जब भी आप कुछ लिखने के लिए बैठते हैं या फिर कुछ बोलने के लिए किसी मंच पर तैयार होते हैं तो क्या आप बता सकते हैं कि आपके दिमाग में सबसे पहला प्रश्न क्या उठता है? इस प्रश्न का सबसे कॉमन उत्तर है उस भाषा के व्याकरण की शुद्धता। हम लिखने और बोलने के समय में सबसे अधिक इस बात से भयभीत होते हैं कि व्याकरण की कोई गलती न रह जाए। क्योंकि व्याकरण की अशुद्धियां किसी लेखक या वक्ता की प्रतिष्ठा के लिए सबसे बड़ा अपमान होता है।
इस लिहाज से लिखने और बोलने के क्रम में व्याकरण की शुद्धता किसी लेखक और वक्ता के ज्ञान की सबसे बड़ी कसौटी के रूप में शुमार किया जाता है। विशेष रूप से लिखने की कला में व्याकरण की शुद्धता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि लिखी हुई चीजें वर्षों के लिए अमिट हो जाती है।
इतना ही नहीं व्याकरण की अशुद्धता से अर्थ का अनर्थ हो सकता है। कथ्य का संदेश गलत और अपमानजनक हो सकता है जो लेखक के लिए मुसीबत का सबब हो सकता है। इस लिहाज से भी व्याकरण की शुद्धता का विशिष्ट महत्व है। व्याकरण के ज्ञान की महत्ता के बारे में प्राय: ऐसा कहा जाता है कि किसी भी उत्कृष्ट आर्टिकल का आधा हिस्सा अच्छे और शुद्ध व्याकरण से बना होता है। किन्तु शुद्ध व्याकरण के ज्ञान पर मास्टरी का कार्य आसान नहीं होता है। इसके लिए कठिन मिहनत और सतत अभ्यास की जरूरत होती है।
भाषा के व्याकरण के बेसिक्स को जानें
सभी भाषाओं के व्याकरण के अपने बेसिक्स होते हैं जिसे उसका फाउंडेशन स्टोन कहा जा सकता है। व्याकरण के इन बेसिक्स के ज्ञान के अभाव में न तो कुछ शुद्ध लिखा जा सकता है और न ही कुछ शुद्ध बोला जा सकता है। अंग्रेजी भाषा में भी शुद्ध लिखने के लिए इसके बेसिक ग्रैमर का ज्ञान अत्यंत ही आवश्यक है। इन बेसिक्स के ज्ञान से शुद्ध बोलना और लिखना दोनों ही आसान हो पाता है।
पार्ट्स ऑफ स्पीच को समझें
इंग्लिश के व्याकरण में पार्ट्स आॅफ स्पीच मुख्य रूप से शब्दों के क्लासिफिकेशन को कहा जाता है। यह शब्दों को वाक्य में उनके रोल के आधार पर विभिन्न केटेगरी में बांटता है। नाउन, प्रोनाउन, ऐडजिक्टिव, वर्ब, ऐड्वर्ब, प्रीपोजिशन, कनजंक्शन और इन्टर्जेक्शन -ये आठ पार्ट्स आॅफ स्पीच होते हैं जो वाक्यों के स्ट्रक्चर के लिए अहम होते हैं।
इन सभी में सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्रीपोजिशन होता है जो शुद्ध रूप से इंग्लिश लिखने और बोलने में काफी मदद करता है। विभिन्न परिस्थितियों में कौन -सा प्रीपोजिशन प्रयुक्त होगा इसका ज्ञान होना इंग्लिश ग्रैमर की शुद्धता की वास्तविक परीक्षा है। इसलिए सभी आठ पार्ट्स आॅफ स्पीच में सबसे पहले प्रीपोजिशन पर मास्टरी अनिवार्य है।
सिंटेक्स आधार है इंग्लिश ग्रैमर का
इंग्लिश ग्रैमर में सिंटेक्स का ज्ञान शुद्ध इंग्लिश लिखने और बोलने के लिए नींव के पत्थर के रूप में कार्य करती है। इसके अभाव में हम वाक्यों का निर्माण नहीं कर सकते हैं। सिंटेक्स से ही हमें पता चलता है कि किसी वाक्य में शब्दों और फरेजेज का आॅर्डर और अरेजमेंट कैसे होगा।
इसके अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण पार्ट सब्जेक्ट और वर्ब का एग्रीमेंट होता है। प्लुरल सब्जेक्ट के साथ प्लुरल वर्ब और सिंगयुलर सब्जेक्ट के साथ सिंगयुलर वर्ब के प्रयोग का रूल इंग्लिश ग्रैमर में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए सिंटेक्स का ज्ञान शुद्ध लिखने और शुद्ध बोलने का बेसिक और प्राइमरी रूल है जिसे हम नजरंदाज नहीं कर सकते हैं।
इंग्लिश भाषा में सबसे अधिक अशुद्धियां सिंटेक्स की ही होती हैं। लेकिन सिंटेक्स का संसार इतना ही छोटा नहीं है। किसी वाक्य में सब्जेक्ट, वर्ब, ऐडजिक्टिव, ऐडवर्ब और आॅब्जेक्ट का यूज किस आॅर्डर में और कैसे किया जाए ये सभी बातें भी सिंटेक्स के माध्यम से ही ज्ञात हो पाता है। लिहाजा इंग्लिश ग्रैमर में सिंटेक्स पर मास्टरी भाषा की शुद्धता का सबसे बड़ा पैरामीटर होता है।
टेन्स का ज्ञान भी है बहुत जरूरी
