- कहीं यहां भी न हो जाए हापुड़ जैसा हादसा
- फायर और प्रदूषण विभाग से भी नहीं ली गई एनओसी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: विभागीय अफसरों की लापरवाही का ही नतीजा है कि आए दिन बिना एनओसी के चल रही फैक्ट्रियों, उद्योगों, कारखानों में हादसे होते रहते हैं। हापुड़ में हुए हादसे के बाद इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में बिना एनओसी के उद्योग धंधे चल रहे हैं, जिनकी और विभागीय अफसरों का कोई ध्यान नहीं है।
हापुड़ में हुए इतने बड़े हादसे के बावजूद यहां अधिकारी अवैध रूप से चल करे कारखानों का संज्ञान लेने की जहमत तक नहीं उठा रहे हैं। उन्हें यहां शायद मेरठ में किसी बड़े हादसे के होने का इंतजार है। अभी हाल ही में मवाना रोड पर केमिकल फैक्ट्री में लगी आग इसका बड़ा उदाहरण है। इसके बावजूद यहां कोई अभियान अभी तक नहीं चलाया गया है। शहर में कई जगहों पर अवैध रूप से केमिकल फैक्ट्रियां तक संचालित हो रही हैं और अवैध रूप से छोटे गैस सिलेंडर आदि चीजों को बनाया जाता है, जिनकी एनओसी फैक्ट्री संचालकों की ओर से नहीं ली गई है।
जी हां! हम शहर की बात कर रहे हैं। यहां लिसाड़ी क्षेत्र की ही बात करें तो यहां सैकड़ों की संख्या में ऐसी फैक्ट्रियां हैं। जहां अवैध रूप से छोटे गैस सिलेंडर बनाए जाते हैं। सरकार का नियम है कि कोई फैक्ट्री आवासीय क्षेत्र में नहीं होगी, लेकिन यहां मेरठ की बात करें तो यहां आवासीय क्षेत्रों में हजारों की संख्या में फैक्ट्री खुली हैं और यहां कारोबार चल रहा है। अब बात अगर सिर्फ लिसाड़ी क्षेत्र की ही करें तो यहां न जाने कितनी ऐसी फैक्ट्रियां हैं, जोकि बिना एनओसी के चल रही है।
अवैध रूप से सिलेंडर खुलेआम बनाये जा रहे हैं। गलियों में केमिकल बनाने की फैक्ट्रियां खुली हैं, लेकिन इनके खिलाफ किसी विभाग की ओर से कोई कार्रवाई तक नहीं की जा रही है। इसके अलावा लिसाड़ी स्थित कमेला रोड पर कपड़ा बनाने की सैकड़ों की संख्या में फैक्ट्रियां लगी हैं, लेकिन इन फैक्ट्रियों में किसी विभाग की ओर से एनओसी तक नहीं ली गई है।
अधिकारियों की लापरवाही लोगों पर पड़ सकती है भारी
किसी भी फैक्ट्री का संचालन करने से पहले उसे कई विभागों से एनओसी लेनी होती है। बिना एनओसी के कोई भी फैक्ट्री संचालित नहीं हो पाती है, लेकिन यहां अनगिनत फैक्ट्रियां बिना एनओसी के संचालित हो रही हैं और कोई देखने वाला नहीं है। किसी भी फैक्ट्री को चलाने से पहले प्रदूषण विभाग, फायर विभाग, वन विभाग, नगर निगम समेत कई विभागों से कागजी कार्रवाई पूरी करनी होती है, लेकिन शहर में न जाने कितनी ही फैक्ट्रियों का संचालन बिना कागजों के हो रहा है। आवासीय क्षेत्रों में भी कमर्शियल कार्य किये जा रहे हैं, लेकिन इन्हें कोई देखने वाला नहीं है।
कब हो जाये हादसा कुछ नहीं पता?
कई फैक्ट्रियां ऐसी हैं जहां आग बुझाने वाले यंत्र किसी भी फैक्ट्री के अंदर नहीं है। कब यहां कोई बड़ा हादसा हो जाये इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। न ही फायर विभाग की ओर से कोई अभियान चलाया जाता है और न ही प्रदूषण विभाग की ओर से कोई अभियान चलाया जाता है। यहां फैक्ट्रियों में कपड़ा बनाने का कार्य किया जाता है और हजारों कुंतल कपड़ा ऐसे ही फैक्ट्री में पड़ा रहता है। यहां कब कोई हादसा हो इसकी किसी को नहीं पड़ी है। फैक्ट्रियों में आग बुझाने के कोई खास इंतजाम नहीं है। जिस कारण हादसा होने पर क्या हो कुछ नहीं पता।
इन विभागों से लेनी पड़ती है एनओसी
- प्रदूषण विभाग से एनओसी की आवश्यकता।
- फायर विभाग के अधिकारी जांच के बाद देते हैं एनओसी।
- फायर एक्यूपमेंट के बिना नहीं हो पाता फैक्ट्री का संचालन।
- वन विभाग की ओर से भी की जाती है जांच पड़ताल।
- नगर निगम की ओर से भी जारी होता है प्रमाण पत्र।
- बिना रजिस्ट्रेशन नहीं चल सकती कोई फर्म।