- ग्राउंड रिपोर्ट:गंदगी और जलभराव के बीच कैसे लगेगी संचारी रोगों पर लगाम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बरसात के मौसम में स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से मच्छर जनित संचारी रोगों से बचाव के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की अपील की थी। साथ ही अपने घरों के आसपास कहीं भी बरसात का पानी जमा नहीं होने देने की बात कही थी, लेकिन मरीजों का इलाज करने वाले जिला अस्पताल में जगह-जगह बरसात का पानी भरा है। कूड़े का अंबार लगा है,
अस्पताल के वार्डो के बाहर गुटखे की पीक जमी हुई है। अस्पताल के वार्डो में भर्ती मरीजों को मच्छरों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक की मरीजों के परिजन मच्छरों को भगाने के लिए रात को मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती जलाने को मजबूर हो रहें है। इन हालातों में इलाज के लिए भर्ती मरीजों में संचारी रोगों के फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है।
- केस-1
जनरल वार्ड में भर्ती मरीज सोमराज चौरसिया की तीमारदार ने बताया उनका मरीज रविवार सुबह पेट में दर्द, खांसी व पैरों की नसों में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती हुआ है। लेकिन वार्ड में रात के समय मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। इस वजह से उन्हें मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती जलाकर रखनी पड़ रही है। शौचालय में भी गंदगी का अंबार लगा है, इस वजह से बदबू के कारण वार्ड में रूकना दूभर हो रहा है।
- केस-2
इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीज अमीना के तीमारदार ने बताया उनके मरीज को हाई बीपी व सांस लेने में परेशानी हो रही है। इस वजह से रविवार सुबह 10 बजे मरीज को इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। लेकिन इमरजेंसी जैसे वार्ड में भी मच्छरों का प्रकोप है। सारी रात मच्छर भगाने के लिए अगरबत्ती जलानी पड़ रही है। इस समय इमरजेंसी में कुल 15 मरीज भर्ती है, इमरजेंसी के स्टॉफ का भी कहना है बरसात के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है।
- केस-3
जनरल वार्ड में भर्ती मरीज गुलफाम के बेटे राशिद ने बताया उनके पिता को तीन दिन पहले खून की उल्टी हुई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया।
राशिद का कहना है यहां इलाज तो ठीक हो रहा है लेकिन दवाओं की समस्या के साथ वार्ड में मच्छरों का काफी प्रकोप है। सारी रात मरीज व खुद को मच्छरों से बचाने के लिए हाथ से पंखा करना पड़ता है। इस वजह से पूरी रात न तो मरीज सो पा रहा है न ही वह खुद।
बरसात के मौसम में मरीजों को मच्छरों से बचानें के लिए अस्पताल प्रशासन मोर्टीन की क्वाइल तीमारदार को देता है। जबकि नगर निगम की टीम बुलाकर अस्पताल में फागिंग कराई जाती है लेकिन इस बार अभीतक एक बार भी फागिंग नहीं हो सकी है। जल्द ही इसे कराया जाएगा।-डा. कौशलेन्द्र, सुप्रिटेंडेंट, जिला अस्पताल, मेरठ