Monday, June 23, 2025
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गुरु की सीख

AMRITWANI


हरि सिंह एक न्यायप्रिय राजा था। वह प्रजा के सुख-दुख की चिंता अपने परिवार की तरह करता था। लेकिन कुछ दिनों से उसे अपने काम-काज से संतुष्टि नहीं हो पा रही थी। उसने बहुत प्रयत्न किया कि वह अभिमान से दूर रहे, पर वह इस समस्या का हल नहीं निकाल पा रहा था। एक दिन राजा राजगुरु प्रखरबुद्धि के पास जा पहुंचा। राजा का चेहरा देखते ही राजगुरु उसकी परेशानी समझ गए। उन्होंने कहा, राजन, यदि तुम मेरी तीन बातें याद रखोगे तो जिंदगी में कभी असफल नहीं हो सकते। राजा बोला-आप बताइए गुरुदेव, मैं हमेशा याद रखूंगा। प्रखरबुद्धि ने कहा, पहली बात, रात को मजबूत किले में रहना। दूसरी बात, स्वादिष्ट भोजन ग्रहण करना और तीसरी, सदा मुलायम बिस्तर पर सोना।

गुरु की ये अजीब बातें सुनकर राजा बोला, गुरु जी, आपकी इन बातों को अपनाया तो मेरे अंदर अभिमान और भी अधिक बढ़ जाएगा। इस पर प्रखरबुद्धि मुस्कराते हुए कहने लगे, तुम मेरी बातों का अर्थ नहीं समझे। मैं समझाता हूं। पहली बात- सदा अपने गुरु के साथ रहकर चरित्रवान बने रहना। कभी बुरी आदत के आदि मत होना। दूसरी बात, कभी पेट भरकर मत खाना। जो भी मिले उसे प्रेमपूर्वक खाना। खूब स्वादिष्ट लगेगा। और तीसरी बात, कम से कम सोना। अधिक समय तक जागकर प्रजा की रक्षा करना। जब नींद आने लगे तो राजसी बिस्तर का ध्यान छोड़कर घास, पत्थर, मिट्टी जहां भी जगह मिले, वहीं गहरी नींद सो जाना। ऐसे में तुम्हें हर जगह लगेगा कि मुलायम बिस्तर पर हो। राजन, यदि तुम शासक की जगह त्यागी बनकर अपनी प्रजा का ख्याल रखोगे तो कभी भी अभिमान, धन और राजपाट का मोह तुम्हें नहीं छू पाएगा।


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