जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: मुख्य चुनाव अधिकारी के मताधिकार संबंधी बयान पर सरकार के स्पष्टीकरण के बावजूद जम्मू-कश्मीर का सियासी पारा नीचे नहीं आ रहा। स्पष्टीकरण को नाकाफी बताकर गुपकार गठबंधन सोमवार को श्रीनगर में डॉ. फारूक अब्दुल्ला के निवास पर सुबह 11 बजे तय सर्वदलीय बैठक के फैसले पर कायम है। इस बैठक में गुपकार गठबंधन में शामिल दल मुख्य तौर पर शामिल होंगे। वहीं, जम्मू में सुबह 11 बजे ही भाजपा मुख्यालय में भी पार्टी पदाधिकारियों, पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों की बैठक बुलाई गई है।
ऐसे में माना जा रहा है कि श्रीनगर से नेकां व गुपकार गठबंधन में शामिल अन्य दल भाजपा पर निशाना साधेंगे। वहीं, जम्मू से भाजपा के नेता गुपकार गठबंधन को करारा जवाब देंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि सोमवार सुबह 11 बजे पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है।
इसमें नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी के अलावा गुपकार गठबंधन में शामिल दलों के दुष्प्रचार का करारा जवाब दिया जाएगा। उधर, गुपकार गठबंधन के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी का कहना है कि नेकां प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला के निवास पर बैठक बुलाई गई है। इसमें जम्मू-कश्मीर की जनता के खिलाफ हो रहे षड््यंत्र पर आवाज बुलंद की जाएगी।
पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को ट्वीट कर प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार महबूबा मुफ्ती को अगर नजरबंद ही रखा गया तो उनका सोमवार को सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेना संभव नहीं हो पाएगा।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने साफ किया है कि सरकार के स्पष्टीकरण में नए मतदाताओं को लेकर बने संशय पर सफाई नहीं दी गई है। पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सुहेल बुखारी ने कहा कि हमारी चिंताएं जस की तस हैं। जो बाहरी लोग यहां साधारणतया रह रहे हैं, उनके मताधिकार पर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है, लिहाजा सोमवार को बैठक कर तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
नेशनल कांफ्रेंस के प्रदेश प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि गैर स्थानीय के लिए साधारणतया रहने वाला नागरिक बताया जा रहा है। सरकार ने इसकी परिभाषा नहीं बताई। अन्य राज्यों में सात या आठ वर्ष रहने वाले को मताधिकार मिलता है। क्या दूसरे राज्य से दो माह के लिए मजदूरी करने आया श्रमिक भी यहां मतदाता बना दिया जाएगा।
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि सरकार के डीआईपीआर ने नए मतदाताओं को लेकर जो स्पष्टीकरण दिया है, असल में यह मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के बयान का मूक समर्थन है। गैर स्थानीय लोगों को बड़ी तादाद में जम्मू-कश्मीर में मताधिकार देने की चिंताओं पर सरकार मौन है। यह प्रदेश के लोगों को शक्ति विहीन करने का एक और हथकंडा है।