जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने भारत सरकार से मिले पद्म विभूषण सम्मान को वापस कर दिया है। ऐसा उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध में किया है। बादल का कहना है कि वे किसानों के साथ किए जा रहे केंद्र सरकार के व्यवहार से आहत हैं।
जानकारी के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 2 दिसंबर को मुक्तसर के अपने गांव बादल से राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने किसानों के प्रति केंद्र के रुख से नाराज होकर पद्म विभूषण पुरस्कार वापस करने की इच्छा जताई थी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविद को लिखी तीन पन्ने की चिट्ठी में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ और नहीं है, मैं जो भी हूं किसानों की वजह से हूं। ऐसे में अगर किसानों को अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है।
बादल ने लिखा है कि किसानों के साथ जिस तरह का धोखा किया गया है, उससे उन्हें काफी दुख पहुंचा है। किसानों के आंदोलन को जिस तरह से गलत नजरिए से पेश किया जा रहा है, वो दर्दनाक है।
पूर्व मुख्यमंत्री के पद्म विभूषण सम्मान लौटाए जाने का शिअद ने भी समर्थन किया है। शिअद की ओर से जारी की गई विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी गई है। इसमें कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्र के अड़ियल रुख से नाराज होकर यह निर्णय लिया है।
कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से पहले ही नाता तोड़ चुका है। शिअद की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने इन कानूनों के विरोध में केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल केंद्र के खिलाफ काफी मुखर हुए थे और उन्होंने इन कानूनों के विरोध में तीन तख्तों से चंडीगढ़ तक ट्रैक्टर मार्च भी निकाला था।
प्रकाश सिंह बादल कद्दावर नेता हैं और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन का श्रेय उन्हीं को जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे थे। हालांकि अपने बेटे सुखबीर बादल को पार्टी की कमान देने के बाद से बादल इन दिनों राजनीतिक गतिविधियों से दूर थे। प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनकी पार्टी एनडीए के पहले सहयोगियों में से थी। सौम्य स्वभाव के बादल राजनीतिक समस्याओं को धैर्य से सुलझाने में महारत रखते हैं।