Friday, February 21, 2025
- Advertisement -

गंगा और ज्यादा मैली हो गई

Samvad


sanjay rokdeना मुझे किसी ने भेजा है, ना मैं यहां आया हूं, मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है। यह बात नरेंद्र्र भाई दामोदर मोदी ने वाराणसी में पर्चा भरने से पहले कही थी। इस बात का सीधा और सरल अर्थ यही होता है कि उनको गंगा मैया ने सेवा के लिए बुलाया था। वे उस समय अपनी चुनावी सभाओं और रैलियों के दौरान भी बार-बार यह कहते थे कि मुझे गंगा मैया पुकार रही है। लेकिन अब तो शायद गंगा मैया की आवाज भी मोदी के कान तक नहीं पहुंच रही है। गर पहुंची होती तो शायद जिस समय सीमा 2022 में नमामि गंगे प्रोजेक्ट को पूरा करने की उनने ठानी थी उसे समय में पूरा भी कर देते।
नमामि गंगे योजना का काम जिस कछूआ चाल से चल रहा है उसे देखते हुए तो कह सकते है कि गंगा को साफ करने का काम ईमानदारी से नही किया जा रहा है।

स्पष्ट तो यही है कि अब भी किसी प्रकार का संतोषजनक परिणाम हासिल होने वाला नही है, सिवाय लफ्फाजी के। केंद्र सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जो समय सीमा तय की थी उस समय में अब तक मंजूर 109 प्रोजेक्ट के काम की गति भी कछूआ चाल से ही चल रही है।

इस नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर आलम ये है कि मोदी सरकार अब नदी किनारे बसे 4 हजार गांवों से निकलने वाले करीब 24 सौ नालों को चिंहित तक नही कर पाई है। अब जब इन नालों की पहचान ही नही कर पाई है तो जियो टेगिंग की प्रकिया को पूरी कब कर पाएगी।

आपको मालूम हो कि केंद्र सरकार इन चौबीस सौ नालों की पहचान कर जियो टेगिंग करने वाली है ताकि गंगा किनारे बसे गांव के लोग गंगा में मलबा डालें तो उनकी पहचान की जा सके। लेकिन जिस तरह से गंगा को स्वच्छ बनाने के काम चल रहा है उसे देखते हुए तो कहा ही जा सकता है कि गंगा का साफ होना अभी भी बहुत दूर की कोड़ी है।

नदियों को साफ और स्वच्छ बनाने के लिए लंबे समय से चल रही तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों के बावजूद यह अभियान अभी तक कहां पहुंच सका है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी गंगा जैसी अहम नही को साफ व स्वच्छ बनाने के लिए नई-नई पहल और नए-नए प्रयोग ही किए जा रहे हैं।

जल शक्ति मंत्रालय के तत्कालीन राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि इस प्रोजेक्ट को समय सीमा मार्च 2022 में पूरा कर लिया जाएगा। इस बात को विस्तार देते हुए कटारिया ने कहा था कि नमामि गंगे के 305 में से 109 प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं।

इन सबकी लागत 28613.75 करोड़ रुपए को भी मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही उनने दोहराया कि नमामि गंगे परियोजना का काम समय सीमा में ही पूरा किया जाएगा। जिन 209 परियोजनाओं को पूरा कर लिया गया उसका जिक्र करना भी वे नही भूले।

इनकी जानकारी देते हुए उनने बताया कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर विभिन्न स्तर पर काम किया जा रहा है। इसके तहत सफाई के लिए अनेक स्तर पर कदम उठाए गए है। इसमें औद्योगिक अपशिष्ठ, ठोस अपशिष्ठ, रिवर फ्रंट प्रबंधन, अपिरल धारा, ग्रामीण स्वच्छता, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और सार्वजनिक भागीदारी जैसे अनेक कदम है।

सीएम योगी ने भी इसी समय के इर्द-गिर्द नमामि गंगे परियोजना में देरी होने पर नाराजगी के साथ सख्ती दिखाते हुए अपने सरकारी आवास पर एक समीक्षा बैठक की थी। इस समीक्षा बैठक में योगी ने साफ- साफ कहा था कि जो ठेकेदार और अफसर कार्य में देरी का कारण बन रहे है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।

अब योगी से यह बात तो कोई पूछ सकता नही है कि अब तक उनने कितनों पर एफआईआर दर्ज करवाई है लेकिन राज्यमंत्री और सीएम से यह पूछना तो बनता ही है कि गंगा में सफाई का काम जारी होने के बावजूद प्रदूषण कम होने की बजाय बढ़ा कैसे। सच तो यह है कि गंगा की सफाई को लेकर न तो केंद्र सरकार और न ही कोई राज्य सरकार संजीदा है।

वरना क्या मजाल थी कि उत्तरकाशी की सुरंग के निर्माण के दौरान निकलने वाले ठोस मलबे और कचरे को गंगा नदी के किनारे डाल दिया जाता। इस कचरे के चलते गंगा नदी में ठोस कचरे का स्तर बढ़ गया और इसी कारण जलमल शोधन संयंत्रों में गंदे पानी का शोधन करने में खासी परेशानी होने लगी।

आज से करीब तीन साल पहले केन्द्र सरकार के नुमांईदों और मीडिया द्वारा खासा प्रचारित-प्रसारित किया गया था कि 2022 तक गंगा नदी में गंदे नालों के पानी को गिरने से पूरी तरह से रोक दिया जाएगा और गंगा को स्वच्छ बनाने का काम द्रूत गति से किया जाएगा लेकिन परिणाम सामने है।

जमीनी सच्चाई तो यह है कि तीन साल बाद भी पूरी तरह से 24 सौ नालों की पहचान नही की जा सकी है जो अलग- अलग स्तर पर गंगा को गंदा कर रहे है। धरातल पर जो दिखाई दे रहा है उससे अंदाजा लगता है कि गंगा की सफाई को लेकर बातें तो बड़ी-बड़ी की गर्इं, लेकिन काम ढाक के तीन पांत।

दरअसल, गंगा ऐसे साफ नही होगी। गंगा की सफाई को लेकर हमें हर बार निराशा ही हाथ लगी है। तो क्या आशा बची ही नहीं? ऐसा नहीं है। आशा है, पर तब जब हम फिर से नदी धर्म ठीक से समझें। विकास की हमारी आज जो इच्छा है, उसकी ठीक से जांच पड़ताल कर लें, बिना लाग लपेट और बिना कटुता के। गंगा को, हिमालय को चुपचाप षडयंत्र करके नहीं मारे नहीं।

विकास, जीडीपी, नदी जोड़ो, बड़े बांध सब कुछ करें लेकिन इसके पूर्व इन सब से होने वाले विनाश की ओर भी ध्यान दें। हमारे कर्णधारों को गंगा की सफाई की आड़ में गंगा को मिटाने की बजाय नीति और प्रोजेक्ट की बनावट से कहीं अधिक नीयत की खोट से ऊपर उठकर काम करना होगा तभी कुछ बात बन पाएगी।


janwani address 9

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Vijaya Ekadashi 2025: विजया एकादशी के व्रत में भूलकर भी न करें ये काम, खंडित हो स​कता है उपवास

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Guruwar Ke Upay: गुरुवार के दिन करें ये उपाय, विवाह संबंधी समस्याएं होंगी समाप्त

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Baghpat News: दिल्ली पुलिस के हैड कांस्टेबल का शव बड़ौत में मिला

जनवाणी संवाददाता | बड़ौत: दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल का...
spot_imgspot_img