Thursday, May 15, 2025
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आदेशों की अनदेखी, नाले के ऊपर से नहीं हटी दुकानें

  • निगम की बोर्ड बैठक में कई बार पास हो चुका प्रस्ताव
  • घंटाघर, छतरी वाला पीर, बुढ़ाना गेट, नालों के ऊपर ही बनी हैं दुकानें

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शहर में अवैध कब्जे होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन पूरे शहर में अतिक्रमण हटाया जाए और कुछ जगहों को छोड़ दिया जाए तो यह सही नहीं है। ऐसा ही हाल कुछ बुढ़ाना, छतरी वाला पीर के पास, जली कोठी, घंटाघर के पास नाले के ऊपर सभी जगहों पर नाला पाटकर दुकानें बना दी गर्इं हैं और यहां से दुकानों को नहीं हटाया जा रहा है।

जिस कारण यहां नाला साफ नहीं होता और जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जबकि यह हालात तो तब हैं, जब यहां बोर्ड में सदन में कई बार प्रस्ताव तक पास हुआ कि इन दुकानों को नाले के ऊपर से हटाया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और यहां दुकानेें लगातार चल रही हैं।

बुढ़ाना गेट बाजार

शहर में बुढ़ाना गेट स्थित रेवड़ी बाजार कोई नया बाजार नहीं है। यहां यह बाजार बरसों पुराना है और बरसों से यहां नाले के ऊपर ही दुकानें बनी हुई हैं। यहां दुकानदारों की ओर से नाला पाटकर दुकान बना दी गर्इं हैं, लेकिन नगर निगम यहां से अभी तक अतिक्रमण नहीं हटा पाया है।

जबकि नगर निगम की ओर से पूरे शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है। बावजूद इसके यहां किसी भी दुकानदारें के खिलाफ न तो कार्रवाई की गई और न ही कोई जुर्माना वसूला गया है। बाजार में बुढ़ाना गेट चौकी से लेकर जिमखाना मैदान तक यही हाल है। हनुमान मंदिर के ठीक सामने दर्जन भर दुकानें यहां नाला पटरी पर बनी हैं।

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दुकानदारों ने यहां पक्का निर्माण तक कर रखा है, लेकिन इसे यहां से नहीं हटाया जा रहा है। जबकि इसकी शिकायत वेदवाड़ा निवासी गगन पाराशर ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत कर रखी है। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

छतरी वाला पीर के पास नाले के ऊपर कब्जा

जली कोठी के पास छतरी वाला पीर की बात करें तो पीर के ठीक सामने यहां कई दुकानें नाले के ऊपर बना दी गर्इं हैं। यह दुकानें यहां बरसों से चल रही है। जबकि इन्हें यहां से हटाया नहीं गया है। एक तो कब्जा और वह भी पक्का निर्माण यहां कर लिया गया है।

नगर निगम की ओर से यहां भी अभियान नहीं चलाया गया है। यहां लोगों ने पक्का निर्माण कर रखा है। नाले के ऊपर दुकानें बनी हैं और नाले साफ नहीं हो पा रहे हैं। जिस कारण परेशानी होना तय है।

घंटाघर के सामने भी यही हाल

बात घंटाघर की करें तो यहां भी सूट की दुकानें व जूस की दुकानें नाले के ऊपर ही बना दी गई हैं। यहां नाला पाटकर दुकानें बनाई गर्इं हैं और इसकी दूरी नगर निगम से महज 100 मीटर ही है। इसके बावजूद यहां खुलेआम दुकानें चल रही है। अतिक्रमण हटाने के समय यह दुकानें पीछे हटा ली जाती हैं, लेकिन फिर से यहां कब्जा कर लिया जाता है और इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

भूमिया का पुल

भूमिया के पुल के नाले के ऊपर तो हालात और भी खराब है। यहां नाले पर चैनर डाल कर दुकानें चलाई जाती हैं और रोजना कूड़ा इन्हीं नालों में डाला जाता है। जिस कारण नगर निगम भी परेशान है। नगर निगम हर साल करोड़ों रुपये नालों की सफाई पर खर्च करता है और बावजूद इसके यहां इन जगहों पर नाले साफ नहीं हो पाते। उधर, पार्षद नेता अब्दुल गफ्फार ने बताया कि यह प्रस्ताव सदन में पहले ही पास हो चुका था कि सभी नालों के ऊपर से कब्जे हटाए जाएं, लेकिन नालों के ऊपर से अभी तक कब्जे नहीं हटाए गये हैं।

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