- आनलाइन गेम्स और गैम्बलिंग की बेशुमार एप्स को लेकर अभी तक नहीं बना कानून
- शिकायतों के अंबार के बाद केन्द्र सरकार के कदम से जागी अभिभावकों में उम्मीद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कानून की नजर में जुआं आज भी सैकड़ों साल पुरानी परम्पराओं पर खेला जाए, तो ही जुएं के दायरे में आता है। इसको लेकर भले ही जुआं खेलने के तमाम नए साधन और मोबाइल एप्स आ गई हों, लेकिन जुआं रोकने के लिए जो कानून सैकड़ों साल पहले अंग्रेजी हुकूमत के समय बनाया गया था, आज भी वही काम कर रहा है। हालांकि इन दिनों केन्द्र सरकार ने निरंतर मिल रही शिकायतों के चलते इस दिशा में काम शुरू किया है, जिससे उन अभिभावकों में उम्मीद की किरण जागी है, जो आॅनलाइन गेम्स खेलकर समय और धन बरबाद करने वाले अपने पालकों के व्यवहार से आजिज आ चुके हैं।
अंग्रेजी हुकूमत ने सैकड़ों साल पहले सार्वजानिक जुआ अधिनियम-1867 बनाया था। इस कानून के तहत जुआंघर चलाने, इसे चलाने में किसी का सहयोग करने, जुएं में पैसा लगाने और जुआं उपकरण रखने आदि को अपराध के दायरे में रखा गया। आज भी जुएं के नाम पर पुलिस के स्तर से की जाने वाली कार्रवाई के दौरान दो प्रकार के जुआरी पकड़े हुए दिखाए जाते हैं। जिसमें एक सार्वजनिक स्थल पर सट्टे की खाईबाड़ी करने-कराने वाले लोग होते हैं।
जिनके कब्जे से चन्द रुपये और कागज पर लिखे नंबर की पर्चियां बरामद की जाती हैं। इसके अलावा ताश की गड्डी और कुछ रुपयों की बरामदगी के साथ बताया जाता है कि पकड़े गए लोग ताश के जरिये जुआं खेल रहे थे। अभी कुछ साल पहले से इसमें एक और माध्यम को पुलिस कार्रवाई का हिस्सा बनाया गया है। जिसमें खास तौर पर आईपीएल जैसे खेल के दौरान लैंडलाइन अथवा मोबाइल पर बातचीत रिकॉर्ड करने और उसमें लगाई जाने वाली राशि को जुएं की श्रेणी में रखकर गिरफ्तारी की जाती है।
इन तमाम गैम्बलिंग के साथ-साथ मोबाइल के इस दौर फिल्मी सितारों से लेकर जाने-माने खिलाड़ी तक किसी न किसी ऐप को प्रमोट करते दिख जाते हैं। जिसमें आॅनलाइन गेम्स खेलकर लाखों-करोड़ों की रकम कुछ ही घंटों में जीत लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस प्रकार के गेम्स भले ही गैम्बलिंग की श्रेणी में अभी तक न रखे जा सके हों, लेकिन मीडिया में आए दिन आने वाली रिपोर्ट साफ इशारा करती हैं, कि देश के विभिन्न हिस्सों में खासकर किशोरों और नवयुवकों ने अपने अभिभावकों की गाढ़ी कमाई को ऐसे गेम्स में उड़ा दिया है।
और पकड़े जाने के डर से अपनी ही जान से हाथ भी धो लिया है। ऐसे अनेक उदाहरण इंटरनेट पर सर्च करने के दौरान मिल जाते हैं। यह मामला इतना गंभीर हो चला है, कि इसको लेकर दिसंबर 2021 में राज्यसभा के भीतर भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी भारत में आॅनलाइन गेमिंग के नाम पर हो रहे गैम्बलिंग को रोकने के लिए कानून बनाने की माग रखी थी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि आॅनलाइन गेमिंग के लिए नियम का एक व्यापक ढांचा बनाया जाए।
ऐसे चलती है आनलाइन गैम्बलिंग
आॅनलाइन जुएं या गैम्बलिंग का मतलब आम तौर पर दांव लगाने और पैसे कमाने के लिए इंटरनेट का उपयोग होता है। यह एक कैसीनो की तरह ही है, लेकिन फर्क बस इतना है कि ये वर्चुअल तरीके से खेला जाता है। इसमें पोकर, स्पोर्ट गेम, कैसिनो गेम आदि शामिल हैं। यूजर्स आॅनलाइन पेमेंट मोड जैसे क्रेडिट, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई के जरिये दांव लगाते हैं। आॅनलाइन गेमिंग और आॅनलाइन गैम्बलिंग के बीच एक बहुत बारीक सी लकीर है।
मल्टीप्लेयर गेमिंग के जरिये खिलाड़ी अपने दोस्तों के साथ अच्छा टाइम पास कर सकते हैं। जबकि जुएं में एक-दूसरे के खिलाफ पैसे का दांव लगाया जाता है और खिलाड़ियों के बीच पैसों का लेन देन होता है। आॅनलाइन गैम्बलिंग के लिए यूजर्स को पहले पैसों की शर्त लगाना और धनराशि को संबंधित अकाउंट में जमा कराना जरूरी होता है।
आनलाइन गेमिंग के लिए जरूरी है एसआरओ की अनुमति
आॅनलाइन गेम्स के लिए जो नियम हैं, उनके अनुसार गेम डेवलपर को गेम रिलीज करने के लिए एसआरओ की अनुमति लेनी होगी। साथ ही गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर दोनों को सुनिश्चित करना होगा कि उन गेम्स को प्लेटफॉर्म पर जगह न दी जाए, जिनसे लोगों को नुकसान पहुंच सकता है। उन गेम्स का प्रमोशन नहीं किया जाएगा, जिन्हें एसआरओ से परमिशन नहीं मिली है। यही नहीं गेमिंग प्लेटफॉर्म पर सरकार से जुड़ी गलत जानकारी पब्लिश की जाती है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जोड़े जा सकते हैं नए नियम
आॅनलाइन गेम के खिलाफ बढ़ती शिकायतों को देखते हुए केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। एजेंसी की खबरों के अनुसार केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि सरकार ने आॅनलाइन गेम के खिलाफ ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इसमें नए नियमों को जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि देश में सट्टेबाजी वाले गेम, लत लगने वाले गेम और देश की सुरक्षा और लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले गेम पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। ऐसे में यही उम्मीद की जा रही है कि सरकार आने वाले दिनों में आॅनलाइन गेमिंग से जुड़ा बड़ा ऐलान कर सकती है।
पहले भी लाया जा चुका है बिल
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पिछले साल अप्रैल में कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने आॅनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) बिल-2022 पेश करते हुए अवगत कराया कि भारत में साल 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय आॅनलाइन गेमर्स हैं। साल 2021 में लगभग 390 मिलियन सक्रिय आॅनलाइन गेमर्स दर्ज किए गए थे। वहीं 2020 में 360 और 2019 में 300 मिलियन गेमर्स दर्ज किए गए। भारतीय आॅनलाइन गेमिंग क्षेत्र हर साल करीब 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसी बिल में बताया गया कि यह इंडस्ट्री साल 2025 तक पांच बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।
ऐसे गेम्स जो गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध होते हैं, उनके खेलने पर कानूनी रूप से अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। -अनित कुमार, एसपी क्राइम, मेरठ