जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: आज रविवार को दिल्ली के रामलीला में मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद का अधिवेशन चल था। आज अधिवेशन का आखिरी दिन था और मौलाना अरशद मदनी आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान पर हमलावर थे कि इसी बीच मदनी ने कुछ ऐसा बोला जिससे बवाल मच गया। इस बवाल के बाद अन्य संप्रदाय के निमंत्रित धर्मगुरूओं ने अधिवेशन का बायकाट करते हुए मंच छोड़ दिया और वहां से वापस चले गए। इस घटना ने जमीयत के असली मकसद का भंडाफोड़ कर दिया।
मौलाना अरशद मदनी के बयान के बाद मंच पर मौजूद जैन मुनि गुरू लोकेश ने खड़े होकर अपना कड़ा विरोध भी जताया। साथ ही कहा कि यह कार्यक्रम सभी धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, फिर इसमें आपत्तिजनक बयानबाजी क्यों?
अरशद मदनी के बयान के बाद जैन गुरू लोकेश मुनि ने आगे कहा कि आप ने जो कहा मैं उससे सहमत नहीं हूं। और न ही यहां मौजूद सभी धर्म के संत इससे सहमत हैं। ये जो कहानी ओम, अल्लाह, मनु, उनकी औलाद…ये सभी फालतू की बातें हैं। आपने सारा पलीता लगा दिया एकता की संभावना के सम्मेलन में।’
#WATCH दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी के संबोधन के बाद मंच पर उपस्थित आचार्य लोकेश मुनि (जैन मुनि) ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा, "हम उनके(अरशद मदनी) वक्तव्य से सहमत नहीं है। हम केवल आपस में मिलजुल कर रहने से सहमत हैं।" https://t.co/LB4GPrpL39 pic.twitter.com/kNSH849N42
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 12, 2023
बता दें की जमीयत उलेमा-ए-हिंद भारत के अग्रणी इस्लामिक संगठनों में से एक है। यह देवबंदी विचारधारा से प्रभावित है। इसकी स्थापना साल 1919 में हुई थी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 34 वां अधिवेशन चल रहा है। जिसका आज आखिरी दिन है। बता दें की दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी के बयान पर बवाल हो गया।
दरअसल, मौलाना अरशद मदनी ने कुछ ऐसा बयान दिया है जिसके बाद बाकि धर्मों में इसका विरोध शुरू हो गया है। बता दें की मदनी ने कहा की तुम्हारे पूर्वज हिंदू नहीं, मनु थे यानी आदम। उनके इस बयान के विरोध में अधिवेशन में पहुंचे अलग-अलग धर्मगुरु मंच छोड़कर चले गए।
दरअसल मदनी RSS चीफ के उस बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था- हिंदुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की 34वें अधिवेशन के आखिरी दिन मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि, ‘मैंने पूछा कि जब कोई नहीं था। न श्रीराम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे; जब कोई नहीं था तो मनु पूजते किसको थे। कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि मनु ओम को पूजते थे। ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि उसका कोई रूप-रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह हैं। अरे बाबा इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हें आप ईश्वर कहते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हजरत आदम जो नबी थे, सबसे पहले उन्हें भारत की धरती के भीतर उतारा। अगर चाहता तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस में उतार देता। वो भी जानते हैं, हम भी जानते हैं कि आदम को दुनिया में उतारने के लिए भारत की धरती को चुना गया।’
महमूद मदनी ने अपने संबोधन में कहा था कि मोहम्मद पैगंबर के खिलाफ किसी भी तरह की कोई बयानबाजी हमें मंजूर नहीं है। मुसलमान अपने पैगंबर के विरूद्ध कुछ भी गलत नहीं सुन सकता। उन्होंने कहा था कि आज शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है, जिसके अनुसार किसी भी धर्म की पुस्तकें दूसरों पर थोपी जा रही हैं। यह हमें (मुसलमानों) को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है। साथ ही यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ भी है। बता दें कि मौलाना अरशद मदनी जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख महमूद मदनी के चाचा हैं।