Saturday, July 27, 2024
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त्रिकोणीय जाल में फंसा ‘घरेलू प्रसव’ का महाखेल !

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  • जानबूझ कर भी क्यों अंजान बना बैठा है स्वास्थ्य विभाग
  • कुछ अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ के संज्ञान में भी सब कुछ, लेकिन चुप
  • यूनिसेफ से लेकर डब्ल्यूएचओ तक करते हैं स्वास्थ्य कार्यक्रमों की मॉनिटिरिंग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ मानी जाने वालीं एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी का एक ऐसा त्रिकोण खिंच चुका है जिस पर स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं और योजनाआें को आम लोगों तक पहुंचाने का पूरा दारोमदार टिका है, ताकि नौनिहालों का बचपन खिलखिलाता रहे। इतनी बड़ी जिम्मेदारियां निभा रहीं इन एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी में से जब कुछ एक कार्यकत्रियां अपने मूल उद्देश्यों से भटक जाती हैं तब कुछ परिवारों में कोहराम मच जाता है।

घरेलू प्रसव के मामलों में जहां एएनएम बहनें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह्न करते हुए विभिन्न परिवारों में सुरक्षित प्रसव के लिए पूरी काउंसिलिंग करती हैं वहीं आशा बहुआें और आंगनबाड़ी तक इसमें अपनी पूरी सहभागिता निभागी हैं। जब यह त्रिकोण कभी कभी अपनी जिम्मेदारियों से मूंह मोड़ता है तो उद्देश्यों से टकराव की स्थिति बनती है। सोमवार को जिस प्रकार सरूरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात एक एएनएम ने ब्यूटी पार्लर की आड़ में घर में ही एक गर्भवती की डिलीवरी करा दी और इस दौरान जच्चा बच्चा की मौत हो गई।

घटना बेहद गंभीर है क्योंकि इस प्रकार के केस देखने और सुनने में अक्सर आते हैं। इसके अलावा झोलाछाप डॉक्टरों से डिलीवरी में भी जच्चा बच्चा की मौत की खबरें अक्सर सुनने में आती हैं। लगभग एक साल पहले ही मवाना इलाके में एक प्राईवेट हॉस्पिटल में एक झोलाछाप से प्रसव के दौरान महिला की नस कट जाने से जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई थी। एक तरफ तो स्वास्थ विभाग ‘एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर’ जैसे कार्यक्रम चलाता है, लेकिन दूसरी तरफ सवाल यह उठता है कि वो इस प्रकार असुरक्षित प्रसव पर लगाम लगाने में नाकाम क्यों हो जाता है।

बच्चों के स्वास्थ्य से लेकर गर्भवती महिलाओं की देखभाल तक के सरकारी दावों की मॉनिटिरिंग अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के एनजीओ द्वारा की जाती है, जिनकी रिपोर्ट सीधे शासन स्तर पर शेयर की जाती है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों की मॉनिटिरिंग करने वाले विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एनजीओ से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस समय घरेलू प्रसव का जो खेल चल रहा है उसमें एएनएम के अलावा कुछ आशा और कुछ आंगनबाड़ी सक्रिय हैं। यूनिसेफ ने तो बाकायदा एचबीएनसी (होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर) जैसा महत्वपूर्ण कार्यक्रम तक चला रखा है

जिसमें यूनिसेफ के हेल्थ वॉलेंटियर्स घर घर जाकर सिर्फ यही चेक करते हैं कि संबधित आशा नवजात शिशु और मां की देखभाल सही से कर भी रही है या नहीं। कुल मिलाकर सरकार से लेकर विभिन्न स्वास्थ्य एजंसियां तो अपना काम तत्परता के साथ कर रही हैं लेकिन कहीं न कही सरकार की इन योजनाओं को पलीता लगाने का काम कुछ एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कर रही हैं जिन पर लगाम लगाने की जरुरत है।

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