- उद्योगपुरम में टूटी सड़कें, बिजली और पानी भी नहीं, दस साल से उठ रही है मांग
- 22 हजार से अधिक छोटी-बड़ी फैक्ट्री, लाखों लोगों को देती हैं रोजगार
ऋषिपाल सिंह |
मेरठ: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल का सामान, केमिकल, कालीन, पेपर, बैंड, कैंची आदि का निर्यात करने के बावजूद मेरठ के उद्यमी परेशान हैं। उन्हें न तो प्रदेश सरकार और न ही केंन्द्र सरकार का सहयोग मिल रहा है। उद्यमी मूलभूत सुविधाओं तक को तरस गए हैं। टूटी सड़कें, बिजली-पानी तक की व्यवस्था नहीं है, जबकि इन मांगों को उद्यमी बीते 10 वर्षों से भी अधिक समय से उठाते आ रह हैं।
प्रदेश और केन्द्र सरकार तक उनकी मांगों को अनसुना करती आ रही हैं। उद्यमियों की इन परेशानियों कई बार जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाया गया, लेकिन इनकी मांगे पूरी नहीं हुई। अगर ऐसा ही रहा तो वो दिन दूर नहीं जब यहां उद्योग नाम के लिये रह जाएंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ अपने उद्योग-धंधों के लिये प्रसिद्ध है। मेरठ में छोटी-बड़ी सभी ईकाइयों को मिलाया जाए तो इनकी संख्या लगभग 22 हजार के पार है। इन ईकाइयों में लगभग 70 लाख से भी अधिक लोग काम करते हैं। मेरठ के उद्योगपुरम में भल्ला स्पोर्ट्स, एसएस इंटरनेशनल, स्पोर्टलैंड, स्टैग इंटरनेशनल, जीबी स्पोर्ट्स समेत सैकड़ों की संख्या में बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं।
जिनका सामान विदेशों में निर्यात होता है। उसके बावजूद यहां फैक्ट्री संचालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मोहकमपुर में बीडीएस, एसजी समेत साईंपुरम में भी हजारों की संख्य में फैक्ट्री हैं यही हाल यहां का भी है।यहां उद्यमियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
बिजली-पानी की नहीं कोई व्यवस्था
उद्यमियों का कहना है कि उद्योगपुरम में बिजली और पानी की सही व्यवस्था न होने के कारण उद्यमियों को परेशान होना पड़ रहा है। पूरे उद्योगपुरम में पानी की व्यवस्था नहीं है, जिस कारण उद्यमियों को सबमर्सिबल लगाना पड़ता है।
यही हाल बिजली का कहना है बिजली की लाइन तो है पर यहां मौजूद किसी भी खंभे पर लाइट नहीं है, जिस कारण उद्यमियों ने अपनी फैक्ट्रियों के सामने अपने खर्च पर लाइटें लगा रही हैं। बिजली विभाग की ओर से किसी भी खंभे पर लाइट नहीं लगाई गई है। चोरी का भी खतरा बना रहता है।
नालियों से निकलता केमिकल, बीमारी का खतरा
फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल ड्रेनेज सिस्टम सही न होने के कारण सड़कों पर ही फैला रहता है। केमिकल सड़क पर फैलने के कारण यहां बीमारी का खतरा बना रहता है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला पानी व केमिकल सड़क पर रहता है जिस कारण यहां स्थिति बेहद खराब है।
अपने ही नेताओं ने किया दरकिनार
उद्यमियों का कहना है कि उनकी ओर से अपनी मांगों को कई बार प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार व क्षेत्र के सांसद तक के सामने रखा गया, लेकिन किसी ने भी उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया।
10 साल से भी अधिक बीत गये, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है। अगर यही हालात रहे तो वो दिन दूर नहीं जब मेरठ से उद्योगों की संख्या घटनी शुरू हो जाएगी।
10 बार से भी अधिक इन मांगों को सांसद और सरकार के सामने रखा गया, लेकिन इन मांगों को अनसुना कर दिया गया। बिजली-पानी और सड़कों की खराब हालत को नहीं सुधारा गया तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। हमे अपने खर्च पर इन व्यवस्थाओं को पूरा करना पड़ता है। -अनुराग अग्रवाल, चेयरमैन आईआईए |
ड्रेनेज सिस्टम सही न होने, सफाई न होने और बिजली पानी की समस्या से उद्यमी पिछले कई वर्षों से परेशान हैं। मोहकमपुर, साईंपुरम और उद्योगपुरम सब जगह यही हाल है। अपनी मांगों को उठाते आ रहे हैं और फिर से इन्हें सरकार व नेताओं के सामने रखा जाएगा। -पंकज गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष आईआईए |