जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मास्टर प्लान पर किसानों को आपत्ति है। 25 वर्ष से एनएच-58 पर किसानों की जमीन पर एक सौ मीटर की ग्रीन बेल्ट मेरठ विकास प्राधिकरण ने मास्टर प्लान में घोषित कर रखी है। जहां पर एमडीए की कॉलोनी है, वहां पर ग्रीन बेल्ट कैसे खत्म कर दी गई? इसको लेकर किसानों की भौंहे चढ़ रही है।
मास्टर प्लान 2031 की वर्तमान में प्लानिंग चल रही है। इसको लेकर एमडीए ने मास्टर प्लान तैयार कर रही आॅल मोड कंपनी को नोटिस भी भेजा है, जिसमें चार माह की प्रगति रिपोर्ट मांग ली है।
ग्रीन बेल्ट को लेकर किसान परेशान है। क्योंकि किसानों की जो जमीन एनएच-58 पर आयी थी, वो ग्रीन बेल्ट के दायरे में आ गई है। इस तरह से किसानों की जमीन खाली पड़ी हुई है। क्योंकि 100 मीटर जमीन एनएच-58 के सेंटर से लेकर किसानों के खेत तक आती है।
इसमें किसान अपना मकान तक नहीं बना सकता। ग्रीन बेल्ट में रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप ही संचालित कर सकते हैं। कोई और व्यावसायिक गतिविधियां नहीं चला सकते। अब नये सिरे से मास्टर प्लान 2031 तैयार किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों ने भी ग्रीन बेल्ट का मुद्दा उठा दिया है।
किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल एमडीए सचिव प्रवीणा अग्रवाल से भी मिला तथा उनके सामने हाईवे की ग्रीन बेल्ट को खत्म करने की मांग की। कहा कि ग्रीन बेल्ट में भी भेदभाव किया गया है। ग्रीन बेल्ट किसान की जमीन में 100 मीटर है, जबकि एमडीए की श्रद्धापुरी व सैनिक विहार कॉलोनी में ग्रीन बेल्ट एमडीए ने क्यों खत्म की?
क्योंकि वहां पर एमडीए की कॉलोनी का मामला था,यहां पर किसान की जमीन थी,चाहे जहां तक ग्रीन बेल्ट को छोड़ा जा सकता था। किसानों के तेवर तीखे है। समाज सेवी एवं किसान नेता कृष्ण चौधरी ने कहा कि सरधना बाइपास से मोदीपुरम तक ग्रीन बेल्ट खत्म होनी चाहिए या फिर इसकी दूरी कम की जाए।
क्योंकि इससे किसान प्रभावित हो रहा है। किसानों सबसे कमजोर है,इसलिए ग्रीन बेल्ट बढ़ाई गयी है। किसान जब आंदोलित होगा तो उसकी पूर्ण जिम्मेदारी एमडीए की होगी।
कंपनी को भेजा नोटिस
पिछले चार माह से मास्टर प्लान 2031 पर काम चल रहा है। यह काम प्राइवेट कंपनी आल मोड को दिया गया है,जिसमें आन लाइन मास्टर प्लान तैयार करने का दावा किया जा रहा है,लेकिन चार माह के भीतर मास्टर प्लान पर कितना काम किया है,इसको लेकर एमडीए ने नोटिस भेजकर रिपोर्ट मांग ली है।
यही नहीं, इसका प्रदर्शन करने के लिए भी कहा गया है। हाल ही में लखनऊ स्तर से भी इसको लेकर पूछताछ हुई है। धीमे चल रहे कार्य को लेकर शासन स्तर से भी फटकार लगी है, जिसके बाद ही एमडीए ने नोटिस जारी किया है।