Friday, July 5, 2024
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बढ़ती उम्र में कराते रहें रूटीन जांच

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अक्सर महिलाएं अपनी सेहत के प्रति लापरवाह रहती हैं। वे पूरे परिवार की देखभाल करती हैं मगर अपनी परेशानियों को नजरअंदाज करती रहती हैं। वे अपने पेटदर्द, कमरदर्द को बेहद मामूली मानकर चलती हैं किन्तु यहीं तकलीफ उम्र बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती चली जाती है और दूसरी बीमारियों का रूप ले लेती है। 35 साल के बाद औरतों को अपनी साफ सफाई और खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

अक्सर माहवारी या सामान्य दिनों में सफाई न रखने से बदबू फैलती है और बदबू से संक्रमण होता है। इससे अंदरूनी सूजन आ जाती है और यदि फिर भी ध्यान न दिया जाये तो अंदरूनी इन्फेक्शन हो जाता है जो पूरे शरीर में भी फैल सकता है। इस उम्र में महिलाओं में खून की कमी हो जाती है जो सिर्फ पौष्टिक आहार ही पूरा कर सकता है। ऐसे में दालें प्रोटीन और चावल-रोटी कार्बोइडेट और दूध-दही कैल्शियम की कमी को पूरा करती हैं। भोजन में हरी सब्जियां, फल, अंडा आदि पौष्टिक चीजें शामिल करनी चाहिए।

महिलाओं की ओवरी से इस्ट्रोजन नामक हार्मोन निकलता है जो उनके लिए बहुत लाभदायक होता है। 35 साल के बाद इस हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाता है। यदि प्रोटीन और काबोर्हाइड्रेट प्रचुर मात्र में शरीर में होंगे तो शरीर में कमी या बीमारी के दौरान उनसे पूर्ति हो सकेगी।

अक्सर खाने पाने की कमियों से अनीमिया, फायब्राइड या सिस्ट या गर्भाशय के मुख का कैंसर आदि बीमारियां हो जाती हैं। गर्भाशय के मुख के कैंसर को सर्विक्स का कैंसर कहते हैं। सर्विक्स का कैंसर होने की वजह है सेक्स प्रक्रिया का ज्यादा होना। गर्भाशय के मुख पर कैंसर का पता लगाने के लिए आजकल पैप स्मीयर जांच की जाती है। इससे सर्विक्स की स्थिति का पता चल जाता है। इससे कैंसर शुरूआत में ही पकड़ा जाता है।

पैप स्मीयर से अस्वस्थ होने पर दिख जाता है कि सर्विक्स गंदा है, बदबू है और कोशिकाओं की बनावट बिगड़ रही है। इसके बाद कोल्पोस्कोपी की सलाह दी जाती है। इससे कैंसर को जड़ तक पहचाना जा सकता है। दवाइयों से कैंसर का इलाज संभव है।

इसके अलावा फायब्राइड या सिस्ट भी एक प्रकार का टयूमर है। यह गर्भाशय की लाइनिंग यानी एंडो मीट्रियम में हो जाता है। फायब्राइड होने पर ज्यादा रक्तस्राव की शिकायत हो जाती है। सिस्ट कई तरह की होती है। कुछ सिस्ट इन्फेक्शन की वजह से हो जाती हैं।

माहवारी के दौरान सफाई का ध्यान न रखने से यह परेशानी हो जाती है। यदि गर्भपात ठीक जगह से न कराया गया हो और वहां के औजार भी गंदे रहे हों, ऐसे में भी यह परेशानी हो जाती है। इसके अलावा गर्भपात कराने पर सही एंटीबायोटिक दवाइयां न ली गई हों तब भी सिस्ट होने का खतरा रहता है। यदि सिस्ट या फायब्राइड बिगड़ जाते हैं तो कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं।

अक्सर 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं में हार्मोन असंतुलन हो जाता है। इससे दो-तीन महीनों के अंतराल में माहवारी आती है। इसकी वजह है कई महीनों तक अंडाणुओं का ओवरी से न निकलना। कभी-कभी माहवारी अनियमित हो जाती है और कम समय पर होने लगती है। इसका इलाज जल्द से जल्द कराना चाहिए। किसी भी समस्या को नजरअंदाज करने से उसका हल नहीं निकलता बल्कि उचित समय पर उसका इलाज कराना चाहिए।

अक्सर महिलाएं कॉपर टी लगवाने के बाद उसे निकलवाना ही भूल जाती है। यह तीन साल से पहले ही निकलवा देना जरूरी होता है जबकि महिलाएं कई-कई सालों तक इसे नहीं निकलवाती और भूल जाती है। इससे इन्फेक्शन और सूजन वगैरह हो सकती है। कई बार आपरेशन कराने के बाद भी पेटदर्द, कमरदर्द आदि की शिकायत हो जाती है। इन गर्भनिरोधक उपायों के प्रति लापरवाही न बरतें।

महिलाएं अपना चेकअप इसलिए नहीं कराती कि कहीं कोई बीमारी न निकाल आए। यदि कोई बीमारी निकलती है तो उसका इलाज तो हो जाएगा। यदि बीमारी का पता ही नहीं चलेगा तो आप स्वस्थ कैसे रहेंगी। परिवार भी तभी खुश रहेगा जब आप खुश और निरोगी रहेंगी। पूरे परिवार की देखभाल कीजिए मगर अपना भी ख्याल रखिए। यह सबसे महत्वपूर्ण है। आप अपने परिवार के लिए बहुत महत्व रखती हैं,

इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखें:-

  • पौष्टिक आहार लें
  • नियमित व्यायाम करें।
  • 35 साल के बाद रूटीन चेकअप कराएं।
  • तनाव से बचें।
  • पूरी नींद लें।
  • शरीर की पूरी सफाई रखें।

                                                                                                                       शिखा चौधरी


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