Saturday, July 27, 2024
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कब्रिस्तान की करोड़ों की भूमि, प्रशासन की भूमिका

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  • रोहटा रोड स्थित फाजलपुर में गोदाम के पास मुस्लिम समाज की करोड़ों की विवादित जमीन का मामला

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: रोहटा रोड स्थित फाजलपुर में गोदामों के पास मुस्लिम समाज के लोगों की वक्फ बोर्ड की एक बडी प्रॉप्रटी के रूप में वर्षो से खाली जमीन पडी थी। इस जमीन पर रातों-रात दीवार बन गई हैं। तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। तहसीलदार से लोग मिले, लेकिन इसमें तहसीलदार मौनी बाबा बने हुए हैं। वो कुछ भी नहीं बोल रहे हैं, इसमें कार्रवाई भी नहीं कर रहे हैं।

इस जमीन पर भू-माफियाओं की निगाहें लंबे समय से लगी हुई थी। वक्फ बोर्ड से सेटिंग का खेल किया और अवैध निर्माण शुरू कर दिया, जिसमें इस भूमि पर नगर निगम एवं तहसील प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है, लेकिन कार्रवाई कोई नहीं कर रहा हैं। ये नीति है प्रशासन की भू-माफियाओं के खिलाफ। प्रशासन ने जांच पड़ताल भी इस जमीन की नहीं कराई।

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अवैध कब्जा हो गया हैं। दीवार बना दी गई हैं। ऊपर भी निर्माण चल रहा हैं। मेरठ विकास प्राधिकरण ने भी चुप्पी साध रखी हैं। कुछ दिन पूर्व तहसील व निगम की टीम ने अवैध निर्माण को रोका और तब तक निर्माण शुरू नहीं करने की चेतावनी दी, जब तक उच्चाधिकारी मामले में कोई निर्णय न लें। आरोप है कि उसके बावजूद अवैध निर्माण जारी हैै। इस मामले में शुक्रवार को तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद से बात की तो उन्होंने मामले की जानकारी से इंकार किया।

पिछले चार दिन से ‘जनवाणी’ इस मुद्दे को उठा रहा हैं, फिर भी तहसीलदार कैसे अनभिज्ञता जता रहे हैं, ये अहम बात हैं। ‘जनवाणी’ ने तहसीलदार के कक्ष में लेखपाल को बुलाकर जानकारी की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी होने की बात कहीं, लेकिन तहसीलदार जानकारी नहीं होने की बात कैसे कर रहे हैं? पूरा मामला तहसीलदार के संज्ञान में होना भी लेखपाल ने बताया, जिसके बाद तहसीलदार बगले झांकने लगे। लेखपाल ने उनके सामने जो सच्चाई बयां कर दी।

लेखपाल गुरुवचन सिंह ने तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद को बताया कि रोहटा बाइपास पर जो विवादित भूमि है। वहां पर जो निर्माण चल रहा है, उसे अवैध निर्माण बताते हुये शिकायत की गई थी, जिसमें निगम व तहसील की संयुक्त जांच टीम पहुंची और निर्माण को रुकवाते हुये वापस लौट गई थी, जिसमें टीम ने निर्माण कर रहे पक्ष से भूमि संबंधी दस्तावेज लेकर उच्चाधिकारियों से मिलने की बात कही थी।

बताया जा रहा है कि बिना उच्चाधिकारियों के आदेश के वहां पर निर्माण जारी है। साथ ही गुरुवचन ने तहसीलदार रामेश्वर प्रसाद को सिजरा दिखाया और बताया कि कब्रिस्तान का जो खसरा नंबर है। 242/1 रकबा 9100 मीटर है। वहीं, प्राइवेट व्यक्ति की भूमि का जो खसरा संख्या-सम्मिलत खाता है। वह 123 है ओर 3040 मीटर है। वहीं दूसरी तरफ खसरा संख्या-242/2 में सड़क है, जोकि 4680 मीटर उसका रकबा है, जिसमें रास्ता जो नक्शा नजरिया में दर्ज है।

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स्थल पर उसमें कुछ परिवर्तन करने की बात सामने आ रही है। लेखपाल के द्वारा सटीक जानकारी बताने के बाद भी तहसीलदार मामले से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि तहसीलदार की भूमिका संदेह के दायरे में हैं। इतना सुनते ही तहसीलदार साहब बगले झांकते नजर आये ओर दबी जुबान से यही बोले मामला संज्ञान में था, लेकिन किसी ने लिखित में शिकायत नहीं कराई, जिसके चलते जांच नहीं कराई जा सकी। अब इस मामले को निगम की टीम के साथ मिलकर तहसील प्रशासन द्वारा दिखवाया जायेगा।

सांसद की चिट्ठी के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

पुराने शहर में बन रही अवैध बिल्डिंग और घंटाघर स्थित नियम विरुद्ध बन रहे कॉम्प्लेक्स की बिल्डिंग के मामले को लेकर सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने एक चिट्ठी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखी थी, जिसमें मांग की थी कि मेरठ विकास प्राधिकरण इंजीनियर जिन्होंने अप्सरा सिनेमा में कॉम्प्लेक्स के निर्माण की अनुमति और मानचित्र स्वीकृत किया वो किन बिंदुओं के तहत किया? यहां डाकघर की बिल्डिंग में दरारे आ गई।

इस तरह से अवैध निर्माण को लेकर जो चिट्ठी सांसद ने लिखी थी, उस पर अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। यह हालत हो गई है कि सांसद की चिट्ठी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं। चिठ्ठी लिखी तो गई, मगर आगे कुछ नहीं हुआ। अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। मेरठ विकास प्राधिकरण के जिन इंजीनियरों के खिलाफ जांच की मांग सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने की थी, उन पर आंच तक नहीं आ रही है।

आंच आएगी भी क्यों? क्योंकि आला अफसरों की सपोर्ट जो मिली रही है। दरअसल, घंटाघर स्थित डाकघर की बिल्डिंग में दरार आ गई थी। दरारे अप्सरा सिनेमा में निर्माणाधीन कॉम्प्लेक्स के चलते आई थी। इस मामले में डाकघर की बिल्डिंग खाली करा ली गई है और नगर निगम और बिल्डर के खिलाफ थाने में मुकदमा भी दर्ज डाकघर की तरफ से कराया गया था। अब बड़ा सवाल यह है कि नहीं तो बिल्डर की गिरफ्तारी हुई है और नहीं नगर निगम के किसी अधिकारी पर कार्रवाई की गई। इसके जिम्मेदार बेखौफ हैं।

पुलिस ने भी इसमें कोई कार्रवाई नहीं की है। करीब एक माह बीत गया है, लेकिन पुलिस ने विवेचना तक इसमें शुरू नहीं की है। अब बड़ा सवाल यह है कि सांसद राजेंद्र अग्रवाल के लिखने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। इतना बड़ा मामला है। उन्होंने कहा भी है कि पुराने शहर में तमाम अवैध बिल्डिंग बनकर खड़ी हो गई है। भीड़भाड़ में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग, लेकिन इसमें संबंधित इंजीनियरों के खिलाफ कोई कार्रवाई प्रशासनिक स्तर से या फिर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के स्तर से नहीं की गई है।

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