- एफआईआर और जेल की कार्रवाई से नजर आते हैं बेखौफ
- स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई के बाद भी पनप रहे तेजी से
- गली-गली गांव-गांव फैले हैं झोलाछाप, हालत बिगड़ते ही कर देते रेफर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बीमारों के इलाज की कोई डिग्री न होते हुए भी उनके पास हर मरीज इलाज का जुगाड़ है। कुछ तो असाध्य माने जाने वाले कैंसर तक का इलाज करने का कूबत का दावा करते हैं। सबसे अच्छा इलाज तो ये ताकत और बच्चा पैदा होने का करते हैं। कुछ का क्लीनिक तो टेंट में चल रहा है। ऐसा भी नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग इनके बेखबर हो, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लगातार कार्रवाई के बाद भी झोलाछाप तेजी से फल-फूल रहे हैं।
इन दिनों जबरदस्त सीजन
सर्दी के मौसम में गांव देहात ही नहीं शहर के पिछडेÞ इलाकों में हर मर्ज के इलाज के नाम पर दुकान खोलकर बैठे झोलाछापों का इन दिनों जबरदस्त सीजन चल रहा है। मरीजों की बात करें तो कतार नजर आती है। गांव देहात के जिला इलाकों में या कहें सरकारी स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों तक जो नहीं पहुंच सकते, जानलेवा सर्दी के इस मौसम में उनके लिए झोलाछाप ही मुफीद साबित हो रहे हैं।
मरीजों का नहीं टोटा
शहर के महंगे डाक्टरों के क्लीनिकों पर इतनी भीड़ नहीं मिलती जितनी भीड़ देहात के दूरदराज व शहर के पिछडेÞ या कहें घनी आबादी वाले इलाकों में झोलाछाप डाक्टरों के नजर आती है। कहने को भले ही इन पर झोलाछाप की मुहर लगी हो, लेकिन मरीजों के मामले में ये डिग्री धारक डाक्टरों से काफी समृद्ध नजर आते हैं। कुछ इलाकों में तो पॉश कालोनियों में रहने वाले भी इनके यहां देखे जा सकते हैं। ऐसे लोगों का तर्क होता है कि जिनकी दवा गलती है या जिनकी दवा से मरीज ठीक होता है, उसी से इलाज कराना बेहतर है।
इन बीमारियों के विशेषज्ञ
सर्दी के मौसम में ज्यादा मरीज बुखार के गली-मोहल्लों गांव और शहर की पाश कालोनियों में बुखार, दाद-खाज और खुजली के अलावा सांस के गंभीर मरीजों रोगी होते हैं। ये झोलाछाप सभी का इलाज कर रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टर भोले-भाले लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कुछ स्वास्थ्यकर्मियों की मिलीभगत से झोलाछापों ने हॉस्पिटल तक खोल रखे हैं।
इलाज या जान जोखिम में
झोलाछापों से इलाज कराने वाले ऐसा नहीं कि उनकी काबलियत को लेकर अंजान हो या फिर नासमझ हो, लेकिन हैरानी तो यह है कि इसके बाद भी ऐसे ही झोलाछापों से इलाज कराते हैं। कुछ भोले भाले लोग इनकी बातों में आकर इलाज कराने के नाम पर अपनी जान जोखिम में डाल देते हैं।
सख्ती के हैं आदेश
इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों पर शासन के कठोर कार्रवाई के निर्देश हैं। शासनादेशों के विपरीत अयोग्य, अनधिकृत, अपंजीकृत और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया में पंजीकरण कराए बिना एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा के माध्यम से बीमार लोगों का इलाज किया जाना गैरकानूनी है।
नोटिस और जेल का प्रावधान
इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों के खिलाफ नोटिस, उनके खिलाफ एफआईआर व जेल भेजे जाने तक का प्रावधान है, लेकिन इसके बाद भी जगह-जगह झोलाछापों का कारोबार तेजी से फैल रहा है। नोटिस जारी होने के बाद झोलाछाप को क्लीनिक बंद करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करने पर सुसंगत धाराओं में एफआइआर दर्ज कराने का प्रविधान है।
खोखों में क्लीनिक
गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानों में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन-फानन में मेडिकल रेफर दिया जाता है।
- दर्जनों पर एफआईआर
झोलाछापों को लेकर जहां से भी कोई शिकायत मिलती है, उस पर जांच कराकर तत्काल कार्रवाई करायी जाती है। अब तक दर्जनों पर इस प्रकार की कार्रवाई की जा चुकी है। झोलाछापों पर स्वास्थ्य विभाग सख्त है। -डा. अशोक तालियान, सर्विलांस अधिकारी