- 18 जून को भेजे गए जवाब से एनजीटी कोर्ट असंतुष्ट, 21 नवंबर को होगी सुनवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दिल्ली की एनजीटी कोर्ट में लोकेश खुराना के द्वारा लोहिया नगर स्थित कूडेÞ के पहाड़ का मामला यूपी स्टेट के खिलाफ डाला हुआ है। जिसमें निगम के द्वारा 18 जून को जो जवाब भेजा था। उससे एनजीटी कोर्ट संतुष्ट दिखाई नहीं दी और 21 नवंबर की अगली तिथि निर्धारित करते हुए उससे पूर्व शिकायत के निस्तारण के लिए कोर्ट की बेंच की तरफ से बात कही गई है।
दिल्ली की तीन सदस्सीय एनजीटी कोर्ट में लोहिया नगर स्थित कूड़े के पहाड़ के निस्तारण का मामला चल रहा है। जिसमें वादी लोकेश खुराना की तरफ से निगम व यूपी स्टेट को प्रतिवादी बनाया गया है। जिसमें नगर निगम द्वारा अभी तक जो एनजीटी कोर्ट में जानकारी भेजी है। वह वादी के अनुसार अपर्याप्त है और कोर्ट को गुमराह करने वाली है। निगम अपनी पूर्व की रिपोर्ट को ही अदल-बदलकर कोर्ट में भेज देता है।
तीन सदस्यीय कोर्ट में जज चेयरमैन जस्टिश शिवकुमार सिंह, जज अरुण त्यागी, जज सैन्थिल बेल ने 8 अगस्त 2023 को एनजीटी कोर्ट में सुनवाई की। साथ ही इस मामले में आगामी तिथि 21 नवंबर 2023 निर्धारित की है। एनजीटी कोर्ट में जो मामला चल रहा है। उसमें चार प्रमुख बिंदू शामिल किए गए हैं। जिसमें इस आवेदन में उठाया गया मुद्दा नगर निगम द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुपालन में ठोस अपशिष्ट का निपटान है। संयंत्र 300 टीपीडी 2 = 600 टीपीडी है।
प्रसंस्करण संयंत्र में 30 टीपीएच की क्षमता का एक बैलिस्टिक विभाजक और 15 टीपीएच की क्षमता के 2 ट्रोमेल शामिल हैं, जिसमें कुल 22 कर्मचारियों की जनशक्ति है। नगर निगम से एक रिपोर्ट मांगी गई थी और उसके अनुपालन में यह प्रस्तुत किया गया है कि जिला मेरठ में कुल विरासत अपशिष्ट लगभग 10 लाख मीट्रिक टन है जो लोहिया नगर स्थित प्रसंस्करण स्थल पर स्थित है। वर्तमान में, की प्रसंस्करण क्षमता 30 टीपीएच की क्षमता का है। नगर निगम की ओर से उपस्थित वकील ने प्रस्तुत किया है कि लगभग 3 एलएमटी ठोस अपशिष्ट (विरासत) का उपचार किया गया है।
शेष लगभग 7 एलएमटी है जो निपटान की प्रक्रिया में है और एक वर्ष के भीतर निपटाए जाने की संभावना है। नगर निगम द्वारा प्रस्तुत बयान और रिपोर्ट के मद्देनजर, प्रतिवादी को विरासती कचरे के निपटान के संबंध में आगे की कार्रवाई रिपोर्ट और प्रगति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है और आगे यह सुनिश्चित किया जाता है कि वर्तमान कचरे का जल्द से जल्द निपटान किया जाना चाहिए। आगे की गई कार्रवाई तीन महीने के भीतर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में तैयार कर भेजें।
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के अतिरिक्त भी कई नालों का पानी सीधा नदी में
शहर के नाली एवं नालों के प्रदूषित पानी को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के बाद नदी में छोड़ा जाता है। शहर में एमडीए की तरफ से 13 एंव नगर निगम की तरफ से एक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा नालों के पानी को साफ-सुथरा करके नदी में डाला जाता है, एमडीए के द्वारा 5 से 15 एमएलडी क्षमता वाले सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं। ताकि नालों का दूषित पानी को फिल्टर करने के बाद उसे नदी में छोड़ा जाये या वह पानी कृषि-खेतीबाड़ी के काम आने के योग्य बनाया जा सके। मेडा द्वारा जो 13 जगहों पर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं।
उनमें पल्लवपुरम फेज वन व टू में दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट हैं। उधर, मोदीपुररम, श्रद्धापुरी, सैनिक विहार, वेदव्यासपुरी, स्पोर्ट्स गुड्स, गंगानगर व कसेरू बक्सर आदि में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के बाद पानी नदी आदि में डाला जाता है। उधर, नगर निगम की तरफ से 72 एमएलडी की क्षमता का प्लांट कमालपुर में लगाया गया है। जिसमें छोटे ट्रीटमेंट प्लांटों से निकलने वाला नालों का कुछ प्रदूषित पानी इस बड़ी क्षमता वाले सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से होकर नदी में डाल दिया जाता है।
उधर, सीवर प्लांट जोकि निगम का 72 एमएलडी क्षमता वाला है, उसकी निगरानी भी लखनऊ सें सीधे तोर पर सीसीटीवी कैमरे द्वारा आॅनलाइन लखनऊ से होती है। कि कहीं सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से बिना फिल्टर किए पानी नदी में तो नहीं डाला जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट जोकि भोलाझाल पर लगा है, वह 100 एमएलडी की क्षमता वाला है। जिससे शहर में टंकी के पानी के माध्यम से घरों में पीने के पानी की सप्लाई होती है।
जल निगम के एई बलवीर सिंह ने बताया कि सभी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट एवं वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चालू हैं। वहीं कुछ नालों का पानी बिना सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के ही सीधा नदी में डाले जाने की बात जो सामने आई है, जिसमें आबू नाले का पानी भी सीधे नदी में जा रहा है। उसकी जानकारी से एई बलवीर सिंह ने इंकार किया।