इंग्लिश ग्रैमर में टेन्स का ज्ञान विभिन्न समय में वाक्य के स्ट्रक्चर को फॉर्म करने में काफी मदद करता है। टेन्स का ज्ञान समय के विभिन्न प्रकार जैसे प्रेजेंट, पास्ट और फ्यूचर में किसी एक्शन को दर्शाने के लिए रुल्स बताने में हेल्पफूल होता है। वैसे टेन्स का क्षेत्र काफी विस्तृत नहीं होता है, लेकिन इसका ज्ञान व्याकरण के बेसिक्स को जानने के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। इसीलिए टेन्स के विभिन्न प्रकार और सेन्टेन्स में उनके यूज के तरीकों को आत्मसात करना भी इंग्लिश भाषा को शुद्ध रूप से बोलने और लिखने में काफी मदद करता है।
शब्दों के करेक्ट स्पेलिंग का भी रखें ध्यान
लिखने में प्रयुक्त शब्दों की वर्तनी का शुद्ध होना भी किसी भाषा के व्याकरण का ही हिस्सा होता है। शब्दों के अशुद्ध स्पेलिंग मैसेज को सटीक रूप से कम्यूनिकेट नहीं कर पाता है। लिहाजा लिखने के व्यक्त शब्दों के स्पेलिंग पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। इसके लिए डिक्शनरी में शब्दों को नियमित रूप से देखने से लेकर कुछ कठिन शब्दों की वर्तनी को याद करने तक के तरीकों से काफी मदद मिलती है। नियमित रूप से न्यूजपेपर पढ़ने से भी करेक्ट स्पेलिंग लिखने में काफी सहायता प्राप्त होती है।
पंकक्चूऐशन पर भी मास्टरी है जरूरी
पंकक्चूऐशन के बारे में कहा जाता है कि यह अस्त्र जैसा ही होता है और जिससे आप किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। आशय यह है कि व्याकरण में पंकक्चूऐशन के गलत प्रयोग से अर्थ का अनर्थ होते देर नहीं लगती है। इसके अंतर्गत पूर्ण विराम, कॉमा, प्रश्नवाचक चिह्न, क्वोटैशन मार्क्स, अपास्ट्रफी इत्यादि को शामिल किया जाता है। इन चिह्नों के उपयोग पर मास्टरी करेक्ट कम्यूनिकेशन और शुद्ध लेखनी के लिए अत्यंत अनिवार्य होता है। यही कारण है कि शुद्ध बोलने और लिखने में विराम चिह्नों का सही ढंग से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
वर्ड पावर है वर्ल्ड पॉवर
वर्ड पावर के बारे में आॅस्ट्रिया के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट और साइकोअनैलिसिस के संस्थापक सिगमंड फ्राईड ने एक बार कहा था, ‘शब्दों में जादुई ताकत होती है। ये या तो जीवन में सबसे बड़ी खुशी ला सकते हैं या सबसे गहरी निराशा।’ शब्दों से हमारी दुनिया बनती है, इसलिए हमें इनके शुद्ध और विवेकपूर्ण प्रयोग के बारे में हमेशा सावधान रहना चाहिए। किसी संदर्भ में केवल गलत शब्दों के इस्तेमाल से सब कुछ उल्टा हो सकता है। व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध लिखने या बोलने के क्रम में सही शब्दों का प्रयोग एक विज्ञान है जिसको सीखने के लिए हमें निरंतर प्रयास करने की जरूरत है।
डिक्शनरी के बारे में कहा जाता है कि यह शब्दों का संविधान है जिसकी सहायता से हम वर्ड पावर को समृद्ध बनाने के साथ झ्र साथ उनके शुद्ध प्रयोग को भी सीख सकते हैं। एक अच्छी क्वालिटी के शब्दकोश को निरंतर पढ़ने की आदत से हम शब्दों के शुद्ध प्रयोग सीख सकते हैं और वकैब्यलेरी को समृद्ध कर सकते हैं।
शुद्ध उच्चारण भी है जरूरी
शब्दों का शुद्ध और सटीक उच्चारण भी भाषा के व्याकरण का एक अहम कम्पोनन्ट है। इसके अभाव में कथ्य स्पष्ट नहीं हो पाता है और अर्थ के अनर्थ होने का जोखिम बना रहता है। विश्व विख्यात यूनानी राजनीतिज्ञ और ओजस्वी वक्ता डेमॉसथिनीज के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने शब्दों को अस्पष्ट और हकला कर उच्चारण करने की अपनी कमजोरियों को अपने मुंह में कंकड़ रखकर बोलने के अभ्यास से दूर किया था।
कथ्य यह है कि हम व्याकरण में शब्दों के शुद्ध उच्चारण की अहमियत को नकार नहीं सकते हैं। लेकिन करेक्ट प्रनन्सीएशन कठिन मिहनत और निरंतर अभ्यास से ही हासिल हो पाती है। डिक्शनरी से शब्दों के शुद्ध उच्चारण को सीखने में काफी मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त इंग्लिश ग्रैमर में फोनेटिक्स के ज्ञान से भी शुद्ध उच्चारण को सीखा जा सकता है।
श्रीप्रकाश शर्मा
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