Saturday, March 22, 2025
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दिव्य और दुर्लभ संयोग में मनेगा गुरु पूर्णिमा का पर्व

  • इस दिन लोग अपने-अपने गुरु की करते हैं पूजा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा सोमवार को मनाई जाएगी। इस तिथि पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। ये पर्व गुरु को समर्पित है। इस दिन लोग अपने-अपने गुरु की पूजा करते हैं, उन्हें उपहार देते हैं। शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी बढ़कर बताया गया है। गुरु ही हमें धर्म और अधर्म का भेद बताते हैं। जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते बताते हैं।

महर्षि वेद व्यास की जन्म तिथि है आषाढ़ पूर्णिमा

ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि पुराने समय में आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी ने वेदों का संपादन किया, महाभारत, श्रीमद् भागवद् गीता, 18 पुराणों की रचना की थी। वेद व्यास की जयंती पर ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।

गुरु पूर्णिमा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 2 जुलाई को रात्रि 10:21 पर होगा और इस तिथि का समापन 3 जुलाई को शाम 5:08 पर हो जाएगा। ऐसे में गुरु पूर्णिमा पर्व 3 जुलाई सोमवार के दिन मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा शुभ संयोग

आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान गुरु से दीक्षा एवं आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। ब्रह्म योग 3 जून को शाम 3:35 तक रहेगा

और इसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा। वहीं, बुधादित्य राजयोग पूरे दिन रहेगा। इन शुभ योग में गुरुओं से दीक्षा लेना शुभफलदायी होगा। गुरु की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। जीवन के कष्ट दूर होंगे और सफलता की राह आसान होगी।

योग का समय

  • ब्रह्म योग: 2 जुलाई को रात 7 बजकर 26 मिनट से 3 जुलाई दोपहर 3 बजकर 45 तक रहेगा।
  • इंद्र योग: 3 जुलाई दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से 4 जुलाई सुबह 11 बजकर 50 मिनट तक।

गुरु पूर्णिमा पर दान जरुर करे

वर्षा ऋतु शुरू हो गई है। बारिश के दिनों में जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज के साथ ही कपड़े और छाते का दान जरूर करें। गुरु पूर्णिमा पर दान-पुण्य करेंगे तो इसका अक्षय पुण्य मिल सकता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवन भर बना रहता है। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भी भेंट कर सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा किस प्रकार मनाए

वैसे तो हर रोज गुरु की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि गुरु के बिना हमारे जीवन में प्रकाश नहीं आता है, लेकिन गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन अपने गुरु को नए कपड़े, कोई उपहार, शॉल, श्रीफल या कोई अन्य भेंट दे सकते हैं। गुरु को तिलक लगाएं। हार-फूल की माला पहनाएं। गुरु के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। उनके उपदेशों सुनें और उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प लें।

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