Tuesday, January 14, 2025
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क्रांतिधरा से गुजरने वाली हाई स्पीड ट्रेनों को सुरक्षा कवच की दरकार

  • वंदेभारत, जनशताब्दी, शालीमार जैसी हाईस्पीड ट्रेनों को चाहिए सुरक्षा
  • दिल्ली-मुम्बई-दिल्ली हावड़ा रेलवे रूट पर प्रथम चरण में कराया गया रेलवे कवच का कार्य

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: देश में ट्रेनों में आमने-सामने की टक्कर को रोकने के लिए रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे ट्रेक एवं इंजन में ऐसा सिस्टम लगाया जा रहा है ताकि ट्रेन हादसा न हो। फिलहाल दिल्ली-मुम्बई-दिल्ली हावड़ा रेलमार्ग पर दौड़ने वाली हाईस्पीड ट्रेनों में इस सुरक्षा कवच को लगने का कार्य प्रथम चरण में किया गया है।

इसमें क्रांतिधरा से होकर गुजरने वाली ट्रेनों को भी दिल्ली-हावड़ा एवं दिल्ली मुम्बई रेलमार्ग की तर्ज पर सुरक्षा कवच की दरकार है। ताकि इस मार्ग पर हाईस्पीड से दौड़ने वाली ट्रेनों में यात्री सुरक्षित सफर कर सके। हालांकि भारतीय रेल का स्वदेशी सुरक्षा कवच तैयार कर ट्रेनों में लगाया जा रहा है।

सिटी रेलवे स्टेशन के अधीक्षक आरपी सिंह ने बताया कि रेलवे विभाग ट्रेन हादसों को रोकने की दिशा में कार्य कर रहा है। ट्रेनों में आमने-सामने की भिडंÞत न हो उसके लिए ट्रेन के इंजन में सुरक्षा कवच लगाए जा रहे हैं। जिसमें प्रथम चरण में इसकी शुरुआत दिल्ली-हावड़ा एवं दिल्ली-मुम्बई रेलवे मार्ग पर पटरी एवं इंजन में सुरक्षा कवच लगाने का कार्य शुरू किया गया है। हालांकि अभी मेरठ की क्रांतिधरा से होकर गुजरने वाली ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।

जिसमें आगामी वर्षों में यह सुविधा मेरठ ही नहीं बल्कि अन्य रेलवे मार्गों पर शुरू कराई जायेगी। उन्होंने बताया कि रेलवे सुरक्षा कवच लगा होने पर हादसा तो नहीं होगा, लेकिन यदि चालक की लापरवाही सामने आई तो उस पर कार्रवाई निश्चित रूप से होगी, उसकी लापरवाही को अनदेखा नहीं किया जायेगा। अधीक्षक आरपी शाही ने बताया कि ट्रेन का इंजन एवं रेलवे की पटरी सुरक्षा कवच से जुडी होंगी।

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जिसमें एक निश्चित दूरी पर यदि ट्रेने आमने सामने आती हैं तो सबसे पहले रेड सिग्नल चालक को दिखाई देगा। जिसके बाद चालक को सामने से ट्रेन आने का खतरा भांपते हुए ट्रेन को तत्काल रोकना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करता तो उसके कुछ देर बाद एक अलार्म बजेगा। जिस पर संज्ञान लेते हुए चालक को अलर्ट रहते हुए तत्वरित ट्रेन को कंट्रोल करना होगा।

यदि उसके बाद भी किसी कारण से चालक कोई एक्शन नहीं लेता तो स्वत: ही आॅटोमेटिक तरीके से इंजन में खुद ही ब्रेक लग जायेगा और दोनों आमने-सामने की ट्रेने टकराने से पहले ही थम जायेंगी। जिसके चलते हादसा तो होगा नहीं, लेकिन चालक द्वारा जो लापरवाही बरती गई। उसमें यदि इंजन को दोबारा से स्टार्ट किया जायेगा तो वह जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जायेगी।

जिसमें यदि सुरक्षा कवच में किसी ट्रेन में नंबर 340 डला हुआ है तो वह आॅटोमेटिक एक अंक बढ़कर 341 हो जायेगा। यही एक अंक जो बढ़ेगा वह चालक की लापरवाही को प्रदर्शित कर देगा। जिसके बाद चालक के खिलाफ बड़ी विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जायेगी। दिल्ली-मुम्बई मार्ग पर 1542 एवं दिल्ली-कोलकाता मार्ग पर 1469 किलोमीटर रेलमार्ग पर गत वर्ष टक्करोधी तकनीक कवच लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया था।

जिसमें दोनों रेलमार्गो पर सात हजार किलोमीटर से अधिक हिस्से पर कवच लगाने का कार्य पूरा किया गया था। वहीं, अभी दिल्ली वाया मेरठ सहारनपुर-अंबाला-देहरादून मार्ग पर चलने वाली ट्रेनों एवं पटरी पर कवच का कार्य शुरू नहीं हो सका है। धीरे-धीरे सरकार सभी रेलमार्गों पर चरणबद्ध तरीके से कवच की दरकार को जरूर पूरा करेगी।

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