Thursday, October 9, 2025
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सर्पदंश में झाड़-फूंक पर नहीं, चिकित्सक पर करें भरोसा

  • चिकित्सकों की सलाह सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को कराए अस्पताल में भर्ती
  • शिक्षा और जागरूकता का अभाव, ग्रामीण इलाकों में नहीं लेते चिकित्सा सुविधा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: तमाम सरकारी दावों के बावजूद सर्पदंश से होने वाली मौत के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आ रही है। सर्पदंश का शिकार ज्यादातर समाज के गरीब और हाशिये पर रहने वाले जाति-समूह के लोग होते हैं। अभी हाल में ही दौराला थाने के गांव पनवाड़ी में बीते बुधवार को जहरीले सांप के काटने से मां-बेटे की मौत हो गई।

सांप काटने के बाद दोनों को इलाज के बजाय झाड़-फूंक के लिए ले जाया गया। हालत बिगड़ी तो अस्पताल ले गए, पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। आज भी शिक्षा और जागरूकता के अभाव में ग्रामीण इलाकों के लोग चिकित्सा सुविधा का लाभ लेने के बजाय सर्पदंश का इलाज झाड़-फूंक में तलाशते हैं।

डा. हर्षल सिंह परिहार के मुताबिक सांप काटने पर जो प्रथा चली आ रही है, सांप काटने पर उस जगह पर पट्टी बांध लेना, ऐसा नहीं करना चाहिये। क्योंकि इससे जहर एक जगह पर रुक जाता है। जिससे उस अंग को काटने तक की नौबत आ जाती है। जितनी भी मौतें होती है वो ज्यादातर न्यूरो टॉक्सिक सांप, करैत, कोबरा के काटने से होती है। आज भी ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश के मामलों में पढ़े-लिखे और अनपढ़ सभी लोगों में झाड़-फूंक पर गजब का अंधविश्वास कायम है।

जहरीले सांप के काटने पर झाड़-फूंक के चक्कर में मरीज की जान तक चली जाती है। दरअसल, जहरीले सांपों की प्रजाति दो तरह की होती है। एक वह जो नर्वस सिस्टम को ब्रेक करते हैं और दूसरा ब्लड सकुर्लेशन को प्रभावित कर मरीज की जान लेते हैं। पीड़ित का इलाज इंजेक्शन से संभव है, जो मरीज को समय पर डॉक्टर के पास ले जाने पर लगाया जाता है।

यदि मरीज जरा-सा भी लेट हो जाता है तो उसकी जान भी जा सकती है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में रोजाना लगभग 20-25 लोग सर्पदंश से पीड़ित आ रहे हैं और जल्दी स्वस्थ होकर अपने घर जा रहे हैं। वे बताते हैं कि अगस्त माह में अब तक 19 सर्पदंश के मरीज जिला अस्पताल में आए हैं। झाड़-फूंक पर बोले कि वह ही लोग ठीक होते हैं, जिनमें कम जहर होता है।

ग्रामीण डॉक्टरों पर कम, झाड़-फूंक पर ज्यादा करते हैं भरोसा

गांव के लोग आमतौर पर सांप काटने पर डॉक्टरों से इलाज कराने की बजाए झाड़-फूंक करने वालों पर ज्यादा भरोसा करते है। इनके झाड़ फूंक से कई बार पीड़ित की जान भी चली जाती है। इसके बावजूद इन लोगों का मानना है कि सांप के काटने पर डॉक्टरों के बजाए झाड़-फूंक करने वालों के पास जाने में पीड़ित के बचने की संभावना ज्यादा है। यही वजह है कि ऐसे लोग अब भी गांवों और दूरदराज के इलाकों में बड़ी संख्या में झाड़-फूंक कर रहे हैं, जिससे सर्पदंश से पीड़ित की मौत हो जाती है।

मानसून के मौसम में अधिकतर होती है सांप काटने की घटनाएं

ग्रामीण इलाकों और वन क्षेत्रों में गर्मी व बरसात के मौसम में सांप काटने की घटनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं। बरसात के मौसम में बारिश जहां भीषण गर्मी से लोगों को राहत पहुंचाती है। वहीं, दूसरी ओर बारिश सांपों के लिए भी कहर बन जाती है। बारिश की वजह से सांपों का बिल पानी से भर जाता है, जिसके कारण वे बाहर आकर सुरक्षित स्थान खोजने लगते हैं। ऐसे में कई सांप घरों में घुस जाते हैं, जिससे सर्पदंश जैसी घटनाएं बढ़ जाती है।

सर्पदंश के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं ग्रामीण व किसान

सर्पदंश से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा ग्रामीणों और किसानों की होती हैं। बारिश में, खेतों में काम करने के दौरान किसान अक्सर सर्पदंश के शिकार हो जाते हैं। सर्पदंश की स्थिति में पीड़ित मरीज की मौत, बेहतर इलाज न मिल पाने के कारण हो जाती है। सरकारी अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन मौजूद होता है।

