Wednesday, February 19, 2025
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बैंकों की तरह डाकघर के खाताधारकों को भी मिलेगी सुविधा

  • पोस्ट आॅफिस के खाताधारक सीधे बैंकों के खाते में भेज सकेंगे पैसे
  • किसान डिजिटल मार्केट प्लेटफार्म द्वारा सारा कारोबार आॅनलाइन कर सकेंगे

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: डाकघर के खाताधारकों को अब बैंकों की तरह सुविधाएं मिलेंगी। खाताधारकों को मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, आनलाइन मनी ट्रांसफर, एटीएम सहित अन्य सभी सुविधाएं बैंकों की तरह ही सुविधा दी गई है। डाकघरों के सशक्तीकरण के लिए भारत सरकार का विशेष प्रावधान आम बजट 2022-23 में किया गया है।

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प्रावधान के मुताबिक डाकघरों के खातों में भी बैंकों की तरह ही मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम और आनलाइन मनी ट्रांसफर की भी सुविधा मिलेगी। जिले के प्रधान डाकघर, उपडाकघर शाखा डाकघर सीबीएस प्रणाली से जुड़ चुके हैं। डाकघरों के सीबीएस प्रणाली से जुड़ जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बैंकिंग साफ्टवेयर, फिनैकल द्वारा डाकघर बचत खातों को संचालित किया जा रहा है। डाक अधीक्षक के अनुसार बचत खाते और सुकन्या खाता सहित अन्य खाताधारकों को एनीव्हेयर, एनीटाइम बैंकिंग के तहत सेवा मिल रही है।

बंैकों के खाते में भेज सकेंगे पैसे

डाकघर के खाताधारक अपने खाता से बैंकों के खाते में भी पैसे भेज सकते हैं। आधुनिक बैंकों के तर्ज पर आनलाइन बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग, एसएमएस और एटीएम का लाभ मिल रहा है। डाकघर के बचत खाताधारक किसी भी बैंक के एटीएम से भी पैसा निकाल सकते हैं। साथ हीं देश के किसी भी डाकघर में पैसा जमा कर सकते हैं या निकासी ले सकते हैं। इससे गांव में रहने वाले किसानों, मजदूरों, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं को विशेष रूप से बहुत सुविधा होगी।

आनलाइन बैंकिंग का मिल रहा लाभ

अब किसान डिजिटल मार्केट प्लेटफार्म द्वारा फसल बेचने का सारा कारोबार डाकघर में ही बैंकिंग व्यवस्था होने के कारण आसानी से कर पाएंगे। इंडिया पोस्ट पेमेंट््स बैंक के एइपीएस, डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की सेवा, वृद्ध, दिव्यांगों एवं अन्य जरूरतमंद लोगों को उनके घर के द्वार पर भी पोस्टल एवं बैंकिंग की एआरआइसीटी के माध्यम से गांव में रहने वाले लोगों को सुविधा मिलेगी। समाज कल्याण, अनुसूचित जाति, कल्याण, गृह, स्वास्थ्य, शिक्षा, को-आपरेटिव, बीसी एवं इबीसी कल्याण, अल्पसंख्यक, शहरी विकास, आपदा प्रबंधन विभाग के सभी डीबीटी लाभार्थी डाकघर के माध्यम से लाभ उठा सकते हैं।

प्रतिदिन निरीक्षण से होगी उर्वरक की समीक्षा

एक फसल के लिए किसान को यूरिया के 50 से अधिक बोरे नहीं दिए जाएंगे। कृषि योग्य क्षेत्रफल व चयनित फसल के अनुसार ही किसानों को उर्वरक उपलब्ध होगा। इसके लिए उन्हें आधार कार्ड के प्रयोग से पीओएस मश्ीन द्वारा निर्धारित विक्रय मूल्य पर यूरिया उपलब्ध कराया जाएगा। विक्रय प्रक्रिया के लिए एफसीओ 1985 में उल्लेखनीय सभी अभिलेख जरूरी रूप से आॅफलाइन भी रिकार्ड में रखने होंगे। पूरी प्रक्रिया की समीक्षा अधिकारी प्रतिदिन आॅनलाइन पोर्टल व भौतिक निरीक्षण दोनों प्रकार से करेंगे।

कालाबाजारी और अंधाधुंध इस्तेमाल पर अंकुश

यूरिया वितरण के नियमों को बदलने के पीछे इसकी कालाबाजारी व अंधाधुंध इस्तेमाल पर अंकुश लगाना है। कुछ किसानों को क्रय केंद्रों पर आधार कार्ड या कृषि योग्य भूमि के निर्धारित मानकों के परे उर्वरक बेच दिया जाता है। अपनी सुविधा के लिए बिक्री केंद्र ऐसा करते हैं। अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। कृषि अधिकारियों ने इसके लिए सख्ताई से निर्देश पालन करने के लिए कहा है। किसानों की कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल व वितरण किए गए उर्वरक की पूरी जानकारी समितियों के साथ अब कृषि अधिकारी भी रखेंगे। किसानों का रिकार्ड समितियों पर दुरुस्त किया जाएगा। मशीन के बिना यूरिया नहीं वितरण किया जाएगा। सहकारी समितियों पर रजिस्टर अनिवार्य कर दिया गया है।

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