नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। होली और भांग का कनेक्शन सैंकड़ों हजारों साल पुराना है। तन बदन को रंगों की झुरझुरी में सराबोर करने के साथ मदमस्त करने वाला पेय भांग रंग में भंग अगर ना करे तो होली का आनंद कैसे पता चले। एक तरफ जहां भंग पीने के बाद लोग सुधबुध खो देते हैं तो वहीं हंसते हैं तो फिर घंटों हंसते ही रहते हैं।
इतना ही नहीं अगर नाचना शुरू कर दिए तो फिर घंटों तक थिरकते पैर नहीं रुकते। चेहरे पर घंटों तक मुस्कान बनी रहती है। रंगों के त्योहार के बहाने जानते हैं कि रंग में भंग यानि भांग का असली विज्ञान क्या है, आखिर भांग पीने के बाद इंसान इतना खुश नजर क्यों आता है। खासकर होली पर भारत में भांग इस्तेमाल करने का चलन रहा है। तरीका बेशक अलग हो सकता है। कई लोग तो इसे ठंडाई में मिलाकर पीते हैं तो कुछ इसे पीसकर भी इस्तेमाल करते हैं। आइए समझते हैं रंग में भंग पैदा करने वाले भांग का असली विज्ञान…
आखिर भांग शरीर में ऐसा क्या करता है?
भांग को अंग्रेजी में कैनाबिस, मैरिजुआना और वीड कहते हैं। इसे खाने के बाद जो लोग खुशी को अनुभव करते हैं, उसकी वजह है हैप्पी हार्मोन। यह शरीर में पहुंचकर डोपामिन हॉर्मोन को रिलीज करता है। इसे हैप्पी हॉर्मोन कहते हैं। यह हमारे मूड को कंट्रोल करता है। खुशी के स्तर को बढ़ाने लगता है।
यही वजह है कि जो बोलता है वो बोलता ही रहता है और अपनी बातें रिपीट करता रहता है। कोई हंसता है तो लगातार हंसते ही रहता है। इसे किसी भी रूप में लेने के बाद अलग किस्म की खुशी मिलती है, नतीजा लोग बार-बार उस खुशी को पाने के लिए आदी होने लगते हैं। यह आदत इससे होने वाले खतरों को बढ़ा देती है।
कितनी जल्दी असर दिखाता है?
भांग का नशा ऐसा है जो अलग-अलग तरह से अपना असर दिखाता है। नशा कितनी जल्दी चढ़ेगा, यह निर्भर करता है कि इसे किस रूप में लिया जा रहा है। जैसे- भांग का इस्तेमाल अगर सिगरेट या बीड़ी में होता है तो इसका असर कुछ ही सेकंड में होने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फेफड़े बहुत जल्दी ही इसका धुआं सोख लेते हैं और यह असर दिमाग तक पहुंचता है।
भांग को खाते या पीते हैं तो नशा चढ़ने में समय लगता है। ऐसी हालात में असर दिखने में एक घंटा या इससे ज्यादा समय लग सकता है। हालांकि ऐसी स्थिति में दिमाग ज्यादा सक्रिय हो जाता है और असर लम्बे समय के लिए होता है। आसान भाषा में समझें तो कुछ समय के लिए दिमाग हायपर एक्टिव हो जाता है। इंसान के सोचने-समझने की क्षमता घट जाती है। मात्रा ज्यादा लेते हैं तो खतरे भी बढ़ते जाते हैं। अब इससे होने वाले नुकसान को भी समझ लेते हैं।
भांग के कितने खतरे?
चूंकि भांग का सीधा असर दिमाग पर होता है, इसलिए मात्रा कम ले रहे हैं या ज्यादा, उसका उतना ही असर दिमाग पर होगा। ज्यादा मात्रा में लेते हैं तो दिमाग ठीक से काम करना बंद भी हो सकता है। इंसान कुछ भी बोलने लगता है। उसे स्पष्ट दिखना बंद होने लगता है। ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हार्ट अटैक की आशंका भी बढ़ती है। आंखें लाल नजर आने लगती हैं। सांस की दिक्कत बढ़ने का भी खतरा होता है।
दुनियाभर में भांग का इस्तेमाल सिर्फ नशे के लिए ही नहीं बल्कि दवाओं में भी किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि दुनिया की 25 फीसदी आबादी भांग का इस्तेमाल करती है। इसका इस्तेमाल इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह कम कीमत पर मिल जाता है। लेकिन, इसके खतरों से भी अलर्ट रहने की जरूरत है। इसे दवा के रूप में भी ले रहे हैं तो भी बिना डॉक्टरी सलाह के लेना ठीक नहीं।