- ‘सीओपी 27 समिट’ के एजेंडे पर मेरठ लिखेगा यूएन को पत्र
- गरीब और विकासशील देशों में प्राकृतिक आपदाओं पर मुआवजे की मांग
- सोलर और पवन ऊर्जा भी अहम मुद्दा, इसके लिए भी होे क्लाइमेट फाइनेंस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्लाइमेट समिट के दौरान गरीब देशों द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिस्र में तैयार हुए मसौदे का जहां पूरी दुनिया में स्वागत हो रहा है, वहीं मेरठ में भी इसको लेकर खुशी का महौल है। यूएन द्वारा क्लाइमेट चेंज लीडर के रुप में नामित देश के 17 युवाओं में से एक मेरठ की हिना सैफी का मानना है कि 200 देशों के बीच जो सहमति बनी है वो काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन इसी प्रकार की सहमति प्राकृतिक आपदाओं के अन्तर्गत होने वाले ‘लॉस एंड डैमेज’ पर भी बननी चाहिए और इसी विषय पर हिना यूएन को पत्र लिखकर उसके समक्ष यह मुद्दा प्रमुखता से उठाएंगी।
मिस्र में हाल ही में सम्पन्न हुई ‘सीओपी 27 क्लाइमेट समिट’ के दौरान 200 देशों के बीच हुए एक एतिहासिक समझौते के तहत इस बात पर सहमति बनी कि अमीर देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के मुद्दे पर गरीब देशों की आर्थिक मदद करेंगे और इसके लिए एक फंड बनाएंगे। इस मुद्दे पर हिना सैफी ने कहा कि जो समझौता हुआ वो वास्तव में एतिहासिक है और काबिल ए तारीफ है लेकिन इसी के साथ साथ उन्होंने संयुक्त राष्ट्र का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया है कि जिस प्रकार गरीब देशों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए फण्ड बनाने पर सहमति बनी है
उसी प्रकार प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भी गरीब और विकासशील मुल्कों के लिए फण्ड बनाया जाए। इसके लिए हिना शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखने भी जा रही हैं। हिना का मानना है कि भारत विकासशील देश है और यहां अक्सर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं जिनमें जान और माल का नुकसान होता है। इसी प्रकार कई और गरीब तथा विकासशील देशों का भी यही हाल है। इसलिए इन देशों के लिए भी विकसित देशों को अपने स्तर से फंड की स्थापना करनी चाहिए ताकि ऐसे देशों की आर्थिक मदद हो सके। बकौल हिना संयुक्त राष्ट्र को लिखे जाने वाले पत्र में वो सोलर व पवन ऊर्जा जैसे मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाएंगी और यूएन से अपील करेंगी कि वो जनहित वाले इन मुद्दों का भी समर्थन करे।