- विजिलेंस की जांच में दोषी पाए गए पावर के छह रिटायर्ड अफसरों में हड़कंप
- साल 2004 में टीजी-टू से अवर अभिंयता के प्रमोशन के मामले की जांच के शासन ने दिए थे आदेश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शासन के निर्देश पर की गई जांच के बाद विजिलेंस की रिपोर्ट पर पावर कारपोरेशन के छह रिटायर्ड बड़े अफसरों पर एफआईआर की कार्रवाई के बाद प्रमोशन मामलों से जुड़े दूसरे अफसरों में अफरा-तफरी मची है। जिस मामले को लेकर पावर के रिटायर्ड अफसरों पर एफआईआर लिखी गयी है,
वह टीजी-टू से अवर अभियंता के प्रमोशन से जुड़ा है। शासन के आदेश पर एफआईआर के बाद पावर के उन अफसरों पांव ठिठक गए हैं जो वर्तमान में चल रही टीजी-टू से अवर अभियंता के प्रमोशन की प्रक्रिया से सीधे जुड़े बताए जाते हैं। हालांकि वर्तमान जो प्रमोशन प्रक्रिया जारी है उसको लेकर पहले ही हाईकोर्ट में मेरठ के एक बड़े कर्मचारी नेता ने हाईकोर्ट में रिट दायर की हुई है।
ये है पूरा मामला
साल 2004 यानि करीब 20 साल पहले पावर कारपोरेशन में टीजी-टू से अवर अभियंता बनाए जाने को लेकर किए गए प्रमोशन की जांच के आदेश शिकायतो के चलते शासन ने दिए थे। मामले की जांच एसपी बिजिलेंस को सौंपी गयी थी। लंबी चली जांच के बाद पिछले दिनों विजिलेंस विभाग ने शासन को जांच रिपोर्ट प्रेषित कर दी। इस जांच रिपोर्ट में प्रमोशन के नाम पर किए गए घोटाले के आरोपों की पुष्टि की गयी है।
बताया गया है कि चहेतों को प्रमोशन के लिए तमाम कायदे कानून ताक पर रख दिए गए। ना खाता ना बही जहां फलां ने जी कहें वो ही सही इस कहावत के आधार पर अपनों अपनों को प्रमोशन करने वाले तब के अफसरों ने रेबड़ियां बांट दीं, लेकिन पता नहीं था कि जांच के आदेश हो जाएंग और फंसेंगे ही नहीं बल्कि एफआईआर भी हो जाएगी।
इनके खिलाफ एफआईआर
प्रमोशन घोटाले को लेकर पावर के जिन रिटायर्ड अफसरों के खिलाफ एफआईआर की गयी, उनमें विद्युत सेवा आयोग के तत्कालीन उपसचिव आरके राम, पीके श्रीवास्तव, लाल चंद्र, वीसी जोशी, अधिशासी अभियंता आलोक वर्मा, परीक्षा एजेंसी की संचालिका सरिता मिश्रा शामिल हैं। ये पूरा मामला 2004 में प्रमोशन के लिए करायी गयी परीक्षा से भी जुड़ा है। जिसका पदार्फाश विजिलेंस जांच में हो गया है।
प्रमोशन को लेकर बड़े अफसरों ने साधी चुप्पी
पूर्व के कथित प्रमोशन घोटाले को लेकर पावर कारपोरेशन में वर्तमान में चल रही प्रमोशन प्रक्रिया और उस प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गयी रिट के बाद अब इस मुद्दे पर पीवीवीएनएल के कोई भी बड़े अफसर मामले पर बात करने को तैयार नहीं है। उनका सिर्फ एक लाइन का उत्तर है कि यह मामला लखनऊ स्तर से देखा जा रहा है। स्थानीय स्तर पर प्रमोशन को लेकर कुछ लेना देना नहीं होता। जो कुछ होता है सब लखनऊ से किया जाता है।
मुंह पर कालिख पुतवाने के मामले की जांच कब तक लंबित
29 मई 2023 को नोएडा के मुख्य अभियंता द्वारा कर्मचारियों के मुंह पर कालिख पुतवाने का मामले की जांच में हो रही देरी से टीजी-टू में शामिल पीवीवीएनएल के तमाम स्टाफ में जबरदस्त नाराजगी है। इस नाराजगी का विस्फोट कभी हो सकता है। आरोप है कि 29 मई 2023 को रात्रि के समय नोएडा के मुख्य अभियंता राजीव मोहन द्वारा अपने कार्यालय बुला कर टीजी-2 कर्मचारी प्रवीन कुमार और उनके सहयोगी के मुंह पर कालिख पुतवा दी थी। इस मामले की जांच पश्चिमांचल एमडी द्वारा त्रिसदस्यीय जांच समिति गठित करके कराई गयी।
उक्त जांच की आख्या डिस्कॉम द्वारा निगम मुख्यालय लखनऊ को भेजी जा चुकी है। पीड़ित कर्मचारी द्वारा वर्णित प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किये जाने के लिए अनुरोध करने पर नोडल अधिकारी पीवीवीएनएल मेरठ द्वारा अवगत कराया गया कि प्रकरण मुख्य अभियंता से सम्बंधित होने के कारण सक्षम स्तर से निर्णय के लिए निगम मुख्यालय लखनऊ को प्रेषित की गयी है। परंतु तीन माह का समय बीतने पर भी निगम मुख्यालय से अभी तक कोई भी कार्रवाई दोषी अधिकारी के विरुद्ध नहीं किए जाने से असंतोष की बात सामने आ रही है।
एमडी पावर को पत्र
इस प्रकरण में एक दलित वर्ग के कर्मचारी का शोषण और उत्पीड़न हुआ है, जिसके कारण मामला अति संवेदनशील हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता और इति भ्रष्टाचार समाचार पत्र मेरठ के सह संपादक नरेश शर्मा ने चेयरमैन पॉवर कॉपोर्रेशन से मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेकर हस्तक्षेप करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।