Saturday, July 27, 2024
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कंकरखेड़ा की सबसे ऊंची अवैध बिल्डिंग बनकर तैयार

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  • कंकरखेड़ा में धड़ल्ले से चल रहे बड़े-बड़े अवैध निर्माण
  • बनाए जा रहे कॉम्प्लेक्स, नहीं है मानचित्र स्वीकृत
  • भ्रष्टाचार की बानगी, पैसा फेंको और तमाशा देखो
  • शिकायत पर पूर्व में अवैध निर्माणों पर हुई कार्रवाई, लगी सील
  • रोहटा रोड पर अवैध निर्माणों की लगी झड़ी, कार्रवाई सिफर
  • कार्रवाई सिर्फ कागजों पर, धरातल पर कुछ भी नहीं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कंकरखेड़ा की सबसे ऊंची अवैध बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है। ये बिल्डिंग एक भाजपा के नेता की है। जिस पर एमडीए इंजीनियरों से सेटिंग का खेल चल रहा है। तभी तो अवैध बिल्डिंग चार मंजिल तक बन गई है। अवैध निर्माण और एक मजिस्ट्रेट लिखी बुलेरो गाड़ी चर्चा में हैं। कौन है, जो मजिस्ट्रेट लिखी गाड़ी में घूमकर वसूली कर रहा हैं। कंकरखेड़ा में बड़े-बड़े अवैध निर्माण चल रहे हैं।

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कई कॉम्प्लेक्स बनाये जा रहे हैं, जिनके मानचित्र तक स्वीकृत नहीं हैं, फिर भी निर्माण कराये जा रहे हैं। इसके पीछे भ्रष्टाचार सामने आ रहा हैं। पैसा फेंकों तमाशा देखो, यही सब चल रहा है। छोटे निर्माण तो देखे भी जाए, लेकिन बड़े कॉम्प्लेक्स बनाये जा रहे हैं। इनके लिए जिम्मेदार कौन हैं? जब आईएएस अफसर मृदुल चौधरी ने मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) उपाध्यक्ष की कमान संभाली, तब से अवैध निर्माणों पर व्यापक स्तर पर कार्रवाई की गई। एक के बाद एक अवैध निर्माणों को गिराया भी गया और सील की कार्रवाई भी की गई, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि रोहटा रोड पर दो दर्जन से ज्यादा कॉम्प्लेक्स व दुकानों का निर्माण एमडीए इंजीनियरों ने करा दिये, लेकिन कार्रवाई सिर्फ कागजी पेट भरने के लिए की गई।

धरातल पर एक भी निर्माण पर बुलडोजर लगाकर ध्वस्तीकरण नहीं किया गया। ध्वस्तीकरण सिर्फ वहीं चलता हैं, जहां पर खानापूर्ति दिखाई जाती हैं। बड़ा सवाल यह है कि एमडीए के इंजीनियरों को विधानसभा चुनाव में जोनल मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी दी गई हैं। जोनल मजिस्ट्रेट सिर्फ विधानसभा चुनाव में अपनी ड्यूटी के दौरान गाड़ी पर मजिस्ट्रेट लिख सकते हैं, लेकिन यहां तो मजिस्ट्रेट लिखी बुलेरो गाड़ी अवैध निर्माणों से वसूली करती घूम रही हैं। इस बुलेरों को लेकर कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह से भी शिकायत की गई हैं, मगर उसके बाद भी एमडीए के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही हैं।

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कंकरखेड़ा में शिवचौक खिर्वा डिवाइडर रोड पर ही अवैध निर्माण बड़े स्तर पर चल रहा हैं। निर्माणकर्ता ने बाहर लिख दिया है कि इस बिल्डिंग का मानचित्र एमडीए से स्वीकृत हैं, जबकि ऐसा नहीं हैं। पार्किंग तक की तीन मंजिली इमारत के पास नहीं हैं। फिर मानचित्र स्वीकृत कैसे हो सकता हैं? यह हाल तो श्रद्धापुरी खिर्वा रोड डिवाइडर का हाल हैं। कंकरखेड़ा-सरधना मुख्य रोड पर बिजली घर के समीप एक तीन मंजिल बिल्डिंग बनाकर तैयार कर दी हैं, इसका भी कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं।

इसमें भी एमडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। कहा जा रहा है कि कागजों पर सिर्फ खानापूर्ति करने के लिए चालान किया गया है। यही नहीं, निर्माणकर्ता ने दुकानों पर शटर भी लगा दिये हैं। इस तरह से अवैध निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह सब सेटिंग-गेटिंग का खेल चल रहा है। एमडीए के इंजीयिर से यदि आपकी सेटिंग है तो सबकुछ संभव हैं। इस निर्माण से सौ मीटर की दूरी पर स्थित भाजपा नेता नीरज मित्तल का निर्माण। यह चार मंजिली इमारत बनकर खड़ी हो गई है। इसका भी मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं।

