Saturday, June 21, 2025
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बजट में गरीबों की अनदेखी

Samvad 44

केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने, मध्यम वर्ग को राहत देने और विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। इस बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये वार्षिक कर दी गई है, जिससे मध्यम वर्ग के लोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, कृषि क्षेत्र में दालों और कपास के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष मिशन शुरू किए गए हैं और किसानों के लिए सब्सिडी युक्त ऋण की सीमा बढ़ाई गई है। स्टार्टअप्स और छोटे उद्यमों के समर्थन में, सरकार ने नए प्रोत्साहन और फंड की घोषणा की है, जिससे नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 50.65 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें सड़क, रेल, और हवाई संपर्क में सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद का 4.4 प्रतिशत निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष के 4.8 प्रतिशत से कम है।

इस बजट की आलोचना के रूप में, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्व वृद्धि सीमित हो सकती है, जबकि पूंजीगत व्यय पर जोर दिया गया है। इसके अलावा, निजी निवेश और रोजगार सृजन में अपेक्षित वृद्धि नहीं होने की चिंता भी व्यक्त की गई है। हालांकि, बजट में घोषित कर कटौती और अन्य प्रोत्साहनों से मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है। बजट में कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कुछ प्रमुख घोषणाएं की गई हैं। दालों और कपास के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विशेष मिशन शुरू किए गए हैं, जिससे घरेलू आपूर्ति बढ़ेगी और आयात पर निर्भरता कम होगी। सरकार ने किसानों को ब्याज में छूट और सब्सिडी युक्त ऋण देने का प्रावधान किया है, जिससे छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता मिलेगी। ग्रामीण बुनियादी ढांचे और कृषि उत्पादों के भंडारण की सुविधाओं के लिए भी धन आवंटित किया गया है, जिससे किसानों को अपनी फसलों का उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, सरकार ने जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही है, लेकिन इसके लिए किसानों को तकनीकी सहायता और जागरूकता की अधिक आवश्यकता होगी। अगर यह पहल सही तरीके से लागू नहीं होती, तो यह केवल कागजों तक ही सीमित रह सकती है। बजट में कृषि को समग्र रूप से समर्थन दिया गया है, लेकिन किसान संगठनों की कुछ प्रमुख मांगों को नजरअंदाज किया गया है।

शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट 2025-26 में डिजिटल शिक्षा, शोध एवं नवाचार, और उच्च शिक्षा में सुधार की घोषणाएँ की गई हैं। सरकार ने स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया है। साथ ही, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों को मजबूत करने के लिए भी नए प्रावधान किए गए हैं, जिससे युवाओं को रोजगार के लिए अधिक सक्षम बनाया जा सके। हालांकि, शिक्षा क्षेत्र को लेकर इस बजट में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां भी बनी हुई हैं। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए बजट में कोई बड़ा इजाफा नहीं किया गया है, जिससे सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार की संभावनाएँ सीमित हो सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक नियुक्ति, स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर, और शिक्षकों के वेतन संबंधी मुद्दे अब भी बने हुए हैं, लेकिन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बजट में कुछ प्रावधान किए गए हैं, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारत में उच्च शिक्षा अब भी महंगी होती जा रही है, और निजी विश्वविद्यालयों की फीस संरचना को नियंत्रित करने को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई गई।

बजट 2025-26 में गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी से निपटने के कुछ सकारात्मक प्रयास किए गए हैं, लेकिन कई महत्वपूर्ण पहलुओं को अनदेखा किया गया है। सरकार ने मध्यम वर्ग को कर राहत दी है, लेकिन गरीब तबके के लिए कोई बड़ी नकद सहायता योजना नहीं है। महंगाई नियंत्रण के लिए कुछ उपाय किए गए हैं, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास नहीं किए गए। रोजगार सृजन के लिए बुनियादी ढांचे और टरटए क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया है, लेकिन सरकारी नौकरियों में वृद्धि की कोई योजना नहीं दी गई है। बजट में सरकार ने मध्यम वर्ग और गरीब तबके को राहत देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिससे मध्यम वर्ग को फायदा मिलेगा, लेकिन गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए यह राहत अप्रासंगिक है। सरकार ने उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और मनरेगा जैसी योजनाओं को जारी रखा है, लेकिन इन योजनाओं के लिए आवंटित बजट में अपेक्षित वृद्धि नहीं की गई।

गरीबों को सीधे नकद सहायता देने की कोई नई योजना नहीं लाई गई है, जिससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों और दैनिक वेतनभोगियों की वित्तीय सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने के लिए रोजगार गारंटी योजनाओं का विस्तार किया जाना चाहिए था, लेकिन इसमें बजट आवंटन बढ़ाने की जगह इसे पिछले साल के स्तर पर ही रखा गया है। इससे गरीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता पर संदेह उत्पन्न होता है।

बजट में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं दिखता। सरकार ने कुछ खाद्य वस्तुओं पर करों में कटौती की है, लेकिन पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई, जिससे ट्रांसर्पोटेशन लागत में कोई राहत नहीं मिलेगी और वस्तुओं की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं। खुदरा महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए सरकार को खाद्य और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर अधिक नियंत्रण रखना चाहिए था। हालांकि, सरकार ने राजकोषीय घाटे को 4.4 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है, जिससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की संभावना है, लेकिन यह लक्ष्य कितनी सफलता से पूरा होगा, यह समय ही बताएगा।

बजट 2025-26 में स्टार्टअप्स और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने की बात कही गई है, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 50.65 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिससे निर्माण और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। हालांकि, सरकारी नौकरियों की संख्या में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं की गई है। मनरेगा जैसी योजनाओं में बजट में बढ़ोतरी नहीं की गई, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी कम करने की संभावना सीमित हो जाती है। आईटी और सेवा क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए कोई विशेष योजना नहीं लाई गई, जिससे शहरी बेरोजगारी की समस्या बनी रह सकती है

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