Wednesday, February 19, 2025
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लिवर-किडनी के लिए घातक है पेनकिलर का बेजा इस्तेमाल

  • मामूली दर्द में पेनकिलर लेने की आदत खतरनाक

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: शरीर में मामूली सा दर्द होने पर दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना आम बात है लेकिन यह दवाएं शरीर के लिए काफी घातक साबित हो सकती है। इनका ज्यादा सेवन लिवर व किडनी पर घातक असर डालता है जिसके बाद मरीज को अन्य दूसरी बीमारियां जकड़ लेती है। विशेषज्ञों का कहना है जिनता हो सके दर्द को सहन करने की आदत डाले, अब दर्द असहनीय हो जाए तभी किसी अच्छे डाक्टर से सलाह लेकर ही केवल पेरासिटामोल दवा को ही दर्द निवारक के रूप में लिया जा सकता है।

दर्द को महसूस करना बंद करें

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फार्मासिस्ट अशोक रस्तौगी का कहना है दर्द शरीर में नाकारात्मक वाइब्रेशन पैदा होने से होता है। हालांकि पेट में पथरी होने पर होने वाले दर्द से आराम के लिए पेनकिलर ली जा सकती है लेकिन वह भी बिना डाक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।

जबकि पैर में दर्द, सिर में दर्द, पेट में दर्द, हाथ में दर्द, आंखों में दर्द, दांत में दर्द होने पर जितना हो सके पेनकिलर का प्रयोग करने से बचना चाहिए। इस दर्द को सहन करने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि एक बार दर्द से छुटकार पाने के लिये पेनकिलर लेने पर इसकी आदत पड़ जाती है जो खतरनाक है।

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता होती है प्रभावित

पैरासिटामोल दवा को दर्द निवारक के रूप में लिया जा सकता है वह भी चिकित्सक की सलाह के बाद और बेहद सीमित मात्रा में। जबकि डिक्लोफेनिक, सिफ्लोफेनिक, सिलोसिफिटिक व न्यूमैथोलाइट जैसी दवाएं नेफ्रोटाक्सिजिटि बनाती है जिनसे गुर्दो पर सीधा असर पड़ता है। यहां तक की गुर्दे खराब होने के बाद मरीज डायलिसिस पर आ सकता है।

जिसका इलाज केवल गुर्दे का प्रत्यारोपण ही रह जाता है जो काफी महंगा होता है। इसके साथ ही पेनकिलर लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है जिसके बाद जरा सा भी दर्द होने पर मरीज खुद ही पेनकिलर लेकर खाना चाहता है। जिसके बाद उसके शरीर को इसकी आदत पड़ जाती है।

ओमिप्राजोन, बैटोप्राजोन पर रोमानिया में लगा प्रतिबंध

हाल ही में रोमानिया में हुई एक रिसर्च के बाद जिन मरीजों की उम्र पाचास साल से अधिक है उन्हें ओमिप्राजोन व बैटोप्राजोन जैसे पेनकिलर देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन हमारे देश में अभी भी इस तरह की दवाएं खुलेआम बाजारों में बिक रही है। यहां तक की गली-मोहल्लों में बैठे झोलाछाप डाक्टर धड़ल्ले से पेनकिलर दवाएं लिख रहें है जिसपर रोक लगनी चाहिए।

त्वरित आराम देती है पेनकिलर

शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होने पर पेनकिलर लेने से आराम हो जाता है। लेकिन आम तौर पर जनता को यह पता नहीं है कि दर्द से राहत पाने के लिए जो पेनकिलर ली जाती है वह केवल तभी तक दर्द से राहत देती है जबतक उसका असर रहता है। असर खत्म होने के बाद फिर दर्द शुरू हो जाता है जिसके बाद दोबारा से पेनकिलर लेनी पड़ती है। इसके बाद बार-बार दर्द निवारक दवाएं लेने की स्थिति पैदा हो जाती है। जबकि यदि दर्द होने पर काबिल डाक्टर से सलाह लेकर ही दवाएं लेनी चाहिए वह भी सीमित मात्रा में।

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