- हिंदी भाषा को बढ़ाने के लिए सरकार भी कर रही प्रयास
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: विगत कुछ वर्षों से देखा गया है कि हिंदी भाषा के प्रति विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में छात्राओं का रुझान लगातार बढ़ रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयारी के चलते छात्र हिंदी भाषा को अधिक महत्व दे रहे है। उनका हिंदी में प्रस्तुतीकरण भी बेहतर हो रहा है। 20वीं शताब्दी के छठवें दशक के बाद हिंदी की दुनिया द्वंदात्मकता सभार से बनी हुई थी। वह अब बदल गई है। व्याख्या की घोषित शब्दावली और शर्तें बदल गई है। नई शब्दावली चंद्रयान शिव शक्ति और आदित्य की है। यह शब्दावली हिंदी को ज्ञान विज्ञान और समर्थ की भाषा बन रही है।
यह हिंदी का नया जगत है। हिंदी का इस नए जगत के साथ समर्थ का संवाद है। यह हिंदी का नया उत्साह भाव है। हिंदी की नई दुनिया विलाप कि नहीं विकास की चली है। हिंदी आक्रोश कि नहीं आशा की भाषा बन रही है। नई हिंदी डब की नहीं ज्ञान की भाषा बन चली है। नई हिंदी नया समाज इस चेतन को वहां कर रहा है और हिंदी लोगों के बीच लगातार पॉपुलर हो रही है। एक हजार से अधिक पोस्ट हिंदी में साझा किया जा रहे है। संयुक्त राष्ट्र से संबंधित हिंदी समाचार विभिन्न इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर से दिखाई जा रही है।
पचास हजार से अधिक फॉलोअर्स संयुक्त राष्ट्र हिंदी समाचार के एक्सेस प्लेटफार्म पर जुड़ चुके है। उनतीस हजार से अधिक लोग संयुक्त राष्ट्र से संबंधित हिंदी समाचार को फॉलो करते है। इंस्टाग्राम पर वही के फेसबुक पर ऐसे लोगों की संख्या पन्द्रह हजार से अधिक है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की जरूरत पर जिन लोगों ने बोल दिया। वह सभी अहिंधी भाषी द महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य आदि की मातृभाषा हिंदी नहीं थी किंतु सभी ने हिंदी को महत्वपूर्ण माना और इसके समर्थन में कार्य किया।
हिंदी आज मधुबनी इच्छा और भावना को अभिव्यक्त करने वाली भाषा बन गई है। यह हिंदी की नई दुनिया है। 80 से अधिक देशों के विद्यार्थी हिंदी की लोकप्रियता से आकर्षित होकर अब तक केंद्रीय हिंदी संस्थान से कर चुके है। हिंदी की पढ़ाई हर वर्ष 35 से 36 देश के सैकड़ो विद्यार्थी केंद्रीय हिंदी संस्थान के दिल्ली और आगरा केंद्र में आकर सीखते है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विदेशों में भी हिंदी बहुत तेजी से अपने पांव फैला रही है। 100 से अधिक देशों में इस समय हिंदी का प्रयोग किया जा रहा है।
60% की दर से वर्ष 2017 से 2022 के बीच हिंदी समाहित दूसरी भाषाओं के कंटेंट का मार्केट देश में बड़ा है। इंटरनेट और मोबाइल यूजर की कुल संख्या में छोटे शहरों के उपयोगिताओं की संख्या बढ़ने से आने वाले समय में हिंदी की सामग्री का प्रयोग और ज्यादा बढ़ाने की उम्मीद लगाई जा सकती है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के प्रोफेसर डा. आरएस सेंगर बताते है कि शिक्षक होने के नाते मैंने देखा है कि अपने छात्रों के सामने विषय से संबंधित बुनियादी धारणाओं को मजबूती दिलाने के लिए यदि उनको हिंदी में पढ़ाया जाता है।
तो वह ज्यादा समझते हैं उसमें स्पष्ट रहती है और जिसके कारण वह छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त आसानी से कर लेते हैं क्योंकि जब उनको बुनियादी चीज समझ में आ जाती हैं और उनके ऊपर भाषा का दबाव नहीं रहता है तो निश्चित रूप से वह उसमें अच्छी तरह से ज्यादा सफल हो सकते है। हिंदी में तैयारी करने से सफलता की दर छात्रों में अधिक देखी जा रही है। आज देश में ही नहीं विदेश में कई ऐसे लोग है। जो हिंदी में लिख पढकर बोलकर अपनी पहचान बना रहे है।