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जब भी छुट्टी होती हैं, तभी लेंटर डाल दिया जाता है। इस तरह से चोरी-छिपे काम चल रहा हैं। कहा जा रहा है कि बारह दुकानों का मानचित्र स्वीकृत हैं तथा निर्माण 120 दुकानों का कर दिया गया है। इस तरह से व्यापक स्तर पर अवैध निर्माण चल रहा हैं, मगर इंजीनियरों से सेटिंग के बाद। कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी को भी इंजीनियर गुमराह कर रहे हैं। इस खेल में जूनियर इंजीनियर से लेकर जोनल तक शामिल हैं, फिर अवैध निर्माण कराने में डर किस बात का। वसूली मजिस्ट्रेट लिखी गाड़ी से की जाती हैं।

कुंडा में भी काट दी अवैध कॉलोनी

कुंडा गांव से सटकर एक बिल्डर ने अवैध कॉलोनी विकसित कर दी। इसमें भी एमडीए के इंजीनियरों की सेटिंग का खेल चला। करीब बीस बीघा जमीन में कैसे कॉलोनी काट दी? इसका कोई तलपट मानचित्र स्वीकृत नहीं, फिर भी हर रोज प्लाटिंग की जा रही हैं। इसके लिए जवाबदेही इंजीनियर की हैं, मगर इंजीनियरों के खिलाफ जब एमडीए उपाध्यक्ष की तरफ से कोई कार्रवाई ही नहीं की जाती है तो फिर अवैध निर्माणकर्ता तो बेलगाम हो ही जाएंगे। दीवार बनाकर प्लाटिंग की जा रही हैं, मगर इतना बड़ा ऐरिया भी एमडीए इंजीनियरों को दिखाई नहीं देता। डीपी यादव का कॉलेज है, इसके ठीक पीछे यह निर्माण व्यापक स्तर पर चल रहा हैं। इसमें एमडीए के इंजीनियरों खानापूर्ति करने के लिए चालान तो काट दिये, लेकिन इसमें बुलडोजर क्यों नहीं चलाया? यह बड़ा सवाल हैं। इसमें ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होनी चाहिए थी, वह भी नहीं की गई।

रोहटा रोड पर भी बन गई अवैध कॉलोनियां

रोहटा रोड वीआईपी रोड मानी जाती हैं। यहां पर तमाम वीआईपी का आवागमन रहता हैं, लेकिन इस रोड पर व्यापक स्तर पर अवैध दुकानों का निर्माण किया जा रहा हैं। एक भी दुकान का मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं। जहां देखों, वहीं पर अवैध निर्माण की बाढ़ आई हुई हैं, जिसको एमडीए के इंजीनियर रोकना तो दूर अवैध निर्माण कराने की बोली लगा रहे हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक सेटिंग का ही खेल चल रहा हैं। यह आरोप लोगों ने लगाये हैं।

लोगों का कहना है कि बिना सेटिंग के एमडीए के इंजीनियर एक र्इंट भी नहीं रखने देते हैं, यहां पर यही तो खेल चल रहा हैं। इंजीनियर से सेटिंग हो गई तो फिर आप दो मंजिल निर्माण करो या फिर चार मंजिल। इसमें यहीं खेल एमडीए में चल रहा हैं। आखिर अवैध निर्माण के लिए इंजीनियरों की जवाबदेही तय क्यों नहीं की जा रही हैं। जिस इंजीनियर के कार्यकाल में अवैध निर्माण हुआ, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इसको लेकर भी समाज सेवी मनोज चौधरी शिकायत कर चुके हैं।

फिर भी कमिश्नर स्तर से दोषी इंजीनियरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। वर्तमान में आचार संहिता लगी हैं, ऐसे में कुछ ज्यादा ही अवैध निर्माण इंजीनियर कराने में मशगूल हैं। पहले अवैध निर्माण पर इंजीनियर जाते हैं, फिर जोनल गाड़ी लेकर पहुंच जाते हैं। इसमें फिर जोनल के पहुंचने के बाद बोली ऊपर लगती हैं। कम धनराशि में काम नहीं चलता। बोली कहां रुकेगी, कुछ नहीं कहा जा सकता। भाजपा के कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल पर भी उंगली उठ रही हैं कि कंकरखेड़ा और रोहटा रोड पर कई अवैध निर्माण उनकी क्षेत्रछाया में चल रहे हैं। कंकरखेड़ा में जो बड़ा काम्पलेक्स भाजपा नेता नीरज मित्तल का बन रहा हैं, उसका निर्माण कराने में भाजपा विधायक पर्दे के पीछे से मदद कर रहे हैं।

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