Friday, March 29, 2024
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धरती प्यासी, अफसर बेखबर

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  • रजवाहे, माइनर हुए नाली में तब्दील
  • साफ-सफाई के नाम पर केवल होती है खानापूर्ति
  • टेल तक नहीं पहुंच रहा पानी

जनवाणी संवाददाता |

सरूरपुर: किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए रजवाहे व माइनर अवैध कब्जे और लापरवाही का शिकार होकर रह गए हैं। समय पर साफ-सफाई और पानी नहीं आने के कारण ज्यादातर माइनर, रजवाहे नाली और नालों में तब्दील होकर रह गए हैं। किसान केवल सिंचाई विभाग को शुल्क देकर मजबूरीवश खानापूर्ति कर रहे हैं। जबकि कई रजवाहे क्षेत्र में ऐसे हैं।

जहां सालों से पानी तक नसीब नहीं हुआ। यही नहीं लोगों ने रजवाहे माइनर में गंदगी और गोबर से भरकर उन्हें गंदे नाले में तब्दील कर कर रख दिया है। विभागीय लापरवाही पर कर्मचारियों की हिलाहवाली से क्षेत्र में किसानों को न तो समय पर पानी मिल पा रहा है और नहीं फसल की सिंचाई कर पा रहे हैं। जिसके कारण किसान महंगी बिजली से खेतों की सिंचाई करने पर मजबूर हैं।

सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई का मुख्य साधन रजवाहा और माइनर अब बीते समय की बात नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में यूं तो कहने को आधा दर्जन से अधिक रजवाहे व माइनर निकलते हैं, लेकिन पिछले कई सालों से रजवाहे व माइनर केवल इतिहास और बातों में सुनाई पड़ते हैं। कई रजवाहे माइनर हैं। जिनमें कई सालों तक से पानी देखने तक को मयस्सर नहीं हुआ है।

हालांकि वह अलग बात है कि किसान लगातार इसका शुल्क सिंचाई विभाग को अदा कर रहे हैं, लेकिन सिंचाई विभाग की घोर लापरवाही और निचले स्तर के कर्मचारियों की हीलाहवाली के कारण रजवाहे माइनर नाली और नालों में तब्दील होकर रह गए हैं। हर्रा-जसड़ रजवाहे माइनर की बात करें तो लगभग 48 किमी लंबे इस माइनर में पानी जैनपुर से लेकर हर्रा तक पिछले सात साल से किसानों को मयस्सर तक नहीं हुआ है।

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टेल तक पानी पहुंचाने के सिंचाई विभाग के दावों को पोल खोल रहा यह रजवाहा अब कुछ दबंग लोगों की वजह से नाली में तब्दील होकर रह गया है। कस्बा हर्रा में रजवाहे में गोबर और गंदगी डालकर इसे नाले का रूप दे दिया गया है। डेयरी की गंदगी और गोबर रजवाहे में बहाया जा रहा है। हालांकि इस मामले में विभाग द्वारा कई बार कार्रवाई के लिए एफआईआर कर इतिश्री कर ली गई, लेकिन बेअसर रहा। आज भी रजवाहा गंदगी और गोबर से अटा पड़ा है। सफाई के नाम पर यहां में कागजों में खानापूर्ति की जाती है।

ग्रामीणों की मानें तो पिछले सात साल में इस माइनर में ना तो एक बूंद पानी मयस्सर हुआ है और नहीं आज तक इसकी साफ-सफाई की गई है। यही नहीं इसके अलावा भूनी माइनर लगभग 12 किमी लंबा और जसड़ माइनर भी लगभग 12 किमी लंबा है, लेकिन पानी टेल तक पहुंचने के दावे हवा-हवाई हैं। साफ-सफाई के नाम पर केवल सड़कों के आसपास गुजरने वाले अधिकारियों की नजरों में विभाग साफ-सफाई करके खानापूर्ति कर रहा है।

टेल तक पानी पहुंचना किसानों के लिए दूर की बात हो चुकी है। किसान लगातार सिंचाई के लिए महंगी बिजली से की ट्यूबवेल से पानी के पानी से सिंचाई करने पर मजबूर हैं। जबकि लगातार सिंचाई विभाग द्वारा किसानों से सिंचाई करने का शुल्क लिया जा रहा है। साफ-सफाई नहीं होने के कारण ज्यादातर रजवाहे में माइनर नाली, नालों में तब्दील होकर रह गए हैं और किसानों के लिए सिंचाई दूर की बात हो चली है।

हालांकि विभाग द्वारा समय-समय पर साफ-सफाई का दावा और पानी हर सप्ताह मिलने का दावा होता रहा है, लेकिन इसकी हकीकत से ग्रामीण रूबरू है और रजवाहे से सिंचाई करना दूर की बात कहकर अफसोस भी जताते हैं। राइट जौली माइनर भी साफ-सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। सरूरपुर व करनावल के ग्रामीणों की मानें तो जिस समय पानी की किसानों का आवश्यकता होती है।

माइनर में पानी मयस्सर नहीं होता है, लेकिन विभाग द्वारा समय पर साफ-सफाई के लिए खानापूर्ति की जाती है। जिसे टेल तक पानी पहुंच ना दूर की बात है। किसानों से इसका शुल्क लगातार लिया जाता रहा। रोहटा क्षेत्र में भी अमूमन रजवाहे व माइनरों की यही हालत है रसूलपुर मढ़ी राजवाहे तो ग्रामीणों की मानें तो कई साल पानी देखे हुए हो गए हैं।

साफ-सफाई के नाम पर माइनर में आज भी लंबी घास, फूंस जमी खड़ी है। ग्रामीणों का आरोप है कि रजवाहे से सिंचाई करना अब किसानों के लिए दूरगामी हो चला है। कुल मिलाकर रजवाहे और माइनर किसानों पर एक बोझ बनकर शुल्क के रूप में रह गए पानी के नाम पर किसानों को विभाग दिखा रहा है तो केवल ठेंगा।

खेतों में पानी नहीं, पहुंच रहा केमिकल युक्त गोबर

सिंचाई के लिए नाम से जाने वाले रजवाहे माइनर में अब डेयरियों का गंदा केमिकल युक्त गोबर जरूर बह रहा है। किसानों की मानें तो रजवाहे में पानी मयस्सर तो नहीं होता, लेकिन इतना जरूर है कि बारिश होने पर यह गंदगी केमिकल युक्त गोबर बेहकर किसानों के खेतों में जरूर पहुंच जाता है, जो सिवाय फसल की बबार्दी के कुछ और नहीं कर पाता है।

किसानों को दुख है कि पानी तो मयस्सर नहीं होता, लेकिन केमिकल युक्त गोबर उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई तबाह कर देता है। इसे लेकर वह कई बार शिकायत करके थक हार कर बैठ चुके हैं, लेकिन आज तक न तो राजवाहे का केमिकल युक्त गोबर समाप्त हुआ और नहीं खेतों तक पानी पहुंचा।

रजवाहे से सिंचाई करना अब दूर की बात

कभी सिंचाई का मुख्य स्रोत माने जाने वाले रजवाहे व माइनर अब समय के साथ और विभाग की लापरवाही के कारण दूर की बात होते नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में अगर रजवाहे माइनर की बात करें तो रजवाहे से सिंचाई करना अब सपने जैसा लगने लगा है। किसानों का कहना है तो कितने टाइम तक पानी नहीं पहुंचने से पूरे सप्ताह पानी आने का इंतजार ही रहता है।

किसानों का कहना है कि गर्मी के समय और सिंचाई के दौरान पानी आना बड़ा मुश्किल काम है। इसे लेकर किसानों मुजम्मिल, जब्बार, मोबिन, विनोद, रणजीत व तोहिद आदि विभाग पर तंज कसते हुए कहा कि अब रजवाहे माइनर केवल बच्चों के स्नान करने के काम आ रहे हैं। सिंचाई करना दूर की बात हो चली है।

अधिकारी बोले-समय पर होती है सफाई, टेल तक पानी पहुंचाने का रहता है प्रयास

विस्तार से बताया कि जसड़, भूनी माइनर की सफाई अक्टूबर-नवंबर के समय पर की जाती है और टेल तक पानी पहुंचाने का पूरा प्रयास रहता है, लेकिन सप्ताह में एक बार पानी पहुंचने का शेड्यूल होने के कारण पानी पहुंचने से पहले ही शेड्यूल समाप्त होने के कारण टेल तक पानी पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

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हर्रा माइनर में गोबर-गंदगी बहाने के मामले में उन्होंने साफ किया कि वह एफआईआर करा चुके हैं और इसकी साफ-सफाई के लिए भी प्रयासरत हैं अब सख्त कार्रवाई अमल में लाई जानी बाकी रह गई है।

-प्रवीण कुमार, एसडीओ, गंगनहर, मेरठ

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