Thursday, March 28, 2024
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गंगा अमृत हॉस्पिटल पर लटकी कार्यवाही की तलवार ?

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  • कोरोना उपचार के लिए निर्धारित रेट से अधिक की वसूली
  • बिना वेंटिलेटर 30-35 हजार की आडियो हुई थी वायरल
  • डीएम की संस्तुति पर सीएमओ ने भेजा हॉस्पिटल को नोटिस

जनवाणी ब्यूरो |

शामली: प्रदेश सरकार द्वारा निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीज के उपचार के लिए निर्धारित रेट से अधिक वसूली करने के मामले में जनपद के गंगा अमृत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर कार्यवाही की तलवार लटकती नजर आ रही है। शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा हॉस्पिटल को नोटिस थमा दिया गया है।

प्रशासन ने जनपद के गंगा अमृत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल तथा ग्लोबल शांति केयर हॉस्पिटल को चिह्नित किया था। इन दोनों प्राइवेट हॉस्पिटलों में एल-2 श्रेणी की सुविधाएं कोरोना पॉजिटिव मरीज के लिए उपलब्ध हैं। साथ ही, कोरोना संक्रमित मरीज इलाज के लिए शासन ने रेट लिस्ट प्रतिदिन के हिसाब से निर्धारित की है।

शामली छोटा जनपद है इसलिए यहां हायर हॉस्पिटल को सी कैटेगिरी में रखा गया है। सी कैटेगिरी के हॉस्पिटल में कोविड पॉजिटिव मरीज के इलाज के लिए प्रतिदिन 10 हजार, आईसीयू में प्रतिदिन 15 हजार तथा वेंटीलेटर के लिए 18 हजार रुपये निर्धारित है।

सरकारी व्यवस्था को धता बताते हुए गंगा अमृत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल पर कोविड पॉजिटिव मरीज के बिना वेंटिलेटर के इलाज के लिए प्रतिदिन 30-35 हजार रुपये वसूलने की 50 सैकेंड की आडियो मई माह में वायरल हुई थी। दैनिक जनवाणी ने 17 मई के अंक में ‘हॉस्पिटल बिना वेंटिलेटर के वसूल रहे 30-35 हजार प्रतिदिन’ खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया था।

साथ ही, जिलाधिकारी जसजीत कौर ने तत्काल प्रकरण प्राइवेट अस्पतालों में बिलिंग की जांच के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी की नेतृत्व में जांच टीम गठित कर दी थी। अगले दिन यानी 18 मई को भाजपा के जिला मंत्री विवेक प्रेमी ने भेज शासन में शिकायत की थी लेकिन शिकायत में अस्पताल के नाम का उल्लेख नहीं किया था।

डीएम ने इस मामले में जांच एसडीएम सदर संदीप कुमार को सौंपी थी। साथ ही, गत 6 मई को गंगा अमृत हॉस्पिटल में कोरोना पॉजिटिव शिक्षिका ललतेश ने 7 दिन के उपचार के 1.75 लाख की डिमांड करने के आरो लगाते हुए जिलाधिकारी से शिकायत की थी।

तीन बिंदुओं पर अस्पतालों की मांगी थी रिपोर्ट

अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने गत 29 मई को एक पत्र प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को भेजते हुए निजी अस्पतालों में उपचार कराने पर 3 बिंदुओं का हवाला निजी अस्पतालों की सूची भेजी थी। इन तीन बिंदुओं के आधार पर जनपदवार अस्पतालों के नाम दिए गए थे। इसमें पहले बिंदु में अवैध वसूली वाले अस्पताल, निर्धारित सरकारी रेट के अनुसार इलाज वाले निजी अस्पताल तथा ऐसे निजी हॉस्पिटल जिनको नोटिस जारी किए या फिर एफआईआर दर्ज कराई गई है।

अपर मुख्य सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में बिंदु-3 में नोटिस, एफआईआर वाले निजी अस्पताल में शामली का गंगा अमृत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल भी शामिल है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. संजय अग्रवाल ने जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद मंगलवार को गंगा अमृत स्पेशलिटी हॉस्पिटल को नोटिस भेजा गया है। इससे अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही की तलवार लटकती नजर आ रही है। शासन भी मामले को लेकर सख्त है।

गंगा अमृत के खिलाफ ये हैं शिकायतें

शिकायत नंबर-1

ऊन विकास खंड क्षेत्र के गांव गंगारामपुर खेड़की निवासी शिक्षिका ललतेश कोरोना पॉजिटिव थी। वह गंगा अमृत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में 6 दिन आईसीयू तथा एक दिन आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रही। ललतेश ने गत 6 मई को जिलाधिकारी जसजीत कौर से शिकायत करते हुए 7 दिन के इलाज के नाम पर उसका बिल 1.75 लाख रुपये का बनाया गया।

इस शिकायत पर सीएमओ डा. संजय अग्रवाल ने अस्पताल को पहला नोटिस 13 मई को भेजा। उसके बाद रिमाइंडर के रूप में दूसरा तथा अंतिम नोटिस 29 मई को भेजा गया। हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से नोटिस का जवाब गत 31 मई को सीएमओ आफिस को भेजकर बताया गया कि अतिरिक्त वसूले गए पैसे वापस कर दिए गए हैं। इससे साफ हो जाता है कि हॉस्पिटल ने प्रथम दृष्ट्या शासन द्वारा निर्धारित रेट से अधिक पैसे वसूले थे।

शिकायत नंबर-2

कर्मचारी एकता एसोसिएशन, सहारनपुर के अध्यक्ष यशपाल सिंह ने सीएमओ डा. संजय अग्रवाल से की शिकायत में कहा कि उसने अपने भाई महिपाल तथा उसकी पत्नी निर्मला को गंगा अमृत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। हॉस्पिटल में भाई-भी 4 दिन भर्ती रहे जिसका हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा उनको 2.42 लाख रुपये का बिल थमाया गया।

सीएमओ कहिन

गंगा अमृत हॉस्पिटल को दो नोटिस भेजे गए थे। इन नोटिस का जवाब अस्पताल प्रशासन की ओर से 31 मई को भेजा गया है। जवाब में हॉस्पिटल प्रशासन ने कहा कि जिन मरीजों ने रेट से अधिक पैसे वसूलने की बात कही थी, उनके पैसे वापस लौटा दिए गए हैं।                      -डा. संजय अग्रवाल, मुख्य चिकित्साधिकारी

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