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फादर जोनाथन अपनी उदारता के लिए प्रसिद्ध थे। वह हर समय हर किसी की मदद के लिए तैयार रहते थे। एक दिन उनके घर से उनका चांदी का कीमती फूलदान गायब हो गया। उनकी पत्नी कैरोलिन ने सोचा कि अगर बाहर का कोई चोर होता तो वह जरूर ज्यादा चीजें ले जाता।
अक्सर घर में हुई चोरी का शक सबसे पहले घर के नौकर पर ही जाता है। कैरोलीन को भी यही लगा कि यह नौकरानी सामंथा का काम होगा। कैरोलिन ने अपने मन की बात फादर को बताई, पर उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कैरोलिन से इसे भूल जाने को कहा, पर वह इस मामले को भूलने के लिए तैयार नहीं थीं।
फादर के लाख समझाने पर भी कैरोलीन नहीं मानीं और उन्होंने सामंथा से इस बारे में सख्ती से पूछताछ की, पर उसने साफ कहा कि उसने चोरी नहीं की है। इसके बाद भी कैरोलिन का मन शांत नहीं हुआ।
फादर ने उन्हें फिर कहा कि इस मामले को ज्यादा तूल देना सही नहीं है, लेकिन कैरोलीन ने इस मामले को धर्म न्यायालय में ले जाने का फैसला किया, ताकि धर्म गुरुओं के सामने सामंथा अपना गुनाह कबूल कर ले। कैरोलिन को तैयार होते देख फादर ने भी अपना चोगा उठाया और चर्च जाने के लिए तैयार होने लगे।
उन्हें तैयार देख कैरोलिन ने कहा, ‘आप रहने दीजिए। वहां सबसे निपटने के लिए मैं ही काफी हूं।’ इस पर फादर बोले, ‘माना कि तुम्हें हर चीज की जानकारी है और तुम वहां ढंग से वाद-विवाद कर लोगी, पर सामंथा तो अनपढ़ है और अव्यावहारिक भी। वह ऐसे मामलों में कभी पड़ी नहीं। मैं उसका पक्ष रखूंगा।
अगर वह दोषी हुई तो उसे सजा मिलेगी और अगर अगर निर्दोष हुई, तो मैं उसे बचाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखूंगा।’ सामंथा के प्रति अपने पति के इस विश्वास को देखकर कैरोलिन ने अपना इरादा बदल दिया।
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