Wednesday, December 4, 2024
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समय हो कम तो रीविजन और मॉक टेस्टस से ही होगी तैयारी पूरी

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समय प्रबंधन की कला को जीवन प्रबंधन की कला कहा जाता है। क्योंकि समय एक ऐसा संसाधन है जिसके बेहतर उपयोग से जीवन को संवारा जा सकता है। इसके विपरीत यदि समय का ठीक ढंग से उपयोग नहीं किया जाए तो जीवन में प्रगति संभव नहीं है। इसीलिए खुद का मूल्यांकन करते हुए परीक्षा की तैयारी के लिए विभिन्न विषयों के लिए समय का उचित अलॉटमेंट करना बेहतर माना जाता है।

सीबीएसई के द्वारा दसवीं और बारहवीं की बोर्ड कक्षाओं की प्रैक्टिकल और थ्योरी परीक्षाओं के डेट शीट जारी कर दिए गए हैं। ये परीक्षाएं फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह से शुरू होने वाली हैं। कुल मिलाकर स्टूडेंट्स के लिए इन बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्राय: दो महीने से भी कम का वक्त शेष रहता है। स्कूलों में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड कक्षाओं के पाठ्यक्रम भी कम्प्लीट हो गए हैं और पहली प्री – बोर्ड की परीक्षाएं भी खत्म चुकी हैं।

परीक्षाओं के इस सीजन में स्टूडेंट्स के लिए सब कुछ अफरातफरी, चिंता और तनाव का माहौल होता है। उनके मन में भय, भ्रम और मानसिक दबाव की ऐसी तीव्र आंधी चलती है कि उस धुंध में कुछ भी स्पष्ट नजर नहीं आता है। परीक्षा के लिए तेजी से पढ़ने का प्रेशर होता है तो पढ़े हुए कंटेन्ट को भूल जाने की चिंता कम नहीं होती है। कन्फ़्युजन और कैआॅस की खतरनाक दुविधा की दशा में मन अशांत रहता है और जो कि स्टूडेंट्स को पढ़ने पर फोकस करने से रोकता है। इस सच्चाई से इनकार करना आसान नहीं होगा कि परीक्षाएं स्टूडेंट्स के लाइफ के लिए गेम चेंजर जैसा फेज होता है जो उसके कॅरियर और जीवन दोनों को प्रभावित करता है। जब कि समय काफी कम शेष रहता है तो स्टूडेंट्स की मनोदशा को समझते हुए परीक्षा की पूर्ण तैयारी के लिए अलग तरीके से रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि इन्टेन्सिव स्टडी के साथ पूरे सिलबस पर मास्टरी हो सके और मनचाहा मार्क्स हासिल हो सके।

रीविजन बहुत जरूरी है
रीविजन का सामान्य अर्थ है किसी सीखे हुए कंटेन्ट को दुहराना या फिर से सीखना। किसी भी परीक्षा की तैयारी में रीविजन की अहम भूमिका होती है। पढ़ने के समय में हम जब हम नोट बुक बनाते हैं तो इसमें सभी बातें हमारी जेहन में स्थायी रूप से नहीं रह पाती हैं। इसलिए नोट बुक को समय के एक निश्चित अंतराल में दुहराते रहने से उसके सभी कंटेंट्स मेमरी में फ्रेश रहते हैं। नियमित रूप से रीविजन का सबसे अधिक लाभ यह मिलता है कि परीक्षा की तैयारी के लिए अलग से समय देने की जरूरत नहीं होती है और परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को हम आसानी से हल कर पाते हैं।
आखिर रीविजन कैसे करें?