वेस्क्यूलो टॉक्सिक सांप

डा. हर्षल सिंह परिहार के मुताबिक वेस्क्यूलो टॉक्सिक सांप ऐसा स्नेक होता है। जिसके काटने से खून पतला हो जाता है। सांप काटने पर तीन चीजें ध्यान रखना है कि 24 घंटे में आपके कमर में दर्द तो नहीं हो रहा है। इसका मतलब है कि आपकी किडनी खराब हो रही हैं। कहीं आपके पेशाब में लाल रंग तो नहीं आ रहा है। मतलब आपका खून पतला हो रहा है। थूक या मल किसी भी रास्ते से खून तो नहीं आ रहा है। मतलब सांप आपको काटा है वह खून पतला करने वाला सांप है।

न्यूरो टॉक्सिक सांप

डा. हर्षल सिंह परिहार के मुताबिक अगर न्यूरो टॉक्सिक सांप है तो आपकी आंखें बुझी-बुझी सी रहेंगी। आधी खुली आधी बंद जैसी रहेंगी। ये सब लक्षण को देखना है। अगर ऐसा होता है तो आपको जिला अस्पताल आकर अपना इलाज कराना चाहिए। जिला अस्पताल में एंटी वेनम का पर्याप्त स्टॉक है। 24 घंटे चाहे दिन हो या रात सर्पदंश जब भी हो बिना देरी किए जिला अस्पताल तक मरीज को पहुंचाने से उसकी जान बच सकती है।

ये हैं बेहद जहरीले सांप

  • कोबरा (भारतीय नाग)

इसके डंसने के कुछ ही समय बाद शरीर का न्यूरो सिस्टम काम करना बंद कर देता है और लकवा मार जाता है। इसमें न्यूरोटॉक्सिन व कार्डियोटॉक्सिन यानी नर्वस सिस्टम और दिल पर असर करने वाला जहर होता है।

इसके जहर से आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

  • करैत

करैत भारत में पाया जाने वाला सबसे जहरीला सांप है। यह मुख्यतया रात को बाहर निकलने वाला सांप होता है। यह रात को सोते समय हमला करता है। इसके काटने के बाद व्यक्ति को दर्द महसूस नहीं होता और अक्सर नींद में उसकी मौत हो जाती है।

यह सांप पतला और लंबा होता है। इसके काले शरीर पर एक साथ दो गोल-गोल सफेद लाइनें होती हैं। जिस जगह पर करैत काटता है, वो जगह मच्छर के काटने जैसी लगती है। इन सभी वजहों से करैत को भारत का सबसे ज्यादा जहरीला सांप माना जाता है।

ये हैं सर्पदंश के लक्षण

  • सर्पदंश होने पर अत्यधिक असर मानव तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क) पर होना।
  • सबसे अधिक बेहोशी का आना।
  • पलकों का भारी होना व अत्यधिक नींद का आना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना।
  • आखों में दुधलापन छाना।
  • अत्यधिक पसीना आना।

सांप काटे तो क्या करें?

  • सर्पदंश वाले अंग को न मोड़ें।
  • सर्पदंश वाले अंग पर सूजन वाले भाग में रस्सी व पट्टी न बाधें।
  • पीड़ित को सीधा रखें।
  • पीड़ित को तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जायें।

सर्पदंश का प्राथमिक उपचार

  • सबसे पहले रोगी को आश्वस्त करें कि हर सांप जहरीला नहीं होता है। लगभग 70 से 80 प्रतिशत मृत्यु मामले गैर विषैले सर्प से काटने से होते हैं।
  • शरीर के प्रभावित हिस्से से अंगुठियों, घड़ी आभूषण, जूते व तंग कपडेÞ हटा दें, ताकि प्रभावित हिस्से में रक्त की आपूर्ति न रुके।
  • सर्पदंश से प्रभावित अंग को स्थिर करने से उसे हिलाने डुलाने से बचे।
  • प्रभावित अंग के स्थान से दो अंगुल ऊपर या नीचे ही पट्टी बांधें।
  • सर्पदंश से प्रभावित व्यक्ति को जितनी जल्दी हो सके निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र ले जायें।

एंटी स्नैक वेनम हैं उपलब्ध

सर्पदंश से पीड़ितों के बचाव के लिए जिला अस्पताल में करीब 50 से ज्यादा एंटी स्नैक वेनम डोज रखे गए हैं। उन्होंने लोगों से सांप काटने पर फौरन अस्पताल लाने की अपील की है। ताकि समय पर इलाज कर मरीज की जान बचाई जा सके।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को सर्पदंश के मामले में न तो अंधविश्वास में पड़ना चाहिए और न ही लापरवाही बरतनी चाहिए। सर्पदंश के बाद तुरंत उपचार के बाद मरीज को बचाया जा सकता है।
-डा. हर्षल सिंह परिहार, जिला अस्पताल, इमरजेंसी विभाग के एचओडी

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