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जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का आज मंगलवार की रात में निधन हो गया। उनकी उम्र करीब 95 साल बताई जा रही है। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राजनेताओं ने बादल के निधन पर दु:ख जताया है।
पीएम मोदी ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल के निधन से अत्यंत दु:ख हुआ। वह भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे। वे एक उल्लेखनीय राजनेता थे, जिन्होंने हमारे देश के लिए बहुत योगदान दिया। उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक परिश्रम किया और कठिन समय में राज्य को सहारा दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी जताया दु:ख
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर ट्वीट करके शोक जताया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी प्रकाश सिंह बादल के निधन पर दुख जताया। राजनाथ सिंह ने ट्विटर पर लिखा कि प्रकाश सिंह बादल एक राजनीतिक दिग्गज थे, जिन्होंने कई दशकों तक पंजाब की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। उनके शोक संतप्त परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।
नड्डा बोले- भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। वह भारतीय राजनीति की एक महान हस्ती थे, जिनका पंजाब के विकास में योगदान अतुलनीय है। उन्हें और उनके काम को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।
भगवंत मान ने शोक जताया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन पर ट्वीट कर शोक जताया। उन्होंने लिखा कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन का दुखद समाचार मिला… वाहेगुरु दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को दुख सहने की शक्ति दें।
पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक करियर
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वे 2022 में पंजाब विधानसभा का चुनाव हार गए थे।
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उन्होंने 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीते। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे।
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1957 में उन्होंने सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा।
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1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।
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वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
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वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने।
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मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते हुए जनता ने उन्हें लोकसभा सांसद के रूप में भी चुना।
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2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने।
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