Saturday, April 20, 2024
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जीवन तो बहता पानी है जान ले इसके पानी को

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जनवाणी ब्यूरो |

शामली: मंगलम साहित्य मंच दिल्ली के तत्वावधान में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर आनलाइन एक “सरस कवि सम्मेलन” का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता गीतकार डा. जयसिंह आर्य दिल्ली और संचालन क​वयित्री पूनम माटिया ने किया।

शामली से गीतकार सुनील अरोड़ा ‘तम्मी’ की मां वाणी की सरस वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। गुरुग्राम के सुप्रसिद्ध कवि राजपाल सिंह ‘राज’ ने “शब्द” शीर्षक से पढी कविता को सभी ने बडे मनोवियोग से सुना। सुभाष राहत बरेलवी की इन प॔क्तियों को भरपूर दाद मिली कि

गालिब सा मैं कहाऊं इसकी भी चाह नहीं
मनसे पे बैठ जाऊं इसकी भी चाह नहीं
औक़ात में ज़्यादा ही मान मिला है
सबको ही पसंद आऊं इसकी भी चाह नहीं

अलीगढ़ के कवि अब्दुल रज्जाक ‘नाचीज’ की इस रचना को ख़ूब सराहा गया।
मैं बच्चा हूं बच्चों जैसी मेरी तो हर आशा है
मातृ भूमि पर मिट जाने की बस मेरी अभिलाषा है

संचालिका डॉक्टर पूनम माटिया की इन पंक्तियों ने समां बांध दिया..

जुस्तजू है अगर इक सुकूं की तुझे
बेतहाशा यूँ अब दौड़ना छोड़ दे।
जन्म से मौत तक इक सफ़र ही तो है
तू चलाया क़दम मापना छोड़ दे।।

सम्मेलन में युवा गीतकार ओंकार त्रिपाठी, डा. जयसिंह आर्य, गीतकार विनोद ‘भृंग’ संयोजक सुभाष राहत बरेलवी ने भी काव्य पाठ किया।

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