जनवाणी संवाददाता |
मवाना: भ्रष्टाचार इस पूरे तंत्र पर इस तरह हावी हो गई है कि अब धार्मिक आस्था भी भ्रष्टाचार के इस दंश से बच नहीं पा रहे हैं। जिला पंचायत के तत्वाधान में मखदूमपुर गंगा घाट पर आयोजित होने वाली कार्तिक पुर्णिमा गंगा मेले भी भ्रष्टाचार के भेट चढता नजर आ रहा है। आस्था के नाम पर जिला पंचायत ने 49 लाख के बजट जारी तो कर दिया लेेकिन मेला उदद्याटन से पूर्व बजट धरातल पर नजर नही आ रहा। जिसके चलते मेले में आने वाले श्रद्वालुओं को परेशनी झेलनी पडेगी। आस्था के नाम पर हुए खिलवाड पर हर कोई चुप नजर आता है। वही सहायक अभियंता की कथनी भी धरातल पर बजट के साथ खिलवाड करती नजर आ रही है।
बता दें कि जिला पंचायत के तत्वाधान में मखदुमपुर गंगा घाट पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर हिन्दू धर्म की आस्था का प्रतीक कहे जाने वाले गंगा मेले का आयोजन किया जाता है। जिसके लिए जिला पंचायत लाखों का बजट खर्च करती है। जिसके चलते मेरठ और आसपास के जनपद से आने वाले लाखों श्रद्वालु गंगा किनारे डेरा जमा अपने पितृों की आत्मा शांति के दीपदान कर गंगा में स्नान करते है।
हिन्दू धर्म की आस्था को देखते हुए जिला पंचायत ने इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले पर 49 लाखों रुपए का मोटा बजट खर्च किया लेकिन बजट धरातल पर कहीं नजर नही आ रहा। आस्था के इस मेले में हर और भ्रष्टाचार का बोलबाला है जहां मेले में बनाई जाने वाली अस्थाई संडकों के लिए जंगली जीवों के रहावास उजा दिये वहीं मेले में आने वाली महिला श्रद्वालुओं के बनाये जाने वाले सात चेंजिंग रूमों में से 4 का उदघाटन से पूर्व तक कोई अता पता ही नही है। आस्था के नाम पर होने वाला यह खिलवाड मेले में आने वाले श्रद्वालुओं की समझ से परे है।
गायब नजर आ रहे महिला चेंजिंग रूम
गंगा की तलहटी में आयोजित होने वाले आस्था के सैलाब में हजारों महिला मेले के दौरान गंगा में स्नान करती है। जिनके लिए जिला पंचायत द्वारा प्रतिवर्ष आधा दर्जन से भी अधिक चेंजिंग रूम बनाए जाते हैं। जिला पंचायत अधिकारियों की माने तो टेंडर में साथ चेंजिंग रूम बनाने की बात कही गई लेकिन निर्माण अधीन कंपनी ने उद्घाटन से पूर्व तक महज तीन स्नान घाटी बनाएं ऐसे में मेले में आने वाली महिला श्रद्धालुओं को कपड़े बदलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
बैरिकेडिंग घटकर रह गई आधा किलोमीटर
कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले के दौरान श्रद्धालुओं के स्नान को सकुशल संपन्न करने के लिए जिला पंचायत द्वारा गहरे पानी से पहले बैरिकेडिंग की जाती है। अधिकारियों की माने तो प्रतिवर्ष मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए लगभग 1 किलोमीटर बैरिकेडिंग की जाती है जिला पंचायत में इस बार भी टेंडर में 1 किलोमीटर बैरिकेडिंग किए जाने की बात कही लेकिन निर्वाण सिंह कंपनी ने महल 500 मी बैरिकेडिंग कर इतिश्री कर ली।
भ्रष्टाचार के खेल पर मौन है अधिकारी
मेले में होने वाले भ्रष्टाचार के इस खेल पर जिला पंचायत के तमाम अधिकारी मौन है वही मेले में बनाई गई अस्थाई सड़कों का हाल भी भ्रष्टाचार से दूर नहीं है जिला पंचायत में 8 किलोमीटर अस्थाई सड़कों के निर्माण का टेंडर छोड़ा लेकिन मौके पर अस्थाई सड़कों का हाल बेहद कम है जिसके चलते श्रद्धालुओं के वाहन गंगा की रेती से कैसे गुजरेंगे कह पाना मुश्किल है।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी
जिला पंचायत के सहायक अभियंता अखिलेश कुमार की कथनी एकदम हास्यास्पद नजर आती है अधिशासी अभियंता का कहना है कि बैरिकेडिंग काम नहीं है बैरिकेडिंग का बजट किसी अन्य कार्य में लगा दिया गया। जब कार्य के बारे में पूछा गया तो सहायक अभियंता ने चुप्पी साध ली।
पत्रकार बताएं समस्या तो किया जाएगा निवारण
प्रेस वार्ता के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी का पूछे गए सवालों पर कहना था की समस्या लिखित में दी जाए जल्दी टीम के द्वारा निवारण कर दिया जाएगा