Thursday, May 22, 2025
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अंतिम महल

Amritvani 21


एक राजा को महल बनाने की सनक रहती थी। उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया। रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी। एक दिन राजा नदी के पार एक महात्मा जी के आश्रम से गुजर रहे थे। वहां एक संत की समाधि थी। सैनिकों से राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था। उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी, पर अंतिम समय में उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ जमीन में गड़वा दिया और कहा कि जिसे भी वो खजाना चाहिए, उसे अपने स्वयं के हाथों से अकेले ही इस समाधि से चौरासी हाथ नीचे खोद कर अनमोल सूचना प्राप्त कर ले, लेकिन ध्यान रखे, उसे बिना कुछ खाये पिए और बिना किसी की सहायता के खोदना है अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी। राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा। बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला। उसको जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गए। उस पर लिखा था- ऐ राहगीर! संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो और आज मुझे तुम्हारी इस दशा पर बड़ी हंसी आ रही है। तुम चाहे कितने भी महल बना लो, पर तुम्हारा अंतिम महल यही है। एक दिन तुम्हें इसी मिट्टी में मिलना है। जब तक तुम मिट्टी के ऊपर हो, तब तक आगे की यात्रा के लिए तुम कुछ जतन कर लेना, क्योंकि जब मिट्टी तुम्हारे ऊपर आएगी तो फिर तुम कुछ भी न कर पाओगे। यदि तुमने आगे की यात्रा के लिए कुछ जतन न किया तो अच्छी तरह से ध्यान रखना की जैसे ये चौरासी हाथ का कुआं तुमने अकेले खोदा है, बस वैसे ही आगे की चौरासी लाख योनियों में तुम्हें अकेले ही भटकना है। ये कभी न भूलना की मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी में मिलना है। बस तरीका अलग-अलग है।                                           -प्रस्तुति: राजेंद्र कुमार शर्मा


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