Saturday, July 27, 2024
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सीने पर पत्थर रख चले हथौड़े, फोड़ दी ट्यूबलाइट

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  • विवि कैंपस के बृहस्पति भवन के सामने के स्थल में छात्र-छात्राओं ने दिखाए यौगिक बल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विवि कैंपस के बृहस्पति भवन के सामने का स्थल। ट्रैकसूट में छात्र-छात्राएं योगिक बल प्रदर्शन के लिए पूरी तरह से तैयार। सबकी उम्र 20-22 वर्ष के बीच। संस्कृत में मंत्रोच्चारण हो रहा था। सामने पत्थर रखे हुए थे और बहुत सारी ट्यूबलाइट। दर्शकों की आंखों में चिंता के बादल थे, लेकिन छात्र पूरी तरह से तनावमुक्त। वे उत्सुकता से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।

मंत्रोच्चार के बाद छात्र-छात्राओं ने एक-एक कर सरिया उठाना शुरू किया। उसका एक सिरा सामने लगे बोर्ड पर लगाया और दूसरा अपने कंठ पर। सांस रोकते हुए बिना हाथ लगाए सरिए को कुछ ही सेकेंड में मोड़ दिया। फिर छात्र जमीन पर लेट गए। सहयोगी छात्रों ने सीने पर पत्थर रखा और हथौड़ा चला दिया। जैसे ही चोट लगी, दर्शकों की आंखें बंद हो गई।

बता दें कि शुक्रवार को व्यास समारोह के दूसरे दिन छात्र-छात्राओं के योगिक बल प्रदर्शन को देखकर दर्शकों की तालियां नहीं रुकी। डॉ. राजबीर के निर्देशन में छात्रों ने उक्त प्रदर्शन किया। स्टूडेंट ने किनारे से बंधी दो लाठियों के बीच से खुद को निकालकर सबको चौंका दिया। फिर छात्र एक-एक कर जमीन पर लेट गए। साथियों ने उनके सीने पर पत्थर का टुकड़ा रखा और दूसरे ने हथोड़े से पत्थर पर वार किया।

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सीने पर रखा पत्थर एक ही झटके में दो हिस्सों में बंट गया। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने सीने, जंघा और सिर से ट्यूबलाइट फोड़ते हुए चकित किया। छात्रों ने वज्रासन, शशकासन, मयूरासन, सुप्तवज्रासन, वकासन, भुजंगासन, हलासन, भैरवासन, चक्रासन, शीर्षासन, हलासन, टिड्ढी आसन और धनुरासन करते हुए तालियां बटोरी। योगिक बल प्रदर्शन का आकर्षण का केंद्र रहा। छात्र-छात्राओं के कार्य की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमएलसी शिक्षक स्नातक श्री चंद शर्मा ने प्रशंसा की।

वाद विवाद में सृष्टि रही प्रथम

व्यास समारोह के दूसरे दिन प्रथम सत्र में अंतर महाविद्यालय संस्कृत वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजन किया गया। द्वितीय सत्र में शोध संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें प्रो. सुधाकर आचार्य त्रिपाठी ने भागवत पुराण में वर्णित विष्णु के चतुर्भुज होने के रहस्य को प्रकट किया कि विष्णु की चार भुजाएं हमारे अहंकार बुद्धिमान व इंद्रियों का प्रतीक है। इन सब के द्वारा ही मनुष्य का इस संसार में जन्म एवं मरण का चक्र चलता रहता है।

भगवान की भक्ति से इन पर विजय प्राप्त करके मनुष्य इस चाकू से छूट जाता है। पारुल ने भागवत पुराण में आत्मा के स्वरूप का वर्णन अपने पत्र के द्वारा किया। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान पुरी उड़ीसा से आए विद्वान डॉ. कान्हुचरण पंडा ने भरत जीवनम विषय तथा महाराजगंज गोरखपुर से आए डॉ. चंद्रशेखर मिश्र ने श्रीमद्भागवत विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया। वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर सृष्टि, द्वितीय स्थान पर संयुक्त रूप से निकिता तोमर व दिव्या रही और तृतीय स्थान पर स्वीटी रही।

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