- यक्ष प्रश्न: आधुनिक लाइट की व्यवस्था होने के बाद भी रात में नहीं हो रहे पोस्टमार्टम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बदलते युग में तमाम आधुनिक सुविधाओं के बीच जीवन शैली नया आवरण धारण कर चुकी है। लेकिन किसी के हादसे या अस्वाभाविक रूप से मौत का ग्रास बनने के कारण गम में डूबे परिवार वालों को शीघ्र शव सौंपने की दिशा में आज भी अंग्रेजों के समय का कानून लागू चला आ रहा है। मृत्यु का कारण जानने के लिए किए जाने वाले पोस्टमार्टम के लिए आज भी सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच की व्यवस्था बदलने का नाम नहीं ले रही है।
रात में नहीं किया जाता पोस्टमार्टम
शवों का पोस्टमॉर्टम करने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच का होता है। इससे पहले या बाद में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। इसके पीछे तर्क यह चला आ रहा है कि रात के समय कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग बदला हुआ दिखाई देता है। यह लाल के बजाय बैंगनी नजर आता है।
प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी में चोट के रंग अलग-अलग दिखने से पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। ऐसे कुछ मामले नजीर भी बने हुए हैं। वहीं विशेष परिस्थितियों में डीएम के स्तर से विशेष अनुमति के बाद पोस्टमार्टम रात के समय भी किए जाते हैं। ऐसे मामले अधिकांश सड़क हादसों से जुड़े होते हैं।
नवंबर 2021 में जारी हो चुके हैं संशोधित आदेश
प्रदेश में पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं वाले अस्पतालों में अब सूर्यास्त के बाद भी पोस्टमार्टम करने के लिए नवंबर 2021 के तीसरे सप्ताह में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की ओर से एक आदेश जारी किया गया। जिसमें केंद्र सरकार के 15 नवंबर को जारी आदेश को आधार बनाया गया।
जिसमें सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम किए जाने का आदेश जारी कर अंग्रेजों के जमाने की व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास किया गया है। इसमें व्यवस्था दी गई कि रात के समय किए जाने वाले सभी पोस्टमार्टम की वीडियो रिकार्डिंग की जाएगी। केन्द्र और प्रदेश सरकार के स्तर से जारी किए गए।
इस संशोधित आदेश को हादसों, हत्या व अस्वाभाविक मृत्यु के मामलों में अपनों को खोने वाले परिवारों के दर्द पर मरहम के रूप में देखा गया। इस आशय के शासनादेश में स्वास्थ्य विभाग को रात में पोस्टमार्टम करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा गया। लेकिन यह व्यवस्था कम से कम मेरठ मेडिकल कालेज में बनाए गए पोस्टमार्टम हाउस में आज तक लागू नहीं हो सकी है।
रोशनी का अभाव रहा एक बड़ा कारण
जिस दौर में केवल दिन के समय ही पोस्टमार्टम किए जाने के संबंध में यह कानून बनाया गया, उस समय अधिकतम टॉर्च और पेट्रोमैक्स की रोशनी थी उपलब्ध हो सकती थी। आज के दौर में तेज रोशनी के नए-नए उपकरण ईजाद किए जा चुके हैं। जिनकी बदौलत रात में भी दिन जैसी रोशनी का प्रबंध कर पाना मुश्किल नहीं रह गया है। ऐसे में रात के समय पोस्टमार्टम पढ़ने की केंद्र और प्रदेश सरकार की मंशा को अमलीजामा पहनाए जाने की जरूरत है।
पोस्टमार्टम दिन में करने के संबंध में शासनादेश ही लागू है। विशेष परिस्थितियों में डीएम के आदेश पर पोस्टमार्टम कराया जा सकता है। दिल्ली समेत विभिन्न महानगरों में भी दिन में ही पोस्टमार्टम किए जाते हैं। पुलिस से प्राप्त होने वाले अभिलेखों के आधार पर पोस्टमार्टम सुबह 10 बजे से भी शुरू करा दिए जाते हैं। -डा. अखिलेश मोहन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मेरठ