- विभाग की मिलीभगत से गरीबों के जानमाल से खिलवाड़
- अशिक्षित महिलाए गायनिक बनकर रही सर्जरी
जनवाणी संवाददाता |
फलावदा: स्वास्थ्य विभाग की अनुकंपा से नगर में अनुभवहीन महिलाएं जगह जगह प्रसूति केंद्र संचालित करके सरकार की जननी सुरक्षा योजना को पलीता लगा रही है। धोखाधड़ी करके गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। अवांछनीय कारणों में स्वास्थ्य अफसर आंखे मूंदे हुए हैं। नगर में झोलाछाप चिकित्सकों की बाढ से आई हुई है। नगर के गली मोहल्लों में जगह-जगह दुकानें खोलकर बैठे जालसाज गारंटी से रोगों का इलाज करने का दावा ठोक रहे हैं। धोखाधडी का आलम ये है कि इस धंधे में लिप्त महिलाएं बड़े हॉस्पिटल की तरह बिल वसूलने के लिए अप्रशिक्षित होने के बावजूद अपनी क्लीनिक में ओटी तक संचालित कर रही है।
झोलाछाप महिला डॉक्टरों ने बकायदा मरीजों को चुंगल में फसाने के लिए प्रलोभन से चलने वाले दलाल भी नगर व देहात इलाके में सक्रिय है। फर्जी गायनिक बनी महिलाए बेखौफ होकर क्लीनिक में गर्भपात और प्रसूत जैसे रोगों के इलाज कर रही। निजी स्वार्थ के लिए मरीज की जान जोखिम में डालकर सर्जरी तक की जा रही है। केस बिगड़ने के मामले भी प्रकाश में आते हैं, लेकिन उन्हें विभागीय निदेर्शों के तहत मैनेज कर लिया जाता है। विभागीय अनुकंपा से झोलाछाप खुलकर अपनी दुकानें फर्जी बोर्ड के सहारे चला रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि झोलाछाप डॉक्टर को कमाई का आंशिक भाग स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी लेकर घूमने वाले एक संग्रह अमीन को छमाही अदा करना होता है। यह कथित अमीन नोटिस और मुकदमे का भय दिखाकर वसूली करने के लिए चर्चाओं में रहता है। विभाग को चढ़ावा चढ़ने के चलते स्वास्थ्य विभाग झोलछाप जालसाजों की ओर से आंखे मूंदे रहता है। प्रत्येक क्लीनिक से छमाही पांच हजार के सुविधा शुल्क के एवज अनुकंपा बाटी जा रही है। नए खुलने की खबर पर नोटिस देकर जांच का ढोंग होता है, जो सिर्फ वसूली तक सीमित होता है।
नतीजतन कई दशकों से किसी भी झोलाछाप के विरुद्ध फलावदा थाने में कोई अभियोग पंजीकृत नहीं हुआ है। सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं की सुविधा के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र पर अनुभवी नर्स व डाक्टर नियुक्त किए हैं, लेकिन सरकारी निशुल्क सुविधा में दोष बताकर झोलाछाप महिला अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए गर्भवती महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के प्रति गुमराह कर रहे हैं। महिला स्वास्थ्य को लेकर सरकार के मिशन को पलीता लगाया जा रहा है।
जांच में अवैध डिलीवरी करने वाली एएनएम दोषी
रोहटा: विभागीय जांच में अवैध रूप से डिलीवरी सेंटर चलाने वाली एएनएम दोषी पायी गयी है। जांच समिति ने सीएमओ को रिपोर्ट भी सौंप दी है। हालांकि सीएमओ उन्हें निलंबित कर दूसरी जगह अटैच कर चुके हैं, लेकिन पीड़ित पक्ष सीएमओ की इतनी कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है। हालांकि उनका कहना है कि मजिस्ट्रेटियल जांच से उन्हें इंसाफ की उम्मीद है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरूरपुर पर तैनात एएनएम मधु उर्फ मंजू ने मीरपुर गांव स्थित ब्यूटी पार्लर की आड़ में चलने वाले हुए अवैध डिलीवरी सेंटर पर दमगढ़ी गांव निवासी आंगनबाड़ी कार्यकत्री नईमा की डिलीवरी के बाद जच्चा बच्चा की मौत हो गई थी।
इसी प्रकरण को लेकर पीड़ितों द्वारा इस मामले की शिकायत अधिकारियों से की गई थी। हालांकि इस मामले में शिकायत और मीडिया में मामला हाइलाइट होने के बाद सीएमओ अखिलेश मोहन ने एएनएम मधुर उर्फ मंजू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था तथा सरूरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से हटाकर सरधना अटैक भी कर दिया था। साथ ही एक तीन सदस्य जांच कमेटी भी गठित की थी। तीन दिन के भीतर रिपोर्ट मांगने के लिए निर्देशित किया गया था। हालांकि इस प्रकरण में शुरू से ही प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. महक सिंह की भूमिका संदिग्ध रही थी और उन्होंने एएनएम को बचाने का भरसक प्रयास किया और पीड़ित द्वारा अधिकारियों दी गई लिखित शिकायत को भी बदल दिया था।
हालांकि यह मामला भी काफी उछला और प्रभारी बैकफुट पर आ गए थे, लेकिन प्रकरण में की जांच टीम में शामिल प्रभारी चिकित्सा अधिकारी महक सिंह की अहम भूमिका शुरू से संदिग्ध रही थी। उधर इस प्रकरण में गठित टीम के प्रमुख सदस्य रहे अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांति प्रसाद ने जांच पूरी करके 5 दिन पहले अपनी रिपोर्ट सीएमओ अखिलेश मोहन को सौंप दी थी, लेकिन इसके बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसे लेकर अब अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जबकि अब जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद भी अधिकारी इस मामले में कार्रवाई से बच रहे हैं।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांति प्रसाद के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा एएनएम मधु उर्फ मंजू को डिलीवरी करने के लिए जांच में दोषी करार दिया गया है। साथ ही जच्चा बच्चा की मौत के लिए भी एएनएम मधु और मंजू को दोषी ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद भी अधिकारी अभी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं दूसरी और मृतक आंगनवाड़ी कार्यकत्री नईमा के परिवार वाले लगातार एएनएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए भी थाने और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अभी तक भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से एएनएम के खिलाफ कोई कार्य सख्त कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। जिसे लेकर मृतक के परिवार वाले काफी आहत और परेशान है।
इसे एक सप्ताह से एएनएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए थाने के चक्कर भी काट रहे है पीड़ित परिवार वालों ने सुनवाई नहीं होने पर अब आहत होकर आगामी तहसील दिवस में आत्मदाह करने का ऐलान किया है। मृतक आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पिता नूर मोहम्मद ने एएनएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने पर तहसील दिवस में आत्मदाह करने का ऐलान किया है। वही इस प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के लगातार किरकिरी होने के बाद भी अभी तक विभाग सख्त कार्रवाई के मूड में नहीं दिख रहा है। हालांकि जिलाधिकारी दीपक मीणा इस मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश भी दिए हैं। जिससे परिजनों को उम्मीद है कि मजिस्ट्रेट जांच में उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। जबकि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में कार्रवाई को तैयार नहीं है।