, दुर्गा पूजा, राम पूजा और शमी पूजा का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें जीत अवश्य मिलती है

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