किसी सब्जेक्ट में किसी विशेष चैप्टर का रीविजन करते वक्त निम्न बातों को दुहराने की हमेशा कोशिश करें –
-सभी महत्वपूर्ण कॉनसेप्टस, थ्योरी, लॉ और परिभाषाओं वाले टर्म्स
-फैक्ट्स और फिगर्स
-सूत्र और उसके डेरिवेशन
-ग्राफ और डाइग्राम्स
रीविजन करते समय नोट बुक या टेक्स्ट बुक में मुख्य बिंदुओं और फैक्टस और फिगर्स को हाइलाइट कर दें। आप रीविजन के समय मुख्य पॉइंट्स को निमोनिक्स के माध्यम से भी याद रख सकते हैं। उदाहरण के लिए ट८ श्ी१८ ए४िूं३ी िटङ्म३ँी१ ख४२३ रील्ल३ व२ ठ्रल्ली ढ्र९९ं के द्वारा हम सोलर सिस्टम के नौ ग्रहों के नाम याद रख सकते हैं (इसमें प्रत्येक शब्द के पहले लेटर जैसे कि ट८ के ट से मर्क्यरी, श्ी१८ में श् से वीनस और ऐसे ही ग्रहों के नाम को उनके क्रम के आधार पर आसानी से मेमरी में रख सकते हैं)।

मॉक टेस्टस से बढ़ता है कॉन्फिडन्स
मॉक टेस्ट किसी सब्जेक्ट में रियल परीक्षा का रीहर्सल जैसा ही होता है। इसके अतिरिक्त इसमें और परीक्षा हॉल में वास्तविक परीक्षा में फर्क यह होता है कि मॉक टेस्ट ईमानदारी और खुद के द्वारा अनुशासित और निर्मित एटमॉसफेयर में दिया जाता है जहां कोई इन्विजिलेटर नहीं होते हैं। किसी विषय में फुल मार्क्स के क्वेशन पेपर को निर्धारित टाइम में हल करना और अपने आंसर्स को ईमानदारी से ईवैल्यूऐट करने की कला पर मास्टरी को परीक्षा की तैयारी की सर्वोत्तम रणनीति मानी जाती है। मॉक टेस्ट के बाद खुद की कमियों को लिखने और उसे आगे के मॉकटेस्ट के लिए सुधार करने या सीख लेने से परीक्षा की तैयारी काफी उत्कृष्ट और पूर्ण हो जाती है।

मन के भटकाव को रोकना भी है जरूरी
स्टडी के समय डिस्ट्रेक्शन काफी घातक होता है। मन के ये भटकाव विविध प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण के लिए सेल्फ स्टडी के लिए सही जगह के चुनाव की कमी भी मन को सेल्फ स्टडी पर फोकस करने से रोक सकता है। या फिर आस पास में शोर और कोलाहल के कारण भी मन का स्टडी से काफी भटकाव होता है। लिहाजा पढ़ने के लिए बैठने से पूर्व उस कमरे का सिलेक्शन करने चाहिए जिसमें मन के भटकाव का कोई कारण नहीं है। अक्सर शहरों में इस प्रकार के डिस्ट्रैक्शन से स्टूडेंट्स पढ़ाई में फोकस नहीं कर पाते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो स्टडी के लिए एक ऐसे एकांत जगह की तलाश कर लें जहां शांति और शुकुन का माहौल हो। इस तरह से पढ़ने से फोकस के साथ स्टडी संभव हो पाता है।

स्टैन्डर्ड स्टडी मटेरियल्स से ही करें स्टडी
किसी भी परीक्षा के परफेक्ट प्रेपरैशन के लिए उत्कृष्ट स्टडी मटेरियल्स और अन्य रिसोर्सेज का कलेक्शन काफी अहम होता है। इन सभी स्टडी मटेरियल्स और रिसोर्सेज के अच्छी तरह से उपयोग से किसी भी सब्जेक्ट की पूर्ण रूप से तैयारी की जा सकती है। इसलिए स्टडी मटेरियल्स के सिलेक्शन में काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। बाजार में सस्ते पब्लिकेशन्स की पुस्तकों की बाढ़ है जिसमें इनफार्मेशन और कन्टेनट्स विश्वसनीय नहीं होते हैं। इस प्रकार के बुक्स के स्टडी से बचे रहने की जरूरत है। इनफार्मेशन टेक्नॉलजी के वर्तमान माहौल में किसी टॉपिक पर कंटेन्ट का अभाव नहीं है।

टाइम मैनेजमेंट जीवन जीने की कला है
समय प्रबंधन की कला को जीवन प्रबंधन की कला कहा जाता है। क्योंकि समय एक ऐसा संसाधन है जिसके बेहतर उपयोग से जीवन को संवारा जा सकता है। इसके विपरीत यदि समय का ठीक ढंग से उपयोग नहीं किया जाए तो जीवन में प्रगति संभव नहीं है। इसीलिए खुद का मूल्यांकन करते हुए परीक्षा की तैयारी के लिए विभिन्न विषयों के लिए समय का उचित अलॉटमेंट करना बेहतर माना जाता है। इसके लिए अपने विषयों की प्राथमिकता तय करना भी एक अहम कार्य होता है। जो विषय डिफकल्ट हैं उसके लिए अधिक टाइम देना एक अच्छा टाइम मैनिज्मन्ट माना जाता है। टाइम मैनिज्मन्ट के इस तरह की स्ट्रैटिजी से परीक्षा में मनचाही सफलता की राहें आसान हो जाती हैं।

रिलेक्सेशन भी है बहुत जरूरी
नियमित रूप से स्टडी करते हुए एक समय ऐसा भी आता है जब कुछ भी समझ में नहीं आता है। यह पढ़ने और समझने का सेचयूरेशन पॉइंट होता है और इसके बाद पढ़ने की सभी कोशिशें बेकार जाती हैं। इसीलिए पढ़ने के समय नियमित अंतराल पर एक ब्रेक जरूरी होती है जिसके दरम्यान आप अपने मनबहलाव के लिए कुछ भी कर सकते हैं। टीवी देखने के साथ, चाय और कॉफी पीने के अतिरिक्त अपने फ्रÞेंड्स से बात भी कर सकते हैं। इसके बाद दिमाग फिर से तरो ताजा हो जाता है और जो भी पढ़ा जाता है उसे समझने में कोई समस्या नहीं आती है। लेकिन रिलैक्सैशन के बारे में यह हमेशा याद रखना है कि यह ब्रेक थोड़े समय का हो। अधिक लंबे समय के रिलैक्सेशन से दुबारा पढ़ने के लिए खुद को तैयार करने में काफी कठिनाई होती है।

सोशल मीडिया से रखें परहेज
पढ़ाई पर फोकस करने की राह में एंड्रॉयड मोबाइल फोन और सोशल मीडिया सबसे बड़े अड़चन के रूप में कार्य करता है। मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के यूज अब आदत नहीं बल्कि एडिक्शन के रूप में तन और मन दोनों के लिए घातक हो चुके हैं। वैसे तो इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकते हैं कि मौजूदा माहौल में मोबाइल फोन के बिना सामान्य जीवन जीना संभव नहीं है किन्तु पूर्ण परीक्षा की तैयारी के लिए इसका विवेकपूर्ण उपयोग नितांत जरूरी है। पढ़ने के समय में मोबाईल फोन को आॅफ रखने से समस्या बहुत हद तक दूर की जा सकती है। किन्तु इसके लिए मन पर नियंत्रण बहुत जरूरी है।

परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
-प्राथमिकता तय करें और कठिन विषयों के लिए अधिक टाइम दें।
-पूर्व के वर्षों के प्रश्न पत्रों को भी हल करने से परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलती है।
-पढ़े हुए पाठों को दुहराना जरूरी है। इससे सब्जेक्ट की अच्छी तैयारी में मदद मिलती है।
-अधिक से अधिक न्यूमेरिकल प्रश्नों को सॉल्व करने की प्रैक्टिस करें।
-सब्जेक्ट मैटर को रटें नहीं समझने की कोशिश करें।
-नियमित रूप से ईमानदारीपूर्वक मॉक टेस्ट देने की प्रैक्टिस करें। मॉक टेस्टस का ईवैल्यूऐशन करें और खुद की कमियों को सुधारते हुए आगे बढ़ते रहें।
-पढ़ते समय इम्पॉर्टन्ट पॉइंट्स को नोट करते रहें।
-समय की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए प्लान बनाएं और उस पर सख्ती से पालन करें।
-सबसे अधिक अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घबराएं नहीं, धैर्य रखें।
श्रीप्रकाश शर्मा


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