- पुरानी सभ्यता को अपनाते हुए समय से करें बच्चों का विवाह
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सदर के भैंसाली मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन यानि अंतिम दिवस भारी बारिश के बीच लोगों ने पंडाल में बैठकर कथा का रसपान किया। कथा का शुभारंभ भागवत कथा की आरती के साथ किया गया। अनिरुद्ध महाराज ने कथा शुरू करते हुए बताया कि जब भगवान श्रीकृष्ण गोपियों को छोड़कर गए तो गोपियां उनकी याद में मछली की तरह रोई, जैसे मछली पानी के लिए तड़पती है।
श्रीकृष्ण को जब इस बात का एहसास हुआ तो उन्होंने उद्धव को कहा कि तुम जाओ और गोपियों को समझाओ कि मैं जल्दी उनसे भेंट करूंगा। महाराज ने ज्ञान का मूल्य समझाते हुए कहा कि ज्ञान जरूरी है, लेकिन ज्ञान प्रेम के बिना अधूरा है, बिना प्रेम के ज्ञान का कोई मूल्य नहीं है। जैसे जलेबी यदि चासनी में न डुबाई जाए तो वह खाने योग्य नहीं होती, वैसे ही ज्ञान को प्रेम की चासनी में डुबोने की जरूरत होती है। उसके बिना ज्ञान अधूरा होता है।
महाराज ने प्रवचन करते हुए बताया कि भगवान को सबसे प्रिय कीर्तन है। इसलिए सभी को कम से कम आधा घंटे बैठकर कीर्तन करना चाहिए। हर व्यक्ति को बुराई से दूर रहना चाहिए और समय से पहले ही बेटियों का विवाह कर देना चाहिए। आजकल देखने में आ रहा है कि 30-30 साल की बेटियों को घर में बिठाकर रखते हैं।
सनातन धर्म की सभ्यता को फिर से अपनाएं और समय को देखते हुए अपने बच्चों का समय से विवाह कराएं। देखने में आता है कि जो लोग अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं। उनके बच्चे हाथ से निकल रहे हैं। हमारे यहां विधा है कि पंडित का विवाह पंडित में शूद्र का विवाह शूद्र में करना चाहिए। ऐसा करने से ही देश का उद्धार हो सकता है।
भारी बारिश में बैठकर महिलाओं ने किया कथा का रसपान
बुधवार को दोपहर बाद जमकर बारिश हुई, लेकिन उस बारिश में भी श्रीमद् भागवत कथा का रसपान करने के लिए श्रोता पंडाल में डट कर बैठे रहे। महाराज ने कहा कि मुझे पहली बार ऐसे श्रोता मिले हैं, ऐसे में तो लग रहा है कि सब पर भगवान की कृपा बरस रही है।