Saturday, July 27, 2024
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लापरवाही की हद: अब छांटा जा रहा तीन वर्ष का हिसाब

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  • निगम में लेखा विभाग अब तीन वर्ष के विकास कार्यों का करा रहा मिलान
  • वर्ष 2020-21 वर्ष 2021-22 वर्ष 2022-23 में कितना रुपया खर्च हुआ, कितना शेष

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नगर निगम में कितना रुपया शासन से विकास कार्यों के लिए स्वीकृत हुआ और कितना रुपया विकास की योजना पर खर्च किया गया। उसका वित्तीय वर्ष के हिसाब से सटीक रिकॉर्ड निगम में उपलब्ध नहीं हैं, जिसको लेकर अब निगम में लेखा विभाग तीन वर्ष के विकास कार्य एवं उस पर खर्च किए गए बजट से मिलान कर रहा रहा है। ताकि जो पुरानी सेविंग शेष निगम के खाते में पड़ी है।

उसको आगामी वित्तीय वर्ष की कार्य योजना में शामिल कर शहर के विकास की गति को तेज किया जा सके। अभी 2020-21 के वित्तीय वर्ष में करीब 19 करोड़ रुपये से अधिक की सेविंग बचत के रूप में खाते में मिली है। वहीं, दो वर्ष की इसी तरह से सेविंग का रिकॉर्ड चेक कराया जा रहा है। जो धन सेविंग के रूप में निगम के खाते से उपलब्ध होगा उसे आगामी बजट में जोड़कर विकास कार्यों की कार्य योजना तैयार की जा सकेगी।

नगर निगम में शासन से स्वीकृत बजट एवं बोर्ड बैठक के दौरान जो प्रस्ताव विकास कार्यों के लिए निगम द्वारा पास किए गए उनको धरातल पर किस तरह से क्रियान्वयन किया गया। शासन से कितना बजट योजनाओं के विकास के लिए स्वीकृत हुआ कितनी कार्य योजना तैयार हुई। किन-किन योजनाओं पर बजट खर्च किया गया। कितनी योजनाओं पर विकास कार्य नहीं हो सका, जोकि अधर में लटक गई। जिसका बजट तो पास हुआ, लेकिन वह खर्च नहीं हो सका। वह पैसा स्वीकृत होने के बाद खर्च नहीं हुआ और वह निगम के खाते में सेविंग के रूप में पड़ा है।

वहीं, किस योजना पर कितना बजट पास हुआ कितना खर्च हुआ शेष कितना धन बचा उसका भी निगम में लेखाजोखा तो हैं, लेकिन वह वित्तीय वर्ष के रिकॉर्ड में शामिल नहीं हैं। वह अलग-अलग खातों में सेविंग के रूप में पैसा पड़ा हुआ है। जिसमें यदि तीन वर्ष के योजनाओं पर खर्च के बाद जो शेष रुपया सेविंग के रूप में बचा है। उससे शहर का काफी विकास हो सकता था, लेकिन उसकी सटीक जानकारी संबंधित लिपिकों द्वारा लेखा विभाग में उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसमें अब मुख्य लेखाधिकारी जितेंद्र प्रसाद यादव द्वारा जानकारी जुटाई जा रही है।

ताकि जो शेष धन निगम के खाते में पूर्व की योजनाओं का शेष पड़ा हुआ है। वह आगामी बजट के साथ मिलाकर विकास कार्यों पर खर्च किया जा सके। अब मुख्य लेखाधिकारी जितेंद्र प्रसाद यादव द्वारा अब ऐसे पैसे की छटनी कराई जा रही है। जिसमें उन्होंने बताया कि अभी तक तीन वर्ष में से एक का वित्तीय वर्ष 2020-21 के बारे में ही जानकारी उपलब्ध हो सकी है। जिसमें वित्तीय वर्ष 2020-21 में करीब 19 करोड़ से अधिक रुपये विभिन्न योजनाओं पर खर्च होने से बच गया था या फिर उन योजना एवं प्रस्तावों पर खर्च नहीं हो सका था, जोकि बोर्ड बैठक में पास हुए थे।

इस पैसे को आगामी बजट के साथ शहर के विकास पर खर्च किया जायेगा। एक वर्ष में 19 करोड़ के करीब रुपया मिला है। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए विकास कार्य एवं खर्च किए गए बजट का मिलान कराया जा रहा है। जल्द ही दो वर्ष की रिपोर्ट भी आने के बाद जो शेष धन खाते में मिलेगा उस रुपये से शहर के विकास को गति मिलेगी। वहीं, किनकी लापरवाही से यह सटीक जानकारी लेखा विभाग को उपलब्ध अभी तक नहीं हो सकी थी, उस पर उन्होंने कुछ नहीं बोला।

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