- प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के अभाव के चलते नहीं बढ़ रहे पंजीकरण
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भविष्य की नींव कही जाने वाली प्राथमिक शिक्षा का स्तर काफी गिरा है। अच्छी शिक्षा महंगी है और सरकारी शिक्षा का कोई महत्व नहीं रहा गया है। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और संसाधनों की कमी है। सरकारी विद्यालय शिक्षा के नाम पर मात्र औपचारिक हैं। स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है। सरकारी तंत्र स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद सोया है।
बता दें कि शिक्षा के मामले में जितना धन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के ऊपर बहाया जा रहा है उतना शायद अन्य आवश्यक क्षेत्रों में भी नहीं लगाया जाता। सर्व शिक्षा अभियान में बच्चों को मिड-डे मील से लेकर किताबों तक हर प्रकार की सुविधा देने का प्रयास किया जाता हैं, लेकिन सरकारी तंत्र की गलत नीति और व्याप्त भ्रष्टाचार में इसमें अड़ंगा है। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की बात करें तो इस पर लाखों रुपयों में भवन निर्माण हो चुका है।
स्कूलों की चारदीवारी आदि के माध्यम से स्कूलों की भौतिक स्थिति को कुछ चमकाने का काम जरूर किया गया है, लेकिन स्कूल अपनी वास्तविक पहचान खोते नजर आ रहे हैं। अच्छी शिक्षा में शिक्षकों की भारी कमी रोड़ा बनी हुई है। जनपद में शिक्षण कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए नगर क्षेत्र में ही चार सौ से अधिक शिक्षकों की कमी है। सूत्रों की माने तो जिले के नगरीय क्षेत्र में 13 स्कूल ऐसे है।
जहां एक भी शिक्षक मौजूद नहीं है और 25 से अधिक स्कूल एक शिक्षक के भरोसे है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है। इस स्थिति से प्राथमिक विद्यालयों में जहां शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
वहीं, बच्चों को रुझान इन स्कूलों की ओर से कम हो रहा है। स्कूलों में बच्चों की संख्या प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत तक घट रही है। माध्यमिक शिक्षा का भी यही हाल है। अच्छे स्कूलों के साथ जनपद में पांच सौ शिक्षकों की कमी है। अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने में अधिक विश्वास रखते हैं।
जनपद में विद्यालयों की संख्या
- जूनियर विद्यालय ग्रामीण क्षेत्र में 900
- नगरीय क्षेत्र में 128 विद्यालय
- 29 जूनियर विद्यालय
- 99 प्राइमरी स्कूल है