Wednesday, September 11, 2024
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प्रदूषण के दौर में ‘संजीवनी’ बन रहे ‘रैपिड’ के प्रयास

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  • आरआरटीएस प्राथमिक खंड पर लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्रदान कर रहे इलेक्ट्रिक वाहन
  • इलेक्ट्रिक बसें और आॅटो से प्रदूषण हो रहा कंट्रोल
  • प्रदूषण को कम करने में नए अध्याय की शुरुआत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की डिजाइन गति के साथ नव उद्घटित नमो भारत (रैपिड) ट्रेनें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में परिवहन के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिख रही हैं। एनसीआरटीसी के विशेष प्रयासों के चलते प्राथमिक खंड के रैपिड स्टेशनों से लास्ट माइल कनेक्टिविटी के कई विकल्प मिल रहे हैं। पराली जलाने व दीपावली के बाद पटाखों के धुएं से बने प्रदूषित वातावरण को चीरने में एनसीआरटीसी के यह विशेष प्रयास काफी काम आ रहे हैं।

रैपिड के प्राथमिक खंड के सभी पांचों स्टेशनों के बीच दौड़ रहीं इलेक्ट्रिक बसें एवं आॅटो रिक्शा के चलते प्रदूषण (उक्त क्षेत्र में) किसी हद तक नियंत्रित करने की लाख कोशिशें की जा रही हैं। एनसीआरटीसी ने इसी क्रम में गाजियाबाद सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के साथ मिलकर विभिन्न रूटों पर चलने वाली 50 वातानुकूलित इलेक्ट्रिक सिटी बसों को रैपिड के प्राथमिक खंड के विभिन्न स्टेशनों पर चलाने की व्यवस्था की है।

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खास बात यह कि इस व्यवस्था के अंतर्गत लोनी, कौशाम्बी, पुराना बस अड्डा (गाजियाबाद), डासना, मुरादनगर व मोदीनगर (गोविंदपुरी) से संचालित होने वाली वातानुकूलित इलेक्ट्रिक सिटी बसों को भी रैपिड स्टेशनों से जोड़ा गया है। इससे जहां प्रदूषण का स्तर काफी हद तक नियंत्रित होगा वहीं इस क्षेत्र के यात्रियों को मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के द्वारा सुगम एवं सुरक्षित यात्रा का तोहफा मिलेगा। यह इलेक्ट्रिक वाहन रैपिड स्टेशनों के मुख्य प्रवेश एंव निकास द्वारों से रैपिड यात्रियों को पिक और ड्रॉप कर रहे हैं।

मेरठ में रैपिड स्टेशनों पर भी ऐसी ही व्यवस्था की होगी शुरुआत

एनसीआरटीसी से जुड़े सूत्रों के अनुसार मेरठ में दूसरे चरण के दौरान जब रैपिड का संचालन शुरू होगा तब भी यहां रैपिड रूट एवं स्टेशनों पर इलेक्ट्रिक वाहनों को तरजीह दी जाएगी ताकि यहां भी प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके। रैपिड के प्राथमिक खंड पर इस समय इलेक्ट्रिक बसें और आॅटो रिक्शा के जरिए प्रदूषण से किसी हद तक पार पाने की कोशिशें की जा रही हैं।

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