Friday, March 29, 2024
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टिकैत बंधु का महापंचायत ‘चक्रव्यूह’

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रामबोल तोमर |

मेरठ: तीन माह कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन को हो गए हैं। दिल्ली की सीमाओं से यह आंदोलन गांव में पहुंच गया है। गाजीपुर बॉर्डर पर तीन माह पहले भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने मोर्चा संभाला था, तब सिंघु बॉर्डर से कई दिन बाद राकेश टिकैत यहां पहुंचे थे।

आंदोलन आरंभ हुआ तो गाजीपुर बॉर्डर पर कोई खास पहले किसानों की भीड़ भी नहीं थी, लेकिन जैसे ही समय बढ़ता गया तो आंदोलन का स्वरूप भी चेंज हो गया। सरकार के कड़े रुख के बाद जहां बॉर्डर पर मोर्चा भाकियू के राष्टÑीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत व उनके भतीजे गौरव टिकैत ने संभाला, वहीं खाप स्तर पर मोर्चा बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने कमान संभाली।

26 जनवरी की हिंसा के बाद लगा कि आंदोलन खत्म हो जाएगा, लेकिन इसके बाद अचानक अगले दिन ही यूपी पुलिस के पुलिस अधिकारियों ने जिस तरह से गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चाबंदी की तथा राकेश टिकैत को गिरफ्तार करने की दिशा में कदम बढ़ाये, वहीं भाजपा के लोनी विधायक व उनके समर्थकों ने जैसे ही गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को जबरिया उठाने का प्रयास किया, तभी राकेश टिकैत ने इसका विरोध कर दिया।

पहले तो राकेश टिकैत गिरफ्तारी देने के लिए सहमत हो गए थे, लेकिन इसके बाद उनके आंसुओं ने किसानों को झकझोर दिया तथा किसान रातों-रात गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गए। इसके बाद से आंदोलन बड़ा बन गया। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आंदोलन की रणनीति में थोड़ा सुधार करते हुए महापंचायत आरंभ कर दी।

वेस्ट यूपी की महापंचायत की जिम्मेदारी नरेश टिकैत को दी गई। मुजफ्फरनगर की महापंचायत में जुटी भीड़ से सरकार को झटका लगा। इसके बाद से सरकार ने कदम पीछे खींच लिये। बड़ौत (बागपत), बिजनौर व अमरोहा में किसानों की महापंचायतों ने ताकत दिखाई।

अब महापंचायतों का विस्तार करते हुए राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़ समेत कई स्थानों पर महापंचायत की, जिसमें जुटी भारी भीड़ के बाद यह आंदोलन यूपी, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान तक पहुंच गया। किसान आंदोलन में भाकियू नेता राकेश टिकैत, नरेश टिकैत व गौरव टिकैत की भूमिका से आंदोलन कई राज्यों में एंट्री कर गया।

एक ही परिवार के तीन सदस्य आंदोलन को ऊंचाई पर ले गए, लेकिन इसके बाद हरियाणा में भी बड़ी-बड़ी महापंचायत हुई, जिसके बाद किसान आंदोलन के साथ किसानों का बड़ा वर्ग खड़ा हो गया। रही सही कमी दूर करती है अब राजस्थान ने। राजस्थान की तमाम किसानों की जातियां इस आंदोलन के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़ी हो गई, जो सरकार के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

आंदोलन खत्म करने के नरेश टिकैत ने दिये संकेत

भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने संकेत दिये है कि आंदोलन खत्म हो सकता है, यदि सरकार एमएसपी पर कानून बनाये तथा किसानों पर दर्ज किये गए मुकदमें वापस करें। कृषि कानून को जब तक भाजपा सरकार लागू नहीं करेगी, यह सब लिखित में देती है तो किसान आंदोलन खत्म हो सकता है।

इसके लिए भी किसान संघर्ष मोर्चा रजामंद है या फिर नहीं, अभी इस पर किसान मोर्चा को रजामंद किया जाएगा। अब सरकार चार वर्ष के लिए कृषि कानून पर रोक लगाती है या फिर नहीं? यह सरकार के रुख पर बहुत कुछ निर्भर करने वाला है। कृषि कानून वापसी के मुद्दे से अब भाकियू ने भी कदम पीछे खींच रही है।

भाकियू भी चाहती है कि किसान आंदोलन का कोई तो निष्कर्ष निकले। केन्द्रीय रक्षा मंत्री ठाकुर राजनाथ सिंह, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह शरीखे दिग्गज नेताओं को बीच में लेकर सरकार बात करें, जिसके बाद ही आंदोलन को खत्म करने का रास्ता निकल सकता है।

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