Thursday, May 15, 2025
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100 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजें

  • आयुक्त ने की स्मार्ट सिटी, सेफ सिटी सहित महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा
  • स्कूलों और नौचंदी ग्राउंड का होगा कायाकल्प बनेगी मल्टीलेवल पार्किंग
  • एमडीए शहर में बनाये नो व्हीकल जोन और एक विकलांग पार्क

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: स्मार्ट सिटी, सेफ सिटी, सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट और स्ट्रीट वेंडर मार्केट आदि विषयों पर समीक्षा करते हुये आयुक्त ने कहा कि सेफ सिटी परियोजनान्तर्गत जनपद में पिंक बूथ, पिंक टॉयलेट बनाये जाये तथा जिन भीड़भाड़ वाले स्थानों पर प्रकाश आदि की व्यवस्था मानक अनुरूप नहीं है। उसके लिए महिला पुलिस क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में टीम बनाकर पूरे शहर का भ्रमण कर तीन दिन में ऐसे स्थलों का चिन्हांकन कर अपनी आख्या दें।

उन्होंने कहा कि राज्य स्मार्ट सिटी योजनान्तर्गत दो वर्षों में किये जा सकने वाले कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजे।

आयुक्त कार्यालय में आहुत बैठक की अध्यक्षता करते हुये आयुक्त अनीता सी. मेश्राम ने कहा कि शहर में स्ट्रीट वेंडर मार्केट बनाया जाये। उन्होंने कहा कि नगर निगम अपने द्वारा चिह्नित किये गये चार स्थानों पर स्ट्रीट वेंडर मार्केट बना रहा है। नगर निगम स्ट्रीट वेंडर मार्केट का कार्य जल्द पूर्ण कराये।

वेंडर मार्केट में जिन स्ट्रीट वेंडर्स को जगह दी जाये उन सभी को प्रधानमंत्री स्व: निधि योजनान्तर्गत ऋण भी दिया जाये। आयुक्त ने कहा कि नगर निगम लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड को बंद करने की प्रक्रिया पर कार्य करें तथा एक अन्य चिह्नित जगह पर कूड़ा डलवाने की प्रक्रिया प्रारंभ करें तथा इसके लिए आवश्यक एनओसी भी सक्षम स्तर से प्राप्त करें।

आयुक्त ने कहा कि राज्य स्मार्ट सिटी परियोजनान्तर्गत 100 करोड़ के ऐसे कार्य जिनको दो वर्षों में पूर्ण किया जा सकता है, पर प्रोजेक्ट बनाने के लिए कहा। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ स्कूलों को कायाकल्प योजनान्तर्गत स्मार्ट स्कूल के रूप में परिवर्तित किया जाये तथा मल्टीलेवल पार्किंग, नौचंदी ग्राउंड का कायाकल्प और इंटीग्रेटेड टैÑफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम (आईटीएमएस) के अंतर्गत कुछ कार्यों को इसमें लिया जाये।

आयुक्त ने कहा कि सेफ सिटी परियोजनान्तर्गत शहर के प्रमुख चौराहों पर पिंक बूथ बनाये जाये तथा पिंक टॉयलेट भी बनाये जाये। उन्होंने निर्देशित किया कि सिटी बसों में सीसीटीवी, जीपीएस व पैनिक बटन की व्यवस्था के लिए सिटी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के अधिकारियों से समन्वय करें।

पराली जलाने के दोषी व्यक्तियों को नहीं मिलेगा अनुदान

पराली जलाने पर दोषी व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का सरकारी योजनाओं से संबंधित अनुदान नहीं दिया जायेगा। जनपद में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनान्तर्गत गत तीन वर्षों में 97 ग्रामों के 105 कृषकों को 223 कृषि यंत्र दिये गये हैं। वहीं, गन्ना समितियों पर भी यंत्रों को किराये पर लेने की व्यवस्था है।

डी-कम्पोसर को भी गन्ना समिति के माध्यम से किसानों को बटवाया जायेगा ताकि वह फसल अवशेष का बेहतर प्रबंधन कर सके। डीएम कैम्प कार्यालय में कृषि गन्ना विभाग से संबंधित बैठक की अध्यक्षता करते हुये ये जानकारी डीएम के. बालाजी ने दी।

उन्होंने कहा कि किसान फसल अवशेष न जलाये ये सुनिश्चित किया जाये तथा दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाये। तोल केन्द्रों पर फसल अवशेष के प्रबंधन, कृषि यंत्रों के उपयोग आदि विषयों से संबंधित पम्पलेट भी बंटवाये जाये। गन्ना विभाग के अधिकारी ने बताया कि जनपद में करीब 500 तोल केन्द्र है तथा छह गन्ना समितियां है।

स्मार्ट सिटी पर सांसद, विधायक ने ली नगरायुक्त की क्लास

शहर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने के प्रयासों में गंभीरता नजर न आने पर सांसद व विधायक ने डीएम की मौजूदगी में नगरायुक्त की क्लास ले डाली। बुधवार को सांसद राजेन्द्र अग्रवाल व कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल सर्किट हाउस में पहुंचे थे। वहां नगरायुक्त अरविंद चौरसिया पहले से ही मौजूद थे।

स्मार्ट सिटी को लेकर पहले से एक बैठक तय थी। उसी दौरान डीएम के. बालाजी भी वहां आए थे। सांसद व विधायक ने स्मार्ट सिटी में मेरठ के पिछड़ने का कारण नगरायुक्त से पूछा। कहा कि शहर में डाली गयी पाइप लाइनों की बदहालत का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

जब पाइप लाइनों की ये स्थिति है तो मेरठ को कैसे स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल सकता है। नगरायुक्त ने इसका ठीकरा जब जल संस्थान के अफसरों पर फोड़कर बचने का प्रयास किया तो विधायक ने उस पर नाराजगी जतायी। उन्होंने पूछा कि क्या निगम के जल संस्थान के अधिकारी उनके अंडर में नहीं आते। जिस वजह से पाइपों के डालने में गड़बड़ी हुई। उनके खिलाफ क्यों नहीं एफआईआर करायी।

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कहा कि कूडे से बिजली बनाने का काम क्यों अटका पड़ा है, जबकि शोलापुर की कंपनी तैयार है। विधायक ने बताया कि शोलापुर की एक कंपनी तीन बार नगर निगम प्रशासन को पत्र लिख चुकी है। ये कंपनी केवल जगह चाहती है और प्लांट का पूरा खर्च खुद उठाएगी, लेकिन उसके एक भी पत्र का जवाब नगरायुक्त ने नहीं दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम प्रशासन मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाने में कितना गंभीर है। सांसद व विधायक के किसी भी सवाल का नगरायुक्त संतुष्टि पूर्ण उत्तर नहीं दे सके।

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