Saturday, July 27, 2024
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‘फूड चार्ट’ से बचेगी दूध की सेहत

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  • रासायनिक उर्वरकों से प्रभावित हो रही पशुओं और दूध की सेहत
  • खेतों में जैविक यौ केंचुआ खाद के साथ पशुओं को पौष्टिक आहार दें

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: खेतों में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत तो बिगड़ ही रही है, साथ ही पशुओं के चारे पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे दूध में पौष्टिक तत्वों की कमी दर्ज की जा रही है।

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पशुओं को संतुलित पौष्टिक आहार न मिलने के कारण दूध की पौष्टिकता घटती जा रही है। दूध में 85 प्रतिशत जल व शेष भाग में खनिज, वसा व प्रोटीन होता है।

लैक्टोज देता है दिमाग को ताकत

दूध में मुख्य तौर पर पाया जाने वाला लैक्टोज ग्सुकोज व गैलेक्टोज से बना होता है। यह ब्रेन डेवलपमेंट के लिए मुख्य कारक है। दिमाग की कोशिकाओं को ताकत देने वाला गैलेक्टोज मुख्य भोजन है।

गायों की मुख्य प्रजाति

आमतौर पर देसी गायों में साहीवाल, थारपारकर, लाल सिंघी व हरियाणा पाई जाती हैं। जिसके दूध में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि गाय या भैंस के आहार में पोषक तत्व न होने के कारण दूध में भी पौष्टिकता की कमी पाई जा रही है।

ऐसे हो सकता है सुधार

मृदा विशेषज्ञ के अनुसार, खेतों में रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटेशियम अधिकता में इस्तेमाल होने के कारण फसलों में भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जिससे पशुओं को निर्धारित पौष्टिक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। इसके लिए खेतों में जैविक या केंचुआ खाद का इस्तेमाल नियमित रूप से करना चाहिए। खेत की मिट्टी की जांच के बाद उसमें पोषक व सूक्ष्म पोषक तत्वों को पूरा कर लेना चाहिए।

पशुओं को दे संतुलित आहार

वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं को संतुलित पौष्टिक आहार देना चाहिए। पशुओं के आहार में हरा चारा, अनाज, खल, चूरी, चोकर, नमक व खनिज लवणों का मिश्रम होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर चार किलो दूध देने वाले 400 किलो वजन के पशु को दिन में 20 किलो हरा चारा, डेढ़ किलो भूसा व दो किलो अनाज, खल, चोकर, नमक व खनिज लवण आहार देना जरूरी है